27 महीने, 31 महीने और 52 दिन... दिल्ली में BJP नहीं दोहराएगी 27 साल पुरानी गलती
Delhi Election Result: दिल्ली में बीजेपी ने 27 साल बाद वापसी की है. पार्टी ने 1993 में पहली बार सरकार बनाई थी और मदन लाल खुराना पहले मुख्यमंत्री बने थे.

BJP Delhi CM: दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को भारी जीत मिले दस दिन से ज्यादा हो चुके हैं. बीजेपी के विधायक दल की होने वाली बैठक में मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा की जा सकती है, इसके लिए पर्यवेक्षक बना दिए हैं. गुरुवार (20 फरवरी, 2025) को शपथग्रहण होगा और दिल्ली को नया मुख्यमंत्री मिल जाएगा.
दो दशक से ज्यादा का समय बीतने के बाद भगवा पार्टी ने दिल्ली में वापसी की है. बीजेपी ने पहली बार 1993 के विधानसभा चुनावों में दिल्ली में सत्ता हासिल की थी. उस समय पार्टी ने राम मंदिर आंदोलन की लहर में एकतरफा जीत हासिल की थी और मदन लाल खुराना दिल्ली में बीजेपी के पहले मुख्यमंत्री बने. हालांकि, इस दौरान पार्टी को चुनौतियों का सामना भी करना पड़ा. पार्टी को 5 साल के कार्यकाल में तीन बार मुख्यमंत्री बदलने पड़े.
बीजेपी को कब-कब और क्यों बदलने पड़े मुख्यमंत्री?
1993 में बीजेपी ने मदन लाल खुराना को दिल्ली का मुख्यमंत्री नियुक्त किया, लेकिन हवाला कांड में शामिल होने के आरोपों की वजह से उनका कार्यकाल छोटा रहा. 1996 में उन्हें इस्तीफा देना पड़ा और इसके बाद साहिब सिंह वर्मा नए मुख्यमंत्री बने, लेकिन उन्हें भी प्याज की कीमतों में बढ़ोतरी की वजह से 1998 के चुनावों से कुछ महीने पहले पद छोड़ना पड़ा. फिर सुषमा स्वराज ने बीजेपी की तीसरी मुख्यमंत्री के रूप में पदभार संभाला, लेकिन इसके बाद हुए चुनावों में पार्टी के खराब प्रदर्शन की वजह से वापसी नहीं हो पाई और कांग्रेस ने सत्ता संभाली. कांग्रेस ने न केवल 1998 में बीजेपी से सत्ता छीन ली, बल्कि लगातार 15 साल तक शासन किया.
मदन लाल खुराना सिर्फ 27 महीने ही पद पर रह पाए. उनके बाद साहिब सिंह वर्मा को मुख्यमंत्री बनाया गया और वे 31 महीने से अधिक समय तक मुख्यमंत्री रहे. उसके बाद बीजेपी नेता सुषमा स्वराज मात्र 52 दिनों के लिए दिल्ली की मुख्यमंत्री बनीं. दिलचस्प बात यह है कि 1993 के विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी ने मुख्यमंत्री पद के लिए अपना उम्मीदवार जल्दी घोषित नहीं किया था.
तो क्या इसलिए सीएम चुनने में देरी कर रही बीजेपी
दरअसल, 1993 में जब पहली बार बीजेपी ने दिल्ली में सरकार बनाई थी, उस समय भी 70 विधानसभा सीटों में से 49 सीटें जीती थीं और 27 साल तक सत्ता से बाहर रहने के बाद बीजेपी ने एक बार फिर वापसी करते हुए 48 सीटें जीती हैं. इस बीच राजनीतिक पंडितों ने पार्टी को 90 के दशक से सामने आई चुनौतियों का हवाला देते हुए साफ-सुथरी छवि वाले उम्मीदवार को चुनने का सुझाव दिया. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जिस तरह से बीजेपी 1993 से 1998 तक सीएम बदलने पड़े, पार्टी उस स्थिति से बचना चाहती है. यही कारण है कि बीजेपी नाम तय करने में इतना समय लगा रही है.
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Source: IOCL























