यूपी के कुछ शहरों में बर्थ सर्टिफिकेट बनवाने के लिए भीड़ बढ़ी, 70 साल के बुजुर्ग भी बनवा रहे हैं प्रमाण पत्र
यूपी के कुछ जिलों में जन्म प्रमाण पत्र बनाने के लिए भीड़ बढ़ने लगी है. यूपी के हापुड़ में सत्तर साल के लोग भी जन्म प्रमाण पत्र बनवाने पहुंच रहे हैं. 50-60 साल पुराने लोगों को जन्म प्रमाण पत्र जारी करने के लिए साक्ष्य नहीं मिल पा रहे हैं.

नई दिल्ली: देश में नागरिकता कानून लागू हो चुका है. कुछ लोगों ने नागरिकता कानून को लेकर गलत अफवाह फैलाई जिसके चलते हिंसा भी हुई. अब शायद एक अफवाह और फैलाई जा रही है कि नागरिकता कानून की तरह ही कुछ दिन बाद एनआरसी भी लागू किया जाएगा और उनकी नागरिकता चली जाएगी. शायद यही कारण है कि अब यूपी के अलग-अलग शहरों में नगर पालिका दफ्तर में लोगों की भीड़ बढ़ने लगी है. सब जल्द से जल्द अपना जन्म प्रमाण पत्र बनवान चाहते .
यूपी के अलग अलग इलाकों में नागरिकता कानून के विरोध में भड़की हिंसा के पीछे अफवाह और भम्र बड़ी वजह रही. पुलिस की कोशिश के बाद अभी हालात थोड़े काबू में आने शुरू हुए थे कि बाजार में नया भम्र पैर पसार रहा है. अब इस भ्रम के चक्कर में लोग लाइनों में लग गए हैं.
यूपी के हापुड़ में 50 साल, 60 साल और 70 साल के लोग जन्म प्रमाण पत्र बनाने के लिए पहुंच रहे हैं. लोगों में डर है कि नागरिकता कानून के बाद एनआरसी आएगा और अगर उनके पास बर्थ सर्टिफिकेट नहीं हुआ तो उनकी नागरिकता चली जाएगी और वो घुसपैठिए घोषित हो जाएंगे. हापुड़ के नगर पालिका दफ्तर के अधिकारी बता रहे हैं कि पहले हफ्ते में एक दो लोग जन्म प्रमाण पत्र बनवाने आते थे लेकिन अब पिछले एक हफ्ते में 500 से ज्यादा जन्म प्रमाण पत्र के आवेदन दफ्तर में पहुंच चुके हैं. दिक्कत ये है कि 50-60 साल पुराने लोगों को जन्म प्रमाण पत्र जारी करने के लिए साक्ष्य नहीं मिल पा रहे हैं.
सिर्फ हापुड़ नहीं बुलंदशहर में भी लोग नागरिकता जाने के डर से जन्म प्रमाण पत्र बनवाने के लिए बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं. बुलंदशहर नगर निगम के अधिकारी ने ABP न्यूज को बताया कि अफवाहों के चलते जन्म प्रमाण पत्र बनवाने के लिए ज्यादा लोग पहुंच रहे हैं. यूपी के मेरठ में भी नगर पालिका दफ्तर की खिड़कियों पर भीड़ लग रही है. यहां भी पहले से ज्यादा लोग जन्म प्रमाण पत्र बनवाने के लिए पहुंच रहे हैं.
पीएम नरेंद्र मोदी बार-बार समझा रहे हैं कि CAA नागरिकता देने का कानून है और इससे किसी नागरिकता नहीं जाएगी. एनआरसी पर पीएम ने साफ कर दिया कि उसका तो अभी ब्लूप्रिंट भी तैयार नहीं हुआ है. एनआरसी अभी सिर्फ असम में लागू हुआ है. वहां भी सरकार ने नागरिकता साबित करने के लिए जनता से 14 में से एक कागज मांगा है.
कौन से वो 14 कागज?
1951 का एनआरसी, 24 मार्च 1971 तक की मतदाता सूची, जमीन या किराए का रिकॉर्ड, नागरिकता प्रमाणपत्र, स्थायी नागरिकता प्रमाणपत्र, सरकार द्वारा जारी कोई लाइसेंस/सर्टिफिकेट, सरकारी नौकरी या रोजगार प्रमाण पत्र, बैंक या पोस्ट ऑफिस खाता, जन्म प्रमाणपत्र, राज्य शैक्षणिक बोर्ड का शैक्षणिक प्रमाणपत्र, कोर्ट का रिकॉर्ड/प्रक्रिया, पासपोर्ट, LIC की पॉलिसी और रिफ्यूजी रजिस्ट्रेशन प्रमाण पत्र. जहां तक जन्म प्रमाण पत्र बनवाने का सवाल है तो उसकी भी एक तय समय सीमा होती है.
जन्म प्रमाण पत्र को लेकर कुछ जरूरी जानकारी
- नगर निगम, नगर पालिका, नगर पंचायत या ग्राम पंचायत से बनता है. - शहरों में ऑनलाइन आवेदन करके भी बनवाये जाते हैं. - जन्म प्रमाण पत्र बनवाने के लिए अस्पताल का सर्टिफिकेट देना जरूरी है. - तय समय सीमा के अंदर ही अस्पताल का सर्टिफिकेट मान्य होता है. - जन्म प्रमाण पत्र की प्रक्रिया साल 1988 के बाद शुरू हुई. - 1988 तक जन्मे लोगों के लिए दसवीं का सर्टिफिकेट ही जन्म प्रमाण पत्र है.
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Source: IOCL





















