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Octroi Post: बाघा-हुसैनीवाला के बाद अब जम्मू कश्मीर बॉर्डर पर भी देख सकेंगे बीटिंग रिट्रीट, पर्यटकों के लिए खोली गई पोस्ट
Octroe Post: ओक्ट्रोए बीओपी जम्मू-कश्मीर की पहली ऐसी, सीमा-चौकी है जहां पर्यटक बिना किसी रोक-टोक के आ सकते हैं. पाकिस्तान का सियालकोट शहर यहां से महज 11 किलोमीटर की दूरी पर है.
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Octroe Post: स्वतंत्रता दिवस के मौके पर अगर आप गर्व महसूस करना चाहते हैं तो जम्मू के करीब पाकिस्तान सीमा पर ओक्ट्रोए पोस्ट में आपका स्वागत है. बीएसएफ ने इस सीमा-चौकी को हर वीकेंड पर्यटकों के लिए खोल दिया है. यहां पर आप पाकिस्तान की चौकी को बेहद करीब से देखकर सेल्फी ले सकते हैं. साथ ही बीएसएफ के जवानों की जोशीली बीटिंग-रिट्रीट सेरेमनी भी देख सकते हैं, जिसे देखकर आपकी रगों में भी देश-प्रेम उमड़ने लगेगा.
यहां विदेशी पर्यटक भी पहुंचते हैं
पाकिस्तान सीमा पर बीटिंग-रिट्रीट सेरेमनी अभी तक पंजाब के अटारी-वाघा (अमृतसर) और हुसैनीवाला (फिरोजपुर) बॉर्डर पर ही होती थी. रोजाना शाम को बड़ी संख्या में लोग यहां बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स यानि बीएसएफ के लंबे-चौड़े जवानों की मार्च-पास्ट और तिरंगे को नीचे उतारने की सेरेमनी देखने आते हैं. सामने पाकिस्तान के पाक-रेंजर्स (सीमा सुरक्षाबल) के जवानों से मार्च पास्ट में जोर-आजमाइश देखने को लोग बेहद पसंद करते हैं. भारत पाकिस्तान की इस सेरेमनी को देखने के लिए विदेशी पर्यटक भी पहुंचते हैं.
पाकिस्तानी जवान शामिल नहीं होते
यही वजह है कि बीएसएफ की जम्मू-फ्रंटियर ने ओक्ट्रोए बीओपी यानि बॉर्डर आउट पोस्ट पर भी बीटिंग-रिट्रीट सेरेमनी सप्ताह के आखिरी दो दिन यानि शनिवार और रविवार को शुरु कर दी है. खास आयोजनों पर भी यहां ये आयोजन किया जाता है. यहां पर सिर्फ बीएसएफ के जवान ही मार्च-पास्ट और राष्ट्रीय-ध्वज उतारने की कार्यक्रम करते हैं, इसमें पाकिस्तानी जवान शामिल नहीं होते हैं. ओक्ट्रोए बीओपी जम्मू शहर से करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर है. सीमावर्ती गांव और खेत-खलहानों के बीच बनी सड़क के जरिए आप यहां आसानी से पहुंच सकते हैं.
ओक्ट्रोए चौकी का ऐतिहासिक महत्व
ओक्ट्रोए चौकी का ऐतिहासिक महत्व है. 1947 के बंटवारे से पहले तक यहां पाकिस्तान से ट्रेन तक आती थी. पाकिस्तान का सियालकोट शहर यहां से महज 11 किलोमीटर की दूरी पर है, जबकि लाहौर 100 किलोमीटर दूर है. पाकिस्तान से जो भी सामान यहां पहुंचता था उसपर चुंगी-कर लगता था. यही वजह है कि इस जगह का नाम ओक्ट्रोए पड़ गया. एबीपी न्यूज की टीम जब हाल ही में यहां पहुंची तो बीएसएफ के अधिकारियों ने बताया कि पिछले साल यानि फरवरी 2021 में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम समझौता हुआ था.
पाकिस्तान की तरफ से गोला-बारी बंद
ये समझौता एलओसी के लिए था लेकिन इस करार के बाद से जम्मू से सटे बॉर्डर पर भी पाकिस्तान की तरफ से गोला-बारी और फायरिंग लगभग बंद हो गई है. जबकि इससे पहले तक पाकिस्तान की तरफ से रोजाना गोलीबारी और स्नाईपर फायरिंग होती रहती थी जिसमें बीएसएफ के जवानों के साथ में सीमावर्ती गांव में रहने वाले लोग हताहत और उनके घरों नुकसान पहुंचता था. लेकिन पिछले डेढ़ साल से सीमा पर शांति के चलते पर्यटकों के लिए ये जगह खोल दी गई है. देशवासियों के लिए ही यहां बीटिंग-रिट्रीट सेरेमनी का आयोजन किया जा रहा है.
यहां देखने के लिए कई चीजें
ओक्ट्रोए बीओपी जम्मू-कश्मीर की पहली ऐसी सीमा-चौकी है जहां पर्यटक बिना किसी रोक-टोक के आ सकते हैं. यहां पर पर्यटक भारत और पाकिस्तान के बीच लगी फैंस यानि कटीली तार भी देख सकते हैं. साथ ही पैट्रोलिंग करते जवान भी दिखाई पड़ सकते हैं. इसके अलावा दोनों देशों के बीच की जीरो-लाइन और दोनों देशों के कमांडर्स के बीच एक चबूतरे पर होने वाली फ्लैग-मीटिंग वाली जगह भी देख सकते हैं. हाल के दिनों में कई बालीवुड और ओटीटी स्टार यहां बीएसएफ जवानों का जोश और जुनून देखने के लिए पहुंचे हैं. इसी हफ्ते ओटीटी की सुपरहिट सीरिज, पंचायत के स्टार और डायरेक्टर यहां पहुंचे थे और बीएसएफ के जवानों का उत्साह बढ़ाया था.
इसलिए नहीं बोती बीटिंग-रिट्रीट
अटारी-वाघा बॉर्डर की तरह पाकिस्तानी जवान ओक्ट्रोए सीमा पर आयोजित बीटिंग-रिट्रीट सेरेमनी में हिस्सा क्यों नहीं लेते हैं, ये भी एक अहम सवाल है. पता चला कि जम्मू-आरएसपुरा सेक्टर और सांभा-कठुआ-हीरानगर तक यानि जहां से पंजाब राज्य की सीमा शुरु नहीं हो जाती, वहां तक पाकिस्तान इस सीमा को इंटरनेशनल बाउंड्री (आईबी) नहीं मानता है. वो इसे वर्किंग-बाउंड्री मानता है. यही वजह है कि पाक-रेंजर्स बीएसएफ के साथ बीटिंग-रिट्रीट समारोह में शामिल नहीं होते है.
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