सीपीआई को राहुल गांधी के पीएम की उम्मीदवारी रास नहीं आई, कहा- इससे रिजल्ट पर फर्क पड़ेगा
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी दलों के साझा प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार का नाम घोषित करने के पक्ष में नहीं है. पार्टी के महासचिव एस सुधाकर रेड्डी का इस संबंध में कहना है कि अगर प्रधानमंत्री का निर्णय चुनाव के बाद होगा तो यह सबसे अधिक सुविधाजनक होगा.

हैदराबाद: भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) के एक शीर्ष नेता ने सोमवार को कहा कि पार्टी आगामी लोकसभा चुनाव से पहले प्रस्तावित बीजेपी विरोधी मोर्चे के लिए प्रधानमंत्री पद का दावेदार तय करने के पक्ष में नहीं है. सीपीआई का तर्क है कि कई उम्मीदवार होने से चुनावी संभावनाओं पर बुरा असर हो सकता है.
रविवार को डीएमके अध्यक्ष एम के स्टालिन ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का नाम विपक्षी गठबंधन के प्रधानमंत्री के उम्मीदवार के तौर पर प्रस्तावित किया था. सीपीआई महासचिव एस सुधाकर रेड्डी ने बताया, ‘‘अगर किसी को दावेदार के तौर पर पेश किया जाता है, तो हम कुछ नहीं कर सकते. हम इसका विरोध नहीं कर रहे हैं.’’
स्टालिन की टिप्पणियों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि किसे प्रधानमंत्री होना चाहिए इस पर चर्चा चुनाव के बाद होनी चाहिए.’’ उन्होंने कहा कि स्टालिन ने राहुल का नाम इसलिए प्रस्तावित किया होगा कि वह सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के अध्यक्ष हैं.
रेड्डी ने कहा, ‘‘हर व्यक्ति के पास अपना विचार है. हमारी पार्टी पहले भी यह कह चुकी है कि प्रधानमंत्री पद के कैंडिडेट का निर्णय चुनाव के बाद होना चाहिए.’’ उन्होंने कहा कि पार्टी की राय यह है कि अगर प्रधानमंत्री का निर्णय चुनाव के बाद होगा तो यह सबसे अधिक सुविधाजनक होगा.
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