तेलंगाना: विधायकों को खरीद-फरोख्त मामले में बीजेपी पहुंची हाईकोर्ट, कहा- सीबीआई करे जांच
तेलंगाना में बीजेपी और टीआरएस के बीच सियासी घमासान जारी है. पुलिस ने तीन लोगों को खरीद-फरोख्त के मामले में गिरफ्तार किया है. वहीं बीजेपी का कहना है यह एक राजनीतिक ड्रामा है.
TRS Vs BJP: तेलंगाना पुलिस ने बुधवार की रात हैदराबाद के बाहरी इलाके में एक फार्महाउस से भारी मात्रा में नकदी जब्त की, जिसे 'सत्तारूढ़ तेलंगाना राष्ट्र समिति' (टीआरएस) के चार विधायकों को पद छोड़ने के लिए पेश किया जाना था. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, चार विधायकों को कुल 250 करोड़ रुपये का ऑफर दिया गया था. वहीं पुलिस ने फार्महाउस पर मौजूद एक कार से 15 करोड़ रुपये नकद जब्त किए गए. यह भी बताया गया कि आरोपी, जिसे टीआरएस बीजेपी का एजेंट बता रही है, विधायक पायलट रोहित रेड्डी, बी हर्षवर्धन रेड्डी, जी बलराजू और रेगा कांथा राव के संपर्क में थे.
वहीं तेलंगाना बीजेपी पूरे मामले को लेकर हाई कोर्ट पहुंची है. बीजेपी के स्टेट जनरल सेक्रेटरी परमिंदर रेड्डी ने कोर्ट में याचिका दायर कर सीबीआई से जांच कराने की मांग की है. दूसरी तरफ साइबराबाद के पुलिस आयुक्त स्टीफन रवींद्र ने मीडिया को बताया कि पुलिस ने टीआरएस विधायकों की एक गुप्त सूचना पर फार्महाउस पर छापा मारा, जिन्होंने पुलिस को बताया कि उन्हें मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव के नेतृत्व वाली पार्टी छोड़ने का लालच दिया जा रहा है. आयुक्त ने कहा कि विधायकों ने पुलिस को सूचित किया कि फार्महाउस पर मौजूद तीन लोगों ने उन्हें सत्ता पक्ष के खिलाफ बगावत करने के लिए पैसे, काम के ठेके और पदों का लालच दिया. उन्होंने कहा कि आरोपी के खिलाफ कानून के अनुसार कार्रवाई की जाएगी और जांच जारी है.
250 करोड़ का ऑफर?
एनडीटीवी ने सूत्रों से हवाले से बताया कि फार्महाउस में गुप्त बातचीत में एक प्रमुख नेता को 100 करोड़ रुपये की पेशकश की गई थी. इसी के साथ प्रत्येक विधायक को 50 करोड़ की पेशकश की गई थी. पुलिस की छापेमारी के बाद टीआरएस के चार विधायकों को मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव, टीआरएस प्रमुख के घर ले जाया गया.
250 करोड़ का ऑफर?
एनडीटीवी ने सूत्रों से हवाले से बताया कि फार्महाउस में गुप्त बातचीत में एक प्रमुख नेता को 100 करोड़ रुपये की पेशकश की गई थी. इसी के साथ प्रत्येक विधायक को 50 करोड़ की पेशकश की गई थी. पुलिस की छापेमारी के बाद टीआरएस के चार विधायकों को मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव, टीआरएस प्रमुख के घर ले जाया गया.
'यह केसीआर की सरकार के खिलाफ एक साजिश थी'
टीआरएस के सोशल मीडिया संयोजक एम कृष्णक ने ट्वीट किया कि "यह बीजेपी के बड़े नेताओं द्वारा केसीआर जी की सरकार के खिलाफ एक साजिश थी." उन्होंने केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी के साथ गिरफ्तार व्यक्तियों की तस्वीरें साझा कीं. पोस्ट को मंत्री और टीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष के टी रामाराव ने भी रीट्वीट किया था.
ट्विटर पर ट्रेंड हुआ #TelanganaNotForSale
टीआरएस पार्टी के सोशल मीडिया संयोजक वाई सतीश रेड्डी ने एक वीडियो ट्वीट किया, जिसका शीर्षक था, "तेलंगाना में अमित शाह की असफल कोशिश, पार्टी बदलने के लिए विधायकों को रिश्वत देते रंगेहाथ पकड़ा गया!" इसके बाद पार्टी के समर्थकों ने ट्विटर पर "#TelanganaNotForSale" ट्रेंड करना शुरू कर दिया.
बीजेपी ने बताया राजनीतिक ड्रामा
इस बीच, बीजेपी नेतृत्व ने इस घटनाक्रम को मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव द्वारा लिखित राजनीतिक ड्रामा करार दिया है. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बंदी संजय ने बुधवार रात संवाददाताओं से कहा कि लोग सीएम द्वारा रचे गए विकास पर हंस रहे थे. उन्होंने सीएम से पिछले तीन दिनों में सीएम के आधिकारिक आवास प्रगति भवन से सीसीटीवी कैमरों की पूरी फुटेज जारी करने की मांग की. बीजेपी अध्यक्ष ने कथित "राजनीतिक नाटक" में संतों और पुजारियों को शामिल करके "हिंदू धर्म" को कलंकित करने का प्रयास करने के लिए सीएम को दोषी भी ठहराया.
'यह केसीआर का एक और नाटक था'
बीजेपी नेता और पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डीके अरुणा ने कहा कि यह टीआरएस अध्यक्ष और मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव का "एक और नाटक" था. ट्विटर पर उन्होंने राव को "सस्ती राजनीति" के लिए दोषी ठहराया और कहा कि कोई भी उपचुनाव से पहले "सिनेमा जैसी" कहानी पर विश्वास करने वाला नहीं है.
इस पूरे मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए निजामाबाद के बीजेपी सांसद अरविंद धर्मपुरी ने कहा कि टीआरएस के चार विधायक "एक और चुनाव नहीं जीतेंगे और उन्हें 100 रुपये भी नहीं मिलेंगे, 100 करोड़ रुपये भूल जाओ." उन्होंने "नाटक" के लिए टीआरएस नेतृत्व को दोषी ठहराया और नकदी के स्रोत का पता लगाने के लिए तेलंगाना हाई कोर्ट के एक मौजूदा न्यायाधीश द्वारा जांच की मांग की.
ट्रेडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
and tablets