दिल्ली की पहली स्किल एंड एंटरप्रेन्योरशिप यूनिवर्सिटी के बोर्ड का गठन, आगामी सेशन से शुरू होगा एडमिशन
यूनिवर्सिटी में 6 महीने के सर्टिफिकेट कोर्स से लेकर 3 साल के बैचलर्स डिग्री तक के कोर्स होंगेकंपनियों और इंडस्ट्री से परामर्श के आधार पर यूनिवर्सिटी के बोर्ड मेम्बर्स कोर्स डिज़ायन करेंगे

नई दिल्ली: दिल्ली में युवाओं को रोजगार के लिए तैयार करने के लक्ष्य के साथ स्किल एंड एंटरप्रेन्योरशिप यूनिवर्सिटी की शुरुआत की जा रही है. ये एक ऐसी यूनिवर्सिटी होगी जो सिर्फ पढ़ाई नहीं कराएगी बल्कि छात्रों को नौकरी और खुद के व्यवसाय के लिए तैयार करेगी.
दिल्ली की पहली स्किल यूनिवर्सिटी में छात्रों को स्किल्ड बनाने के मकसद उन्हें ट्रेनिंग कराई जायेगी. जो छात्र बिजनेस करना चाहेंगे वो बिजनेस कर सकेंगे. इस यूनिवर्सिटी के लिए कुछ महीने पहले दिल्ली विधानसभा में बिल पास किया गया था. यूनिवर्सिटी का पहला सत्र अगले साल शुरू होगा. खास बात ये है कि कंपनियों से परामर्श के आधार पर और उद्योग की मांग के अनुरूप पाठ्यक्रम तय होगा.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने घोषणा की कि आज से दिल्ली स्किल एंड एंटरप्रेन्योरशिप यूनिवर्सिटी की शुरुआत हो गयी है, जिसके बोर्ड में मेम्बर और वाइस चांसलर नियुक्त हो गए हैं. केजरीवाल ने कहा कि इस यूनिवर्सिटी की एक ही सोच होगी कि पढ़ाई के बाद बच्चे को जॉब मिले या बच्चा बिजनेस करे. इस यूनिवर्सिटी के बोर्ड मेम्बर्स का चयन कर लिया गया है. और आज बोर्ड की पहली बैठक हुई है.
आईआईएम की प्रोफेसर रहीं नेहारिका वोहरा यूनिवर्सिटी की वाइस चांसलर बनाई गई हैं. जिनका 20 साल का पढ़ाने का अनुभव है. बोर्ड के मेंबर भी अनुभवी और अपने क्षेत्र के जाने माने लोगों को बनाया गया है. बोर्ड मेम्बर में डॉक्टर प्रमथ राज सिन्हा, प्रमोद भसीन जिन्होंने जैनपेक शुरू किया, संजीव बिकचंदानी जिन्होंने naukri.com शुरू किया, श्रीकांत शास्त्री, जी श्रीनिवासन को शामिल किया गया है.
आम आदमी पार्टी की विधायक और इस यूनिवर्सिटी के पूरे काम को कोऑर्डिनेट कर रहीं आतिशी का कहना है कि ये यूनिवर्सिटी दिल्ली एडुकेशन रेवल्यूशन 2.0 है. पहले 5 साल में सरकार का लक्ष्य सरकारी स्कूल एजुकेशन को मजबूत करना था और अब अगले 5 साल में दिल्ली के युवाओं को स्किल एजुकेशन को वर्ल्ड क्लास बनाने का लक्ष्य है.
इस यूनिवर्सिटी में 6 महीने के सर्टिफिकेट कोर्स से लेकर 3 साल के बैचलर्स डिग्री तक के कोर्स होंगे. कंपनियों और इंडस्ट्री से परामर्श के आधार पर बोर्ड मेम्बर्स कोर्स डिज़ायन करेंगे ताकि यूनिवर्सिटी से निकलने के बाद कंपनियां अपनी डिमांड के आधार पर छात्रों को नौकरी देने के लिए तैयार रहें. सरकार का लक्ष्य अगले 5 साल में 1 लाख छात्रों को इस यूनिवर्सिटी में समायोजित करने का है.
जानकारों ने भी दिल्ली सरकार के इस कदम का सराहना की है. सिम्पली एचआर फर्म के एचआर कंसल्टेंट रजनीश सिंह का कहना है कि जिस दौर में हम रह रहे हैं नौकरियों का बढ़ना बहुत कम होते जाएंगे इसलिए बहुत जरूरी है आने वाले समय में कि जहां जॉब्स जितना हो सके उसने मौके बनाएं. साथ-साथ ऐसे एंटरप्रेन्योर भी तैयार करें जो नौकरियां बढ़ा सके. यह बहुत दूर की सोच है और बहुत ही अच्छी सोच है. जो बोर्ड मेंबर से वह बहुत ही अनुभवी हैं. ऐसी यूनिवर्सिटी बनाने से युवाओं के लिए प्रोत्साहन मिलेगा. जहां वह कोर्स करते थे नौकरी पाने के लिए इस यूनिवर्सिटी में आकर वह अपने स्किल का डेवलपमेंट इस तरह से करें जिससे वह बिजनेस कर सके. इसका युवाओं को काफी फायदा मिलेगा.
रीटेल, मार्केटिंग, बैंकिंग, हॉस्पिटैलिटी, इन्फॉर्मेशन टेक्नॉलजी, फाइनेंसियल मैनेजमेंट, हेल्थ टेक्नोलॉजी और मैनेजमेंट जैसे सेक्टर्स से जुड़े कोर्स को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा. यूनिवर्सिटी में मार्केट रिसर्च एंड करिकुलम विभाग खास कोर्स डिज़ायन पर ध्यान देगा जिसके लिए सीआईआई के सेक्टर काउंसिल की भी मदद ली जा रही है.
दिल्ली सरकार को उम्मीद है कि प्रशिक्षित युवाओं के ज़रिए रोज़गार के ज़्यादा अवसर पैदा होंगे. हालांकि इसका सही आंकलन तब होगा जब यूनिवर्सिटी का पहला इसका एकेडमिक सेशन खत्म होगा तो पास होकर निकलने वाले बच्चों में से कितनों को नौकरी मिलेगी.
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