बॉम्बे हाई कोर्ट का बड़ा फैसला- पुरुष को 'नपुंसक' कहना मानहानि के तहत अपराध
बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बैंच ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा है कि किसी भी व्यक्ति के लिए नपुंसक शब्द का इस्तेमाल करना मानहानी के दायरे में आएगा.

महाराष्ट्र: बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बैंच ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा है कि किसी भी व्यक्ति के लिए नपुंसक शब्द का इस्तेमाल करना मानहानि के दायरे में आएगा. बेंच ने कहा कि इस तरह के शब्द व्यक्ति की मनोदशा पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं और इसलिए यह एक तरह का अपराध है.
दरअसल कोर्ट ने यह फैसला एक महिला की अर्जी को खारिज करते हुए सुनाया जिसमें उसने अपने पति के शारीरिक शक्ति और संबंध पर सवाल उठाए थे. मामले की सुनवाई कर रही सिंगल बैंच के जज सुनिल शुखरे ने कहा कि नपुंसक शब्द का इस्तेमाल जिसके लिए किया जाता है वह उसे झकझोर देता है और उसके मनोदशा पर इसका गलत प्रभाव पड़ता है. उन्होंने कहा कि धारा 499 (प्रतिष्ठा का नुकसान) के रूप में इसका इस्तेमाल धारा 500 (मानहानी) के तहत एक अपराध की श्रेणी में माना जाएगा.
बता दें कि एक महिला ने अपने पति के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी. महिला का उसके पति के साथ संबंध अच्छा नहीं चल रहा था. दोनों के बीच संबंध और खराब हो गए जब उनके घर बेटी ने जन्म लिया. दोनों के बीच मतभेद होने पर 21 नवंबर 2016 में महिला ने अपना ससुराल छोड़ दिया. ससुराल छोड़ने के कुछ समय बाद उसने फैमली कोर्ट में तलाक की अर्जी दाखिल की. निचली अदालत ने बच्चे की कस्टडी पिता को देदी जिसके बाद महिला ने इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी. हाई कोर्ट में पत्नी ने पति के शारिरिक शक्ति पर सवाल उठाए. जिसके बाद पति ने धारा 500 और 506 के तहत मानहानि का केस किया और फिर मामले की जांच की गई.
आज कोर्ट में महिला ने कहा कि वह अपने पति के खिलाफ नपुंशक शब्द का इस्तेमाल नहीं करना चाहती थी लेकिन उसके पति के आचरण की वजह से उसने ऐसा किया. कोर्ट ने सुनवाई के दैरान कहा कि महिला ने ऐसे अपने पति के प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचने के लिए किया था. साथ ही उसने अपने पति को धमकी भी दी थी कि अगर उसके पति ने उसकी बात नहीं मानी तो वह उसके सम्मान को ठेस पहुंचाएगी.
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