जानिए, देश में क्यों है कैश की किल्लत, सरकार ने अब तक क्या कदम उठाए हैं
Cash Crunch: आखिर क्या वजह है कि उत्तर प्रदेश , बिहार , राजस्थान , महाराष्ट्र , गुजरात , मध्य प्रदेश , कर्नाटक , तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के विभिन्न शहरों में ज्यादातर एटीएम खाली हैं, लोगों को कैश नहीं मिल रहा है? जानें सबकुछ-
नई दिल्ली: देश को एक बार फिर नोटबंदी की याद आ रही है. जब लोगों के पास रोजमर्रा की जरूरतों तक को पूरा करने के लिए पैसे नहीं थे. एटीएम के बाहर घंटों इंतजार करना होता था और फिर भी हाथ में कैश नहीं आता. इसके पीछे का कारण था कि मोदी सरकार ने 500 और 1000 रुपये के पुराने नोट को चलन से बाहर कर दिया था. लेकिन आज न तो किसी नोट को चलन से बाहर किया गया और न ही नोटबंदी जैसा कोई फैसला लिया गया है. तो आखिर क्या वजह है कि उत्तर प्रदेश , बिहार , राजस्थान , महाराष्ट्र , गुजरात , मध्य प्रदेश , कर्नाटक , तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के विभिन्न शहरों में ज्यादातर एटीएम खाली हैं, लोगों को कैश नहीं मिल रहा है?
कैश की किल्लत पर सरकार का कहना है कि कुछ क्षेत्र में नकदी (कैश) की कमी अचानक मांग बढ़ने से हुई है. वहीं आरबीआई का कहना है कि त्योहार की वजह से नकदी की मांग बढ़ी है. इसलिए समस्या आई है. इसे दो से तीन दिनों के भीतर ठीक कर लिया जाएगा. सरकार और शीर्ष बैंकों की इस दलील पर विपक्षी दल सवाल उठा रहे हैं. कांग्रेस का कहना है कि मोदी सरकार ने बैंकिंग सिस्टम को ध्वस्त कर दिया है. उसके पास कोई रणनीति नहीं है.
कैश की किल्लत के कई कारण हैं.-
1. एटीएम कैलिब्रेशन: कैश की कमी की बड़ी वजह एटीएम कैलिब्रेशन है. दरअसल देशभर में पुराने एटीएम हैं, जिसकी वजह से 200 रुपये के नोट एटीएम में नहीं डाले जा रहे हैं. रिजर्व बैंक के मुताबिक, देश के कुछ हिस्सों में नकदी संकट की एक वजह एटीएम को तेजी से भरने में लॉजिस्टिक की समस्या है. साथ ही एटीएम को नए जारी नोट के अनुकूल बनाने का काम भी चल रहा है. ध्यान रहे की नोटबंदी के ठीक बाद 2000 रुपये के नोट के साथ भी यही समस्या आई थी. एटीएम 2000 रुपये के अनुकूल नहीं थे, जिसकी वजह से एटीएम में ये नोट नहीं डाले जा रहे थे. लोगों ने तब सवाल उठाया था कि बगैर तैयारी के कैसे 2000 रुपये के नोट छापने का फैसला किया गया?
2. 2000 रु. के नोटों की छपाई नहीं: पिछले कुछ महीनों से 2,000 रुपये के नोट की छपाई रुकी हुई है. जिसकी वजह से भी लोगों को उतने वैल्यू का नोट नहीं मिल रहा है. इसको इस तरह समझ सकते हैं कि अगर दो हजार के नोटों से एटीएम को भरा जाता है तो 60 लाख रुपये तक के वैल्यू के नोट आ जाते हैं. वहीं पांच सौ, दो सौ और सौ रुपये के नोटों से ये क्षमता करीब 15 से 20 लाख रुपये ही रहती है. हालांकि आर्थिक मामलों के सचिव एस सी गर्ग ने कहा कि 2,000 के नोट की और आपूर्ति करने की जरूरत नहीं है क्योंकि यह पहले से ही अत्यधिक आपूर्ति की स्थिति में है.
3. क्या इंक और कागज की है कमी?: 500 और 1000 रुपये के पुराने नोट पर प्रतिबंध के बाद उतने ही वैल्यू के नए नोट छापे जाने का लक्ष्य रखा गया. नए नोट बाजार में आए. इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, अब नोटों की छपाई करने वाले प्रेस को उच्च क्वालिटी के इंक और पेपर की कमी का सामना करना पड़ रहा है. इसकी वजह से भी कैश की कमी आई है. आपको बता दें कि नोट छपाई वाले 95 प्रतिशत कागज अमेरिका, इंग्लैंड और जर्मनी की कंपनियों से खरीदे जाते हैं.
4. जमाखोरी भी है वजह: उद्योग से जुड़े जानकारों का मानना है कि नकदी की कमी 2000 रुपये के नोटों को जमा करने की वजह से पैदा हुई है. कांग्रेस ने मंगलवार को आरोप लगाया कि बीजेपी ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव में इस्तेमाल करने के लिए 2000 रुपये के नोट जमा कर लिए हैं, जिसके कारण इन नोटों की कमी हो गई है. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी 2000 रुपये के नोटों की कमी को साजिश करार दिया है.
नकदी संकट से निपटने के लिए सरकार ने उठाए ये कदम? 5 गुना हुई नोटों की छपाई: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने कहा है कि आरबीआई के वॉल्ट्स और करेंसी चेस्ट्स में पर्याप्त नकदी हैं और देश के चारों नोट छापने वाले प्रिटिंग प्रेस में छपाई बढ़ा दी गई है. 'असामान्य' मांग को देखते हुए सरकार ने 500 रुपये के नोट की छपाई पांच गुना अधिक करने का फैसला किया है. इस प्रकार एक महीने में 70,000 से 75,000 करोड़ रुपये के नोट छाप लिये जाएंगे.
3 शिफ्ट में नोटों की छपाई: देवास जिले में स्थित बैंक नोट प्रेस में नोटों की छपाई का काम तीनों पाली (शिफ्ट) में शुरू हो गया है. बैंक नोट प्रेस के सूत्रों के अनुसार, अभी तक दो पाली में ही नोट छपाई का काम चल रहा था, लेकिन मंगलवार से तीनों पालियों में नोट छपाई का काम शुरू हो गया है. देवास में 500 तथा 200 रुपये मूल्य के नोट छापे जा रहे हैं.