COVID-19: देश के लिए मिसाइल बनाने वाली DRDO ने खास पीपीई सूट तैयार किया, पहनने से नहीं होगा संक्रमण का खतरा
डीआरडीओ ने पैराशूट बनाने वाले मैटेरियल से इस सूट को तैयार किया है. डीआरडीओ के महानिदेशक एके सिंह ने बताया कि वैज्ञानिकों ने टेस्ट करके पाया है कि इसके पहनने से कोरोना संक्रमण का खतरा नहीं होगा.

नई दिल्ली: देश के लिए मिसाइल और हथियार बनाने वाली डीआरडीओ ने कोरोना वायरस से लड़ने के लिए खास पीपीई सूट तैयार किया है. डीआरडीओ ने ये सूट पैराशूट बनाने वाले मैटेरियल से तैयार किया गया है. डीआरडीओ के महानिदेशक एके सिंह के मुताबिक, कोरोना वायरस जिस तरह देश में फैल रहा है ऐसे में आने वाले समय में डॉक्टर्स और पैरा-मेडिकल स्टाफ को पर्सनल प्रोटेक्टिव ईक्यूपमेंट (पीपीई) यानी सूट की डिमांड बढ़ने वाली है. ऐसे में डीआरडीओ के आगरा स्थित एडीआरडीई (एरियल डिलीवरी रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन) लैब ने दिल्ली के इंस्टीट्यूट ऑफ न्युक्लिर मेडिसन एंड एलाईड साइंसेज (इनमास) सेंटर के साथ मिलकर ये प्रोटेक्टिव-सूट तैयार किया है.
एके सिंह के मुताबिक, इस सूट को वैज्ञानिकों ने टेस्ट करके पाया है कि इसके पहनने से कोरोना वायरस के संक्रमण का खतरा नहीं होगा. जानकारी के मुताबिक, महाराष्ट्र स्थित कुसुमगढ़ की एक प्राईवेट फैक्ट्री को इस तरह के सूट बनाने का कांट्रेक्ट दिया गया है. ये कंपनी अगले एक हफ्ते तक इस तरह के करीब दस हजार पीपीई सूट बनाकर तैयार करके सरकार को मुहैया करायेगी. एक दूसरी प्राइवेट कंपनी भी चिंहित कई गई है जो इस तरह के पांच हजार सूट बनाएगी. डीआरडीओ के डीजी के मुताबिक, इस पीपीई सूट बनाने की तकनीक को प्राइवेट इंटस्ट्री से शेयर किए जाने की तैयारी है ताकि इसका मास-प्रोडेक्शन देश में किया जा सके.
डीआरडीए के मुताबिक, इस तरह के बायो-सूट बनाने में दिक्कत इसमें इस्तेमाल होने वाले 'सीलेंट' के चलते आती है. क्योंकि सीलेंट-टेप आसानी से उपलब्ध नहीं होता है. इसीलिए डीआरडीओ ने जो सीलेंट पनडुब्बी में इस्तेमाल होती है उसी को इस पीपीई सूट में प्रयोग किया है ताकि प्राईवेट इंडस्ट्री भी इन सूट को बड़ी मात्रा में बना सकें. साथ ही डीआरडीओ की ग्वालियर स्थित डीआरडीई लैब ने 53 हजार सीबीआरएन (कैमिकल बायोलॉजिकल रेडियोलोजिकल एंड न्युकलिर) सूट भी सेना और एनडीआरएफ को पहले ही मुहैया करा रखे हैं. ये सीबीआरएन सूट भी कोरोना वायरस से लड़ने में कारगर साबित हो सकते हैं.
बता दें कि डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाईजेशन (डीआरडीओ) देश की प्रतिष्टित रक्षा संस्थान है जो देश की सेनाओं के लिए मिसाइल, हथियार और फाइटर जेट तैयार करती है. लेकिन इस संकट घड़ी में डीआरडीओ की अलग अलग लैब कोरोना वायरस से लड़ने में मदद कर रही है. देश में कैमिकल-बायोलॉजिकल हथियारों से लड़ने की तकनीक भी डीआरडीओ ही तैयार करती है. ऐसे में कोरोना वायरस से निपटने में डीआरडीओ की तकनीक काफी मददगार साबित हो रही है. हाल के दिनों में डीआरडीओ ने देश के लिए 50 हजार से ज्यादा सैनेटाइजर तैयार किया है, दस हजार एन-99 मास्क बनाएं है और 30 हजार वेंटिलेटर बनाने में भी मदद कर रही है.
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Source: IOCL
























