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Bengal SSC Scam: बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाले पर जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय का खास इंटरव्यू, कथित भ्रष्टाचार पर रखी अपनी राय

Justice Gangopadhyay Interview: कलकत्ता हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय ने एबीपी आनंद को दिए विशेष साक्षात्कार में बंगाल एसएससी घोटाला समेत कई मुद्दों पर सवालों के बेबाक जवाब दिए हैं.

Justice Abhijit Gangopadhyay Exclusive Interview: पश्चिम बंगाल के कथित शिक्षक भर्ती घोटाला (Bengal SSC Scam) मामले में सीबीआई (CBI) जांच का आदेश देने वाले कोलकाता हाईकोर्ट (Calcutta High Court) के जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय (Justice Abhijit Gangopadhyay) ने एबीपी आनंद (ABP Ananda) को इंटरव्यू दिया है. एबीपी आनंद के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट सुमन डे (Suman De) से उन्होंने बातचीत की जो इस प्रकार है-

पश्चिम बंगाल में शिक्षकों की भर्ती और तबादले से जुड़े कथित भ्रष्टाचार के मामले पर आप इतना कड़ा रुख कैसे अपनाते हैं?

बहुत भ्रष्टाचार हुआ है जो सतह पर आ रहा है. एक बार में बेरोजगार था इसलिए उन युवा पुरुषों और महिलाओं का दर्द अच्छे से महसूस कर सकता हूं जिनके पास रोजगार नहीं है. जब मुझे लगा कि वास्तविक शिकायत के दो पहलू हैं तो गहन जांच का आदेश देने में समय बर्बाद नहीं किया.

एक न्यायमूर्ति के रूप में इस रुख के पीछे आपकी विचार प्रक्रिया क्या था?

मुझे पक्का यकीन है कि अगर किसी ने स्कूल शिक्षक के रूप में भर्ती होने के लिए बेईमानी का रास्ता अपनाया है तो एक बार दोषी साबित होने पर उसकी नौकरी चली जाएगी. इसलिए गलत रास्ते पर चलकर किसी को आत्मसंतुष्ट नहीं होना चाहिए. मैंने जांच पूरी किए जाने के लिए एक समय सीमा निर्धारित की है क्योंकि राजनेता बहुत चालाक लोग होते हैं. अगर उचित और समय से जांच नहीं होती है तो वे बच जाएंगे.

ममता बनर्जी और अभिषेक बनर्जी आपकी भारी आलोचना की जाती है, जो अक्सर सार्वजनिक मंचों से आरोप लगाते हैं कि न्यायपालिका प्रणाली राजनीतिक रूप से पक्षपाती है. आप इसे कैसे देखते हैं?

मुंझे इस तरह के बयान बिल्कुल पसंद नहीं हैं. जब अभिषेक बनर्जी ने पहली बार सार्वजनिक मंच से आलोचना की तब में लद्दाख में था. मुझे इस पर बहुत गुस्सा आया. इन टिप्पणियों में मेरे कुछ काम भी शामिल किए गए. मैंने एक नियम बनाने और अभिषेक बनर्जी को तलब करने के बारे में सोचा. मैंने सोचा कि कानून का गंभीर रास्ता अपनाऊं और कुछ कठोर कदम उठाऊं. मैं दृढ़ था लेकिन जब मैं कोलकाता वापस लौटा तो देखा कि डिवीजन बेंच में पहले ही एक मुकदमा दायर किया जा चुका है और डिवीजन बेंच ऐसे लोगों को इतना महत्व देने के लिए तैयार नहीं थी. 

तो तब आपका क्या रुख था?

इस मामले पर मेरा अलग रुख था. अगर मैं निकट भविष्य में मुझे गलत तरीके शामिल किए जाने वाली टिप्पणी सुनता हूं तो ऐसी कठोर कार्रवाई करूंगा जिसकी वे कभी कल्पना भी नहीं कर सकते हैं. जो इस तरह की टिप्पणियां करते हैं, उन लोगों को पता भी नहीं है कि कानून के दायरे में क्या किया जा सकता है. एक बार न्यायपालिका सख्त रुख अपना लेती है तो लोग सोच भी नहीं कर सकते हैं कि क्या हो सकता है.

लेकिन एक कार्यक्रम में आप मौजूद थे और सीएम ममता बनर्जी ने आरोप लगाया था कि न्यायपालिका प्रणाली का एक हिस्सा पक्षपाती है...

हां. मैं हमेशा यकीन करता हूं कि जब कोई किसी जज की तरफ इशारा करे और कुछ अपमानजनक कहे तो कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए. मैं सबको चुप नहीं करना चाहता हूं. मैं हमेशा अभिव्यक्ति की आजादी के पक्ष में हूं लेकिन वहां निश्चित रेखाएं होनी चाहिए जिन्हें पार नहीं किया जाना चाहिए ताकि न्यायपालिका प्रणाली से लोगों का विश्वास नहीं उठे. वे राजनीतिक घेरे को लेकर भेदभाव करेंगे. लोग कहेंगे कि यह जज बीजेपी का है, फलां जज टीएमसी का करीबी है तो कोई माकपा का. यह वास्तव में अवांछित है. क्या एक नेता को ऐसे बोलना चाहिए? मुझे कल अभिषेक बनर्जी के भाषण की एक क्लिप मिली और वह क्लिप मेरे पास है. मेरे बारे में कुछ नहीं कहा गया लेकिन उन्होंने कहा कि बीजेपी कार्यकर्ताओं और नेताओं को कलकत्ता हाई कोर्ट में मदद तो मिलती है और कोई अपराध करने के बाद जमानत मिल जाती है क्योंकि कुछ जजों को बीजेपी का समर्थन है. यह किस तरह की टिप्पणी है? अगर मैं उन्हें (अभिषेक बनर्जी) तलब करूं और उनकी बात साबित करने के लिए कहूं तो वह कुछ भी साबित नहीं कर सकते हैं. उन्हें तीन महीने के लिए सलाखों के पीछे भेज दिया जाएगा. वह कुछ नहीं कर सकते हैं. हां, मुझे बाद में मारा जा सकता है लेकिन मुझे परवाह नहीं है लेकिन जो लोग न्यायपालिका पर उंगली उठाते हैं, उन्हें बख्शा नहीं जाएगा. नहीं तो आम लोगों का न्यायपालिका से भरोसा उठ जाएगा.

तो क्या आप एक आतंक पैदा करने के बारे में बोल रहे हैं कि कानून आपको बख्शेगा नहीं अगर इसके प्रति सम्मान नहीं दिखाया?

हां, मुझे विश्वास है कि कभी कभार आतंक पैदा करना भी अच्छा परिणाम देता है. उदाहरण के लिए, कुछ होम्योपैथी दवाएं हैं जो दांत दर्द या सिरदर्द को तुरंत ठीक कर देती हैं लेकिन यह आतंकवाद नहीं है. यह पूरी तरह से अलग है और इसकी तुलना आतंकी गतिविधियों से नहीं की जा सकती है. यह आतंक कानून आधारित है. भारत पर कभी सही से शासन नहीं किया गया है. अगर वे करते तो एक निश्चित प्रकार का अनुशासन होता. अगर न्यायपालिका सख्त होती है तो जो लोग भ्रष्टाचार का रास्ता अपना रहे हैं, वे अपने आपको खतरे में देखेंगे. मैं बस यह कहना चाहता हूं, साफ और स्पष्ट.

शिक्षकों की भर्ती और तबादले में कथित भ्रष्टाचार को लेकर आपकी राय...

मैंने बचपन से भ्रष्टाचार देखा है. जब मैंने मामले की सुनवाई शुरू की तो देखा कि एक स्वीकृत भ्रष्टाचार था जब एक अथॉरिटी ने दावा किया कि उसने किसी की सिफारिश नहीं की और पश्चिम बंगाल मध्य शिक्षा परिषद ने पलटवार किया कि उसने उस सिफारिश के आधार पर भर्ती की सुविधा प्रदान की. एक पक्ष कह रहा था कि उसने सिफारिश नहीं की और बोर्ड तदर्थ समिति के प्रमुख कल्याणमय गांगुली ने दावा किया कि उन्होंने उससे अनुमति लेकर भर्ती की. हमारे सामने दो अलग-अलग हलफनामे पेश किए गए. दो विरोधाभासी वर्जन. मुझे यकीन था कि कुछ भ्रष्टाचार शामिल है.

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