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Gyanvapi ASI Survey: सच सामने आने से डर किस बात का! ज्ञानवापी के फैसले पर बीजेपी MP बोले- मंदिर को तोड़ा गया तो पता चलना चाहिए
Gyanvapi Masjid Case: इलाहाबाद हाईकोर्ट के ज्ञानवापी मस्जिद का ASI सर्वे करने की इजाजत देने पर बीजेपी सांसद राकेश सिन्हा ने कहा कि आखिर इतिहास को जानने से किसको डर लगता है.
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Gyanvapi Mosque Case: वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर के एएसआई सर्वे को लेकर मुस्लिम पक्ष की दलीलें इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खारिज कर दी. उच्च न्यायालय के चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर की पीठ ने ASI को इमारत को बिना नुकसान पहुंचाए मस्जिद का सर्वे करने की इजाजत दी. हाईकोर्ट के इस फैसले पर बीजेपी के राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा ने एबीपी न्यूज से खास बातचीत की.
राकेश सिन्हा ने कहा कि धर्म के आधार पर राजनीतिक संस्थाओं के निर्माण पर आपत्ति जताना संविधान की मूल भावना के विरुद्ध है. जब एक बार एएसआई को हाईकोर्ट ने पहले ही इजाजत दे दी थी तो उस पर रोक नहीं लगाई जानी चाहिए थी. एएसआई का काम है इतिहास को जानना और भारत के लोगों का यह बुनियादी अधिकार है कि वह अपनी विरासत के अधिकार को जानें और समझें.
इतिहास को जानने से किसको भय लगता है?
बीजेपी सांसद ने सर्वे पर सवाल उठाने वाले लोगों से सवाल करते हुए पूछा, इस इतिहास को जानने और समझने से किसको भय लगता है, वह इसको क्यों रुकवाना चाहते हैं. उन्होंने कहा, आक्रमणकारियों ने जिन मंदिरों पर हमला किया और उनको ढहाया आखिर उन्होंने वहीं पर मस्जिद क्यों बनाई? राकेश सिन्हा ने आगे कहा, आखिर ऐसा क्या है, जिसको मुस्लिम पक्ष छिपाने की कोशिश कर रहा है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने क्या आदेश दिया?
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के सर्वेक्षण के खिलाफ अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी की याचिका गुरुवार (3 अगस्त) को खारिज कर दी. उच्च न्यायालय ने सर्वेक्षण का आदेश पारित करते हुए कहा, एएसआई के इस आश्वासन पर अविश्वास करने का कोई कारण नहीं है. कोर्ट ने ये भी बताया कि सर्वे से ढांचा क्षतिग्रस्त नहीं होगा, लेकिन उसने सर्वेक्षण के दौरान किसी तरह की खुदाई नहीं किए जाने का भी निर्देश दिया.
हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा, अदालत ने मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज कर दी है. कोर्ट ने कहा है कि उसके इस फैसले के साथ ही जिला अदालत का सर्वेक्षण प्रभावी हो गया है. इससे पूर्व अंजुमन इंतेजामिया की दलील थी कि उनको हाईकोर्ट जाने का मौका नहीं मिला, इसलिए अदालत ने उसकी दलीलों पर सुनवाई की.
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