BMC चुनाव से पहले BJP-शिवसेना में खींचतान, उद्धव बोले- ‘अभी नहीं आया BJP से प्रस्ताव’

मुंबई: लोकसभा और विधानसभा के बाद महाराष्ट्र के सबसे बड़े चुनाव मुंबई के बीएमसी के लिए चुनावी डंका बज गया है. 37 हजार करोड़ के बजट वाला बीएमसी चुनाव इस बार शिवसेना के लिए करो या मरो का चुनाव बन गया है. हालांकि अभी तक ये साफ नहीं हो पाया है कि हर बार की तरह इस बार भी शिवसेना और बीजेपी एक साथ चुनाव लडेंगे या अलग-अलग.
मुंबई बृहनमुंबई म्यूनिस्पल कॉर्पोरेशन के चुनाव की तारीख का ऐलान हो गया है और इसी के साथ शुरु हो गयी है, पार्टियों के बीच नाक की लड़ाई.
महाराष्ट्र में मुंबई सहित सभी 10 महानगरपालिकाओं का चुनाव होगा. 21 फरवरी को वोटिंग होगी और 23 फरवरी को इसके नतीजे आएंगे. इसके साथ ही 25 ज़िला परिषदों और पंचायत समितियों के भी चुनाव होंगे.
इस बार बीएमसी पर कब्ज़े की लड़ाई काफी दिलचस्प होने वाली है, क्योंकि कांग्रेस और एनसीपी ने अलग-अलग चुनाव लड़ने का फैसला किया है. इधर पिछले 20 सालों से बीएमसी पर काबिज़ शिवसेना-बीजेपी गठबंधन के बीच भी अलगाव की खबरें आ रही हैं. उद्धव ठाकर ने कहा है कि अभी तक उन्हें गठबंधन के लिए कोई प्रस्ताव बीजेपी की ओर से नहीं मिला है.
आपको जानकर हैरानी होगी कि बीएमसी का जितना बजट है, उतना देश के कई राज्यों का मिलाकर भी बजट नहीं है.
- अरुणाचल प्रदेश का बजट है 12500 करोड़
- मणिपुर का बजट है 10500 करोड़
- मिज़ोरम का बजट है 8000 करोड़
- सिक्कम का बजट है 5800 करोड़
सबको मिला दिया जाए तो चारों राज्यों का कुल बजट होता है 36800 करोड़, लेकिन अकेले बीएमसी का बजट 37 हज़ार करोड़ है.
शिवेसना के लिए बीएमसी का ये चुनाव करो या मरो वाला है, वहीं बीजेपी के लिए भी परीक्षा की घड़ी है, क्योंकि नोटबंदी के बाद महाराष्ट्र के लोग पहली बार वोट करेंगे. कांग्रेस, एनसीपी और एमएनएस भी अपनी-अपनी राजनीतिक ज़मीन बचाने की कोशिशों में हैं.
बीएमसी की 227 सीटों में शिवेसना के पास 89 कॉर्पोरेटर, बीजेपी के पास 32, कांग्रेस के पास 51, एनसीपी के पास 14, एमएनएस के पास 28 और अन्य के पास 13 कॉर्पोरेटर हैं. बीएमसी पर कब्जा होने का राजनैतिक मतलब है कि महाराष्ट्र की राजधानी को अपने काबू में रखना. देखना दिलचस्प होगा कि देश की चुनावी गर्मी के बीच ममुंबई में दोस्त-दुश्मन बनेंगे या दुश्मन दोस्त बन जाएंगे.
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Source: IOCL





















