Shaheen Bagh: दिसंबर की सर्दी...बुजुर्ग महिलाओं के हाथों में तिरंगा...CAA विरोधी आंदोलन का एपीसेंटर शाहीन बाग
Shaheen Bagh: 2020 का वो साल जब कोरोना महामारी ने हम लोगों के जीवन में दस्तक दी थी, उसी दौरान हाल के वर्षों में एक सबसे शक्तिशाली लोकप्रिय आंदोलन से देश हिल गया था.
Why is Shaheen Bagh Famous: दिल्ली का शाहीन बाग एक बार फिर खबरों की हेडलाइन में है. MCD की कार्रवाई के कारण ये इलाका लोगों के बीच चर्चा में है. दरअसल, एमसीडी शाहीन बाग में अतिक्रमण के खिलाफ अभियान चला रही है, जिसकी शुरुआत सोमवार से हुई. ये वही शाहीन बाग है जो 2019 में नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (CAA) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का एपीसेंटर था. नोएडा और गाजियाबाद से सटे इस इलाके में विरोध प्रदर्शन 15 दिसंबर 2019 को शुरू हुआ था और 24 मार्च 2020 तक चला था.
2020 का वो साल जब कोरोना महामारी ने हम लोगों के जीवन में दस्तक दी थी, उसी दौरान हाल के वर्षों में एक सबसे शक्तिशाली लोकप्रिय आंदोलन से देश हिल गया था. विरोध का नेतृत्व महिलाओं ने किया था, जिन्होंने दिन और रात शाहीन बाग में एक प्रमुख सड़क को ब्लॉक कर दिया था. विरोध केवल 10-20 महिलाओं के साथ शुरू हुआ, लेकिन जैसे-जैसे दिन बीतते गए, इसने हजारों अन्य लोगों को आकर्षित किया. यह छात्रों, पेशेवरों, कार्यकर्ताओं, मुस्लिम महिलाओं, बच्चों, वकीलों और सभी क्षेत्रों के कई अन्य लोगों द्वारा विरोध की जगह बन जाता है. 80 और 90 साल से अधिक उम्र की बुजुर्ग महिलाएं भी विरोध में शामिल हुईं.
प्रदर्शन की शुरुआत यूं तो मुस्लिम महिलाओं ने की थी, लेकिन धीरे-धीरे इसमें अलग-अलग धर्म, जाति के लोग भी शमिल होते गए. हफ्तों तक भाषण दिए गए, कविताएं सुनाई गईं, गीत गाए गए. कोरस में संविधान की प्रस्तावना को जोर से पढ़ा गया. प्रदर्शन को कई राजनीतिक पार्टियों का भी साथ मिला. इसी दौरान दिल्ली में हिंसा भी हुई, लेकिन शाहीन बाग में डटे प्रदर्शनकारी अहिंसक आंदोलन की बात करते रहे. विरोध प्रदर्शनों ने बीबीसी, सीएनएन, द गार्जियन, अल जज़ीरा जैसे अंतरराष्ट्रीय मीडिया आउटलेट्स के साथ दुनियाभर में ध्यान आकर्षित किया, सभी ने विरोध प्रदर्शन की रिपोर्ट छापी. प्रदर्शन में सबसे आगे रहने वालीं 82 वर्षीय महिला Bilkis का नाम टाइम मैगजीन ने अपनी '2020 के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों' की सूची में रखा था.
सर्द रात में भी डटे रहे प्रदर्शनकारी
दिसंबर में तापमान में गिरावट के बाद भी सैकड़ों की संख्या में लोग सीएए के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करते रहे. तापमान तीन डिग्री सेल्सियस तक गिर रहा था, लेकिन महिलाएं अपने छोटे बच्चों के साथ दिन और रात सड़क पर कालीनों पर बैठी रहीं, जबकि पुरुष किनारे पर खड़े रहे. प्रदर्शनकारियों ने वक्ताओं को धर्मनिरपेक्षता और संविधान के बारे में बात करते हुए सुना. भारतीय ध्वज हर जगह था. लोगों के चेहरों पर चित्रित, स्ट्रीट लाइट पर, बच्चों के हाथ में छोटे-छोटे झंडे थे.
आंदोलन के बीच हुई हिंसा
शाहीन बाग में ये आंदोलन शांतिपूर्वक चल रहा था, लेकिन 30 जनवरी 2020 को हुई एक घटना से ये जगह विवादों में आ गया. जामिया के पास विरोध मार्च पर एक बंदूकधारी ने फायरिंग की, जिसमें एक छात्र घायल हो गया. ठीक दो दिन बाद 1 फरवरी को शाहीन बाग में प्रदर्शनकारियों पर एक और व्यक्ति ने यह कहते हुए गोलियां चला दीं कि यह देश सभी के लिए नहीं है. यह केवल हिंदुओं के लिए है.
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