चंद्रयान 2: ISRO चेयरमैन ने कहा- 2 सिंतबर अहम जब लैंडर ऑर्बिटर से होगा अलग
चंद्रयान 2: इसरो के चेयरमैन के सिवन ने कहा कि चंद्रयान 2 मिशन का अगला अहम कदम 2 सितंबर को है. जब लैंडर ऑर्बिटर से अलग होगा. इसके बाद 3 सितंबर को लगभग तीन सेकंड की एक छोटी-सी प्रक्रिया होगी.

नई दिल्ली: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बड़ी कामयाबी हासिल की है. इसरो ने बताया कि चंद्रयान 2 चंद्रमा की कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित हुआ. आज इसरो के चेयरमैन के. सिवन ने कहा कि चंद्रयान 2 मिशन ने आज एक अहम पड़ाव पार किया है. उन्होंने कहा, ''साउथ पोल में जिस जगह लैंड करना चाहते हैं उसके लिए आज की कक्षा बेहद जरूरी थी और हमने वो हासिल कर लिया.'' उन्होंने कहा कि 2 सिंतबर को लैंडर ऑर्बिटर से अलग होगा.
सिवन ने कहा, ''सफल लैंडिंग का इतिहास सिर्फ 37% है लेकिन हमें पूरा भरोसा है कि हमें सफलता मिलेगी. हमने कड़ी मेहनत की है बढ़िया तैयारी की है सारे सिमुलेशन्स को सही तरीके से पूरा किया. जो भी मानवीय तरीके से संभव हैं हमने सबकुछ किया है. हमें भरोसा है कि हमारा मिशन कामयाब होगा.'' उन्होंने कहा कि चंद्रयान-2 सात सितंबर को 01 बजकर 55 मिनट पर चांद के सतह पर लैंड करेगा.
इसरो चेयरमैन ने कहा, ''2 सिंतबर को लैंडर ऑर्बिटर से अलग होगा. इसके बाद 3 सितंबर को लगभग तीन सेकंड की एक छोटी-सी प्रक्रिया होगी, ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि लैंडर के सभी सिस्टम सही काम कर रहे हैं.''
Indian Space Research Organisation (ISRO) Chief K Sivan: On 7th September, at 1:55 am lander will land on the moon. #Chandrayaan2 pic.twitter.com/rJiWfJlbaP
— ANI (@ANI) August 20, 2019
अंतरिक्ष एजेंसी के बेंगलुरु मुख्यालय ने एक बयान में कहा कि ‘लूनर ऑर्बिट इंसर्शन’ (एलओआई) प्रक्रिया सुबह नौ बजकर दो मिनट पर सफलतापूर्वक पूरी हुई . इसरो ने कहा, ‘‘ यह पूरी प्रक्रिया 1,738 सेकेंड की थी और इसके साथ ही चंद्रयान2 चंद्रमा की कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित हो गया.’’
#WATCH Indian Space Research Organisation (ISRO) Chief K Sivan explains the intricacies of the #Chandrayaan2 mission using a miniature model. pic.twitter.com/Wqux0EflWZ
— ANI (@ANI) August 20, 2019
इसरो ने कहा कि इसके बाद यान को चंद्रमा की सतह से लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर चंद्र ध्रुवों के ऊपर से गुजर रही इसकी अंतिम कक्षा में पहुंचाने के लिए चार और कक्षीय प्रक्रियाओं को अंजाम दिया जाएगा.
बेंगलूरु के नजदीक ब्याललू स्थित इंडियन डीप स्पेस नेटवर्क (आईडीएसएन) के एंटीना की मदद से बेंगलूरू स्थित ‘इसरो, टेलीमेट्री, ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क’ (आईएसटीआरएसी) के मिशन ऑपरेशन्स कांप्लेक्स (एमओएक्स) से यान की स्थिति पर लगातार नजर रखी जा रही है.
देश के कम लागत वाले अंतरिक्ष कार्यक्रम को पंख लगाते हुए इसरो के सबसे शक्तिशाली तीन चरण वाले रॉकेट जीएसएलवी-एमके3-एम1 ने आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से 22 जुलाई को चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण किया था. प्रक्षेपण के बाद चंद्रयान-2 ने गत 14 अगस्त को पृथ्वी की कक्षा से निकलकर चंद्र पथ पर आगे बढ़ना शुरू किया था.
इसरो का यह अब तक का सबसे जटिल और सबसे प्रतिष्ठित मिशन है. यदि सब कुछ सही रहता है तो रूस, अमेरिका और चीन के बाद भारत, चांद की सतह पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने वाला चौथा देश बन जाएगा. ‘चंद्रयान-2’ मिशन भारत के लिए इसलिए भी बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि चांद के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में अभी तक कोई देश नहीं पहुंचा है.
इससे पहले गत 15 जुलाई को रॉकेट में तकनीकी खामी का पता चलने के बाद ‘चंद्रयान-2’ का प्रक्षेपण टाल दिया गया था. समय रहते खामी का पता लगाने के लिए वैज्ञानिक समुदाय ने इसरो की सराहना की थी. ‘चंद्रयान-2’ चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में उतरेगा जहां अभी तक कोई देश नहीं पहुंच पाया है. इससे चांद के अनसुलझे रहस्य जानने में मदद मिलेगी . यह ऐसी नयी खोज होगी जिसका भारत और पूरी मानवता को लाभ मिलेगा.
पहले चंद्र मिशन की सफलता के 11 साल बाद इसरो ने भू-स्थैतिक प्रक्षेपण यान जीएसएलवी-मार्क ... के जरिए 978 करोड़ रुपये की लागत से बने ‘चंद्रयान-2’ का प्रक्षेपण किया. स्वदेशी तकनीक से निर्मित ‘चंद्रयान-2’ में कुल 13 पेलोड हैं. आठ ऑर्बिटर में, तीन पेलोड लैंडर ‘विक्रम’ और दो पेलोड रोवर ‘प्रज्ञान’ में हैं.
लैंडर ‘विक्रम’ का नाम भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान कार्यक्रम के जनक डॉ. विक्रम ए साराभाई के नाम पर रखा गया है. दूसरी ओर, 27 किलोग्राम वजनी ‘प्रज्ञान’ का मतलब संस्कृत में ‘बुद्धिमता’ है. ऑर्बिटर, चंद्रमा की सतह का निरीक्षण करेगा और पृथ्वी तथा ‘चंद्रयान-2’ के लैंडर ‘विक्रम’ के बीच संकेत प्रसारित करेगा.
लैंडर ‘विक्रम’ को चंद्रमा की सतह पर भारत की पहली सफल लैंडिंग के लिए डिज़ाइन किया गया है. ‘प्रज्ञान’ नाम का रोवर कृत्रिम बुद्धिमता (आर्टिफिशियल इन्टेलिजेन्स) संचालित 6-पहिया वाहन है. इसरो के अनुसार चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव रोचक जगह है जहां उत्तरी ध्रुव के विपरीत अंधकार छाया रहता है.
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Source: IOCL





















