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इनेलो में विवाद: पैरोल पर बाहर आए अजय चौटाला, कहा- ''याचना नहीं अब रण होगा''

17 नवंबर को अजय चौटाला जींद में कार्यकर्ता रैली का आयोजन करेंगे. इसी दिन वो आइएनएलडी को लेकर आगे का फैसला करेंगे. हो सकता है वो नई पार्टी का भी एलान कर दें.

नई दिल्ली: शिक्षक भर्ती घोटाले में जेल की सजा काट रहे इंडियन नेशनल लोकदल (आइएनएलडी) के महासचिव 5 नवंबर को पैरोल पर रिहा हुए. बाहर आते ही उन्होंने अपनी पार्टी और परिवार में चल रहे घमासान पर प्रतिक्रिया दी. अजय चौटाला ने 18 जनपथ पर अपने बेटे दुष्यंत चौटाला के सरकारी आवास पर कार्यकर्ताओं को संबोधित किया. इस दौरान वो काफी आक्रामक तेवर में नजर आए. अजय चौटाला ने महाभारत के श्लोक का हवाला देते हुए कहा, ''याचना नहीं अब रण होगा, जीवन या मरण होगा. दुर्योधन तू उत्तरदाई होगा. हिंसा का उत्तरदाई होगा." उन्होंने पार्टी में चल रहे उठापटक को लेकर ये भी कहा कि हक मांगने से नहीं छीनने से मिलता है.

'आइएनएलडी किसी की बपौती नहीं' अपने संबोधन के दौरान अजय चौटाला ने पार्टी तोड़ने वालों पर भी हमला बोला. उन्होंने कहा, ''आइएनएलडी न तो मेरे बाप की बपौती है और न किसी के बाप की, आइएनएलडी कार्यकर्ताओं की है, इसे किसी की बपौती नहीं बनने देंगे." 17 नवंबर को अजय चौटाला जींद में कार्यकर्ता रैली का आयोजन करेंगे. इसी दिन वो आइएनएलडी को लेकर आगे का फैसला करेंगे. हो सकता है वो नई पार्टी का भी एलान कर दें. अपने बेटे को पार्टी से निकाले जाने पर उन्होंने कहा, ''हम ओम प्रकाश चौटाला के सामने ऐसी परिस्थितियां पैदा कर देंगे कि वो खुद ही कहेंगे कि वापस आ जाओ दुष्यंत.''

क्या है पूरा मामला?

देश के उप-प्रधानमंत्री रहे इंडियन नेशनल लोकदल के संस्थापक दिवंगत नेता चौधरी देवीलाल के परिवार में इन दिनों मचे घमासान के पीछे की मुख्य वजह खानदान की चौथी पीढ़ी है. इस घमासान की वजह से कहीं पार्टी टूट की कगार पर न पहुंच जाए, इसके लिए चौधरी देवीलाल के बेटे और पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश चौटाला ने 02 नवंबर को अनुशासनहीनता का हवाला देते हुए अपने पोतों दुष्यंत चौटाला और दिग्विजय चौटाला को पार्टी से निकाल दिया. ओपी चौटाला ने तुरंत प्रभाव से पार्टी में अपने दोनों पोतों की प्राथमिक सदस्यता रद्द कर दी और संसदीय समिति के नेतृत्व से भी हटा दिया.

पोतों ने फैसला मानने से किया इनकार दुष्यंत चौटाला और दिग्विजय चौटाला ने पार्टी अध्यक्ष के निष्कासन के फैसले को मानने से इनकार कर दिया. उनका कहना है कि इस तरह की कार्रवाई केवल उनके पिता अजय सिंह चौटाला ही कर सकते हैं. अजय सिंह फिलहाल शिक्षक भर्ती घोटाले में अपने पिता ओपी चौचाला के साथ 10 साल जेल की सजा काट रहे हैं. अजय 5 नवंबर को 14 दिन की पैरोल पर रिहा हुए हैं.

घमासान की वजह पार्टी में घमासान की प्रमुख वजह दुष्यंत चौटाला और उनके चाचा अभय सिंह चौटाला का रिश्ता है. दरअसल, ओपी चौटाला के जेल जाने के बाद सत्ता किसे मिले, इस पर काफी विवाद था. एक तरफ अभय चौटाला थे तो दूसरी तरफ उनकी भाभी यानि अजय चौटाला की पत्नी नैना चौटाला. लेकिन, सत्ता की पार्टी की जिम्मेदारी अभय को मिली. इसके बाद कई दफा परिवार में राजनीति को लेकर विवाद होते रहे हैं. और ये विवाद तब और गहराता गया जब दुष्यंत चौटाला की राजनीतिक पहुंच बढ़ती गई. सूबे में दुष्यंत चौटाला युवाओं के बीच खासे लोकप्रिय हैं और उनके अच्छे-खासे समर्थक हैं. अभय चौटाला अपने भतीजों के बारे में कहते हैं कि उनका किसी से कोई मतभेद नहीं है और वो उनके अपने बच्चों जैसे हैं.

गोहाना रैली ने दी पार्टी में टूट की हवा 7 अक्टूबर को पार्टी ने चौधरी देवी लाल के 105वें जयंती के अवसर पर गोहाना में इनेलो-बसपा की संयुक्त रैली का आयोजन किया था. पैरोल पर जेल से बाहर आए ओपी चौटाला भी रैली में शामिल थे. रैली में जब पार्टी के नेता भाषण दे रहे थे तो दुष्यंत और दिग्विजय चौटाला के समर्थक नारे लगा रहे थे और उन्हें सूबे का अगला सीएम कह रहे थे. ओपी चौटाला भी वहां ये सारी चीजें देख रहे थे. रैली में दुष्यंत के समर्थकों के इस व्यवहार को देखकर वो बोले, ''अगर नारे ही लगाने हैं तो मैं वापस चला जाता हूं. मैंने देख लिया कि कौन क्या कर रहा है. माहौल खराब करने वाले या तो सुधर जाएं, वरना चुनाव से पहले निकालकर बाहर फेंक दूंगा.'' कहीं-न-कहीं दुष्यंत चौटाला भी इस रैली में अपने समर्थकों के जरिए ओपी चौटाला के सामने पार्टी में अपनी धाक दिखाना चाहते थे.

पार्टी ने अनुशासनहीनता का लगाया था आरोप गोहाना रैली में दुष्यंत चौटाला के समर्थकों के व्यवहार को पार्टी की अनुशासन समिति ने संज्ञान में लिया. समिति ने इस बाबत दुष्यंत और दिग्विजय चौटाला से जवाब मांगा. दुष्यंत ने 17 अक्टूबर को जवाब भेजा और 15 दिनों का वक्त मांगा. इसके बाद दुष्यंत ने पूरे हरियाणा में अप नी धाक दिखाने के लिए रैलियां और जनसभाएं शुरू कर दीं.

दुष्यंत के निष्कासन के बाद समर्थकों ने दिया इस्तीफा पार्टी अध्यक्ष ने गोहाना रैली में हुए उपद्रव में दुष्यंत और दिग्विजय को अनुशासनहीनता का दोषी पाते हुए पार्टी से निकाल दिया. पार्टी से निकाले जाने के बाद दुष्यंत के समर्थकों का गुस्सा बढ़ गया और वो निष्कासन के खिलाफ प्रदर्शन करने लगे. यहां तक कि कई समर्थकों ने सोशल मीडिया पर पार्टी छोड़ने का एलान भी कर दिया. समर्थकों के पार्टी छोड़ने की वजह से आईएनएलडी की हालत कमजोर हो गई है. इस पर दुष्यंत चौटाला ने अपने समर्थकों से कहा कि उनके पिता के पैरोल पर बाहर आने के बाद ही आगे कोई फैसला लिया जाएगा.

इस्तीफे पर अभय चौटाला ने साधा निशाना पार्टी छोड़ रहे नेताओं पर अभय सिंह चौटाला ने निसाना साधते हुए कहा, "जो लोग पार्टी छोड़ रहे हैं उनका संगठन में कोई भविष्य नहीं है. ये ऐसे लोग हैं जिनका जुड़ाव कांग्रेस से है. कुछ कांग्रेसी पार्टी को कमजोर करना चाहते हैं." अभय चौटाला के इस बयान पर परोक्ष रूप से अजय चौटाला ने भी उन पर निशाना साधा और कहा, ''मुझे उन लोगों पर तरस आता है जो पार्टी को खून-पसीने से सींचने वाले कार्यकर्ताओं को कांग्रेसी बता रहे हैं."

नैना चौटाला भी हैं नाखुश दुष्यंत चौटाला और दिग्विजय चौटाला को पार्टी से निकालने के ठीक एक दिन पहले चरखा दादरी में एक जनसभा को संबोधित करते हुए अजय चौटाला की पत्नी नैना चौटाला ने भी पार्टी में चल रही उठापटक का संकेत दिया था. उन्होंने कहा था कि 15 लोगों ने पार्टी को बर्बाद कर दिया है. उन्होंने ये भी कहा कि कुछ लोग नहीं चाहते कि अजय चौटाला और उनका परिवार आईएनएलडी में रहे. नैना चौटाला पहले ही अपने बेटे को भावी मुख्यमंत्री घोषित कर अभय चौटाला पर परोक्ष हमला कर चुकी हैं.

आइएनएलडी में इस तरह का घमासान पहले कभी नहीं देखने को मिला था. 2014 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में आइएनएलडी को 24 फीसदी वोट मिले थे और 90 सदस्यों वाली विधानसभा में 18 सीटों पर जीत मिली थी.

पार्टी की शुरुआत इंडियन नेशनल लोकदल की ऑफिशियल वेबसाइट के मुताबिक, पार्टी की स्थापना साल 1987 में चौधरी देवीलाल ने की थी. चौधरी देवीलाल पूर्व प्रधानमंत्री वी पी सिंह के कार्यकाल में उप-प्रधानमंत्री थे और हरियाणा के दो बार मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं. देवी लाल 1971 तक कांग्रेस में थे. 1977 में वो जनता पार्टी में आ गए और उसके बाद 1987 में उन्होंने अपनी पार्टी आइएनएलडी बनाई.

चौधरी देवीलाल का परिवार चौधरी देवीलाल के दो बेटे हैं- ओम प्रकाश चौटाला और रंजीत सिंह चौटाला. रंजीत सिंह चौटाला कांग्रेस पार्टी से जुड़े हैं और रोरी विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं. वहीं, देवीलाल के दूसरे बेटे ओम प्रकाश चौटाला, आईएनएलडी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और हरियाणा के तीन बार मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं. आईएनएलडी की कमान देवीलाल के बाद ओपी चौटाला के ही परिवार के पास रही है.

ओपी चौटाला के भी दो बेटे हैं- अभय सिंह चौटाला और अजय सिंह चौटाला. अजय सिंह चौटाला और उनके पिता को जूनियर बेसिक शिक्षक भर्ती में घोटाला करने के लिए 10 साल की जेल हुई है. ओपी चौटाला जेल से ही पार्टी से जुड़े फैसले लेते हैं. ओपी चौटाला की गैर-मौजूदगी में पार्टी की कमान उनके दूसरे बेटे अभय सिंह चौटाला के हाथों में रहती है. फिलहाल पार्टी में अभय सिंह के बाद दूसरे नंबर की नेता अजय सिंह चौटाला की पत्नी नैना सिंह चौटाला हैं.

अजय चौटाला के दो बेटे हैं- दुष्यंत और दिग्विजय. दुष्यंत चौटाला हिसार से लोकसभा सांसद है, जबकि दिग्विजय चौटाला आईएनएलडी के युवा मोर्चे इंडियन नेशनल स्टूडेंट्स ऑर्गनाइजेशन (आएनएसओ) के प्रमुख हैं.

अभय सिंह चौटाला हरियाणा विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं. अभय इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रह चुके हैं लेकिन भ्रष्टाचार के आरोप लगने पर उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था. अभय चौटाला के भी दो बेटे हैं- करण चौटाला और अर्जुन चौटाला. करण राजनीतिक रूप से सक्रिय रहते हैं और सिरसा जिला परिषद के उपाध्यक्ष हैं, जबकि अर्जुन को अभी कोई पद नहीं दिया गया है.

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