कोरोना: वैक्सीन देने की कछुआ रफ्तार से कैसे रुकेगी महामारी
शुक्रवार को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने जोर देकर बताया कि भारत ने अपने मित्र देशों को कोरोना वैक्सीन देने पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया है और हम अब तक 80 देशों को 6 करोड़ 44 लाख टीकों की आपूर्ति कर चुके हैं.
नई दिल्ली: भारत में कोरोना की दूसरी लहर ने कहर बरपाना शुरू कर दिया है, लेकिन इस बीच सरकार ने साफ कर दिया है कि वो मित्र देशों को कोविड-19 वैक्सीन का निर्यात करना जारी रखेगी. संक्रमण की दूसरी लहर के दस्तक देते ही ये समझा जा रहा था कि सरकार अन्य देशों को देसी टीके की सप्लाई पर रोक लगाकर अपने देश में टीकाकरण के अभियान में तेजी लायेगी, टीका लगवाने के लिए उम्र की सीमा को भी कम करेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. अब इसका सीधा असर यह होगा कि देश में टीकाकरण की रफ़्तार कछुए की रफ्तार से ही चलेगी और नये मरीजों की संख्या में बेतहाशा बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है. हमारे देश की कुल आबादी लगभग 138 करोड़ है और अब तक कोरोना का टीका महज करीब 7 करोड़ 20 लाख लोगों को ही लग पाया है. इससे अंदाज़ लगा सकते हैं कि पूरी आबादी को यह वैक्सीन लगाने में कितना लंबा वक्त लगेगा.
शुक्रवार को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने जोर देकर बताया कि भारत ने अपने मित्र देशों को कोरोना वैक्सीन देने पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया है और हम अब तक 80 देशों को 6 करोड़ 44 लाख टीकों की आपूर्ति कर चुके हैं. उनके मुताबिक हमारी "वैक्सीन मैत्री" पहल बहुत कामयाब रही है और दुनिया में फैले हमारे साझेदार मुल्कों ने इसे काफी सराहा है. मजे की बात यह है कि इनमें से सिर्फ साढ़े तीन करोड़ टीकों का ही पैसा सरकार को मिला है. बाकी वैक्सीन या तो अनुदान के रूप में मुफ्त दी गई हैं या फिर कोवेक्स पहल के तहत उपलब्ध कराई गई हैं.
मुसीबत की घड़ी में मित्र देशों की मदद करना जायज है, लेकिन देश के तमाम बड़े डॉक्टर व विशेषज्ञ बार-बार ये दोहरा रहे हैं कि हमारे यहां खतरा बढ़ता जा रहा है और इससे निपटने के लिए टीकाकरण में जबरदस्त तेजी लाना होगी. वे कहते हैं कि प्रतिदिन 25 से 30 लाख लोगों को वैक्सीन लगानी होगी, तब कहीं जाकर हम संक्रमण की रफ्तार काबू में कर पायेंगे. जबकि फ़िलहाल टीका लगवाने वालों की अधिकतम संख्या प्रतिदिन 13 लाख के आसपास ही पहुंच सकी है.
ऐसे में उनका ये सवाल वाजिब लगता है कि केंद्र सरकार को फौरन वैक्सीन का निर्यात रोककर उन राज्यों को ज्यादा टीका देना चाहिए, जो इस महामारी से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल केंद्र से गुहार लगा चुके हैं कि उन्हें ज्यादा वैक्सीन उपलब्ध कराई जाए और 45 साल की उम्र वाली बंदिश भी खत्म की जाए, ताकि वे 18 साल से ऊपर के सभी लोगों को टीका लगा सकें.
कई विशेषज्ञों ने सरकार को ये भी सुझाया है कि वैक्सीन की उत्पादन क्षमता को बढ़ाना होगा और इसके लिए कुछ और कंपनियों को भी ट्रायल की मंजूरी देनी होगी. सिर्फ दो कंपनियों के भरोसे इतनी बड़ी आबादी का टीकाकरण करना सफल नहीं हो सकता है.
लिहाज़ा, सरकार के नीति-निर्माताओं को इस नाजुक मौके पर हिंदी के मशहूर कवि सर्वेश्वर दयाल सक्सेना की इन पंक्तियों को एक बार जरूर याद रखना चाहिये कि "जब आपके घर में मातम पसरा हो, तब पड़ोसी के यहां से आ रही संगीत की आवाज आपको कैसी लगेगी!"
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