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बिहार के डीजीपी ने किया फेसबुक लाइव, कहा- मैंने किसी दोषी को नहीं छोड़ा, कोई साबित करे तो नौकरी छोड़ दूंगा

गोपालगंज में हुई हत्याकांड के मामले में तेजस्वी यादव के बार बार निशाना बनाए जाने से आहत बिहार के DGP ने फेसबुक आकर अपना पक्ष रखा है. उनका कहना है कि बिहार की जनता इस बात पर यकीन करें कि बिहार पुलिस किसी के भी दबाव में काम नहीं कर रही है. साजिश का जांच होता है सबूत जुटाना पड़ता है. गोपालगंज मामले में भी जिस दिन सबूत मिल जाएगा. जो सबूत देना चाहते हैं दें निष्पक्ष जांच होगा.

पटनाः बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने गुरुवार को फेसबुक लाइव किया. इस दौरान उन्होंने पिछले दिनों गोपालगंज में हुए ट्रिपल मर्डर के संबंध में बात की. उन्होंने कहा कि पिछले दिनों हुई इस घटना को लेकर सोशल मीडिया पर बहुत तरह की बातें चल रही हैं. अधिकतर लोग जो पूरी तरह से घटना को नहीं जानते हैं, वो गलत अफवाहों की वजह से गलत सोच बना लेते हैं और उसी आधार पर टिपण्णी भी करते हैं. हालांकि सच्चाई को जानते हुए भी कुछ लोग गलत उद्देश्य के साथ कुछ लिखते हैं तो वो अलग बात है.

फेसबुक लाइव में डीजीपी क्या बोले

डीजीपी ने कहा कि मैं लाइव आया नहीं, मुझे ज़बरदस्ती बुलाया गया है, क्योंकि यह जरूरी नहीं है कि कोई भी घटना हो तो डीजीपी लाइव आए. हमारे ADG हेड क्वाटर ही प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हैं. मैंने डेढ़ साल में कोई पीसी नहीं की है, लेकिन इस बार मुझे जबरदस्ती आना पड़ा. बिहार में इससे पहले भी कई नरसंहार हुए हैं, लेकिन कभी डीजीपी को फेसबुक लाइव नहीं आना पड़ा, क्योंकि उसकी जरूरत नहीं है.

उन्होंने आगे कहा कि डीजीपी कोई केस देखने नहीं जाता है, लेकिन मैं गोपालगंज गया क्योंकि वो हत्या का केस महत्वपूर्ण था. विशेष मामलों में मैं कोशिश करता हूं कि जनता के सामने सच्चाई रख सकूं, लेकिन किसी मुद्दे को लेकर पहले से ही किसी ने सोच बना ली है और निष्पक्षता से मेरी बात नहीं सुनेंगे तो समझ में नहीं आएगा. सबकी सोच और इंटेंशन हैं और वो उसी हिसाब से चीजों को जज करते हैं. बहुत सारे कारण हैं, जो आपकी सोच को निर्धारित करते हैं. जैसे, फैमिली बैक्ग्राउंड, पोलिटिकल बैक्ग्राउंड आदि.

डीजीप ने घटना का पूरा ब्योरा दिया

गुप्तेश्वर पांडे ने कहा कि इसीलिए आपका मोटिव पहले से कुछ दूसरा होगा तो आप सच्चाई तक नहीं पहुंच सकेंगे. मेरी प्रार्थना है कि निष्पक्ष भाव से मेरी बात सुनिए क्योंकि मैं जो कुछ भी बोल रहा हूं वो तथ्य और सबूत पर आधारित है. गोपालगंज में तीन घटनाएं हुई हैं. तीनों को समझ लीजिए, अगर आप निष्पक्ष होंगे तो पूरी तस्वीर साफ हो जाएगी. 3 मई को मारपीट की छोटी घटना होती है, जिसमें सतीश पांडेय शामिल हैं. ये दोनों अपने ही गांव के किसी भगवान तिवारी को पीटते हैं. इस मामले में कार्रवाई हुई और वो अरेस्ट भी हो गए. 9 मई को उचका गांव थाना में बर्मा मठ के पास शंभू मिश्रा नामक एक व्यक्ति की हत्या होती है. इस मामले में 6 लोगों को नामजद अभियुक्त बनाया जाता है. इनमें से दो लोगों के खिलाफ सबूत नहीं मिले हैं. 4 के विरुद्ध सबूत मिले, जिनमें एक की गिरफ्तारी हुई है, 3 फरार हैं. सतीश पांडेय के करीबी ने इस हत्या को अंजाम दिया है.

इसके बाद 24 मई को हथुआ थाना में ट्रिपल हत्याकांड होता है. इसमें अपराधी आते हैं, उनका निशाना जयप्रकाश चौधरी हैं. उतर कर उनके बारे में पूछते हैं, उसके पिता महेश चौधरी, उनके भाई शांतनु चौधरी और मां संकेतया देवी भी वहां हैं. जैसे ही उन्हें पता चलता है कि यह लोग अपराधी हैं और जयप्रकाश को मारने आये हैं, तो महेश चौधरी पहुंचते हैं और डंडे से एक अपराधी को मारते हैं. संकेतया देवी अपने बचाव में ईंट फेंकती हैं. भाई भी आता है. तीनों लोगों को अपराधी गोली मार देते हैं. गोली जयप्रकाश को भी लगती है, वो आज भी हॉस्पिटल में हैं. तीन लोगों की मौत होती है. 24 को घटना होती है, 25 को सुबह बयान आता है, FIR होती है, इसमें 4 आदमी को अभियुक्त बनाया जाता है. जयप्रकाश 4 लोगों को नामजद अभियुक्त बनाते हैं, सतीश पांडेय, मुकेश पांडेय, बटेश्वर पांडेय और पप्पू पांडेय.

मामले में अब तक क्या हुआ

डीजीपी ने आगे कहा कि, "उन्होंने बताया कि 4 दिन पहले पप्पू पांडेय ने हमें धमकी दी थी. तो इसमें इनकी साजिश हो सकती है. वादी यह नहीं कहता है कि गोली मारने में पप्पू पांडेय भी शामिल था. वो यह लिखित देता है कि चार दिन पहले पप्पू पांडेय और मुकेश पांडेय ने हमको धमकी दी. लेकिन घटना स्थल पर पप्पू पांडेय की होने की बात तो वादी भी नहीं कर रहा है. साजिश की बात कर रहे हैं. साजिश मन का संदेह भी हो सकता है, मन का विश्वास भी हो सकता है, सच भी हो सकता है और झूठ भी हो सकता है. कानूनी रूप से कार्रवाई करने के लिए जांच कर सबूत जुटाने पड़ते हैं और उसमें समय लगता है. तीन लोग जो गोली मारने में शामिल थे, तीनों को गिरफ्तार कर लिया गया है. अंतिम संस्कार सम्पन्न भी नहीं होता है, उससे पहले पुलिस मेरे आदेश पर तीनो की तुरंत गिरफ्तार करती है."

डीजीपी आगे बताते हैं कि SIT टीम गठित की जाती है मौके पर STF को भेजा जाता है. CID की टीम भेजी गई है, यूपी पुलिस के साथ संपर्क में. आकर सारे गिरोह के बारे में जानकारी लेते हैं. लगातार छापेमारी होती है. वहां के लोगों की समझ आता होगा कि किस तरह पुलिस दबिश बनाकर कार्रवाई कर रही है. कई लोग जेल भेजे जा चुके हैं और आगे मैं यही बोल सकता हूं कि समय दीजिए गोपालगंज की जनता इस कार्रवाई को याद रखेगी. किसी को नहीं छोडूंगा, चाहे वो कोई भी हो. जो अपराधी है, उसको किसी भी कीमत पर नहीं छोड़ा जाएगा.

डीजीपी कहते हैं कि 26 को फिर एक हत्या हो जाती है. मुन्ना तिवारी की हत्या हथुआ थाने में. इस मामले में चार आदमी को अभियुक्त बनाया गया है. उनमें से एक जयप्रकाश चौधरी भी हैं. जो वादी हैं जिनके घर हत्या हुई. उन्होंने पप्पू पांडेय पर साजिश आरोप लगाया और अगले दिन जब सतीश पांडेय के भाई मुन्ना तिवारी की हत्या हुई तो उसमें साजिश करने का जयप्रकाश पर आरोप लगा.

डीजीपी ने  बताया कि 5 हत्याएं होती हैं, दो सतीश पांडेय के लोग मारे जाते हैं, 3 दूसरी तरफ के मारे जाते हैं. लगातार 9 , 24 और 26 तारीख को. सतीश पांडेय के मामले में जयप्रकाश चौधरी को आरोपित किया गया है और जय प्रकाश के मामले में पप्पू पांडेय को. लेकिन घटनास्थल पर दोनों मौजूद नहीं थे. अब बिना जांच किये कैसे किसी को जेल भेज दिया जाए. दोनों के खिलाफ जांच चल रही है.

डीजीपी ने कहा कि गोपालगंज वासियों से हाथ जोड़कर मेरी प्रार्थना है कि सच का साथ दीजिए. मैंने अलग अलग मुख्यमंत्री के साथ काम किया है. मैं 10 जिलों का SP रहा हूं, 20 जिलों में IG और DIG के रूप में काम किया है. एक भी कोई केस का उदाहरण निकाल लीजिए जिसमें किसी दोषी को छोड़ दिया हो या किसी को जान बूझ कर फंसा दिया हो, तो मैं नौकरी छोड़ दूंगा. मैंने 33 साल में आज तक अपनी जाति का बॉडीगार्ड भी अपने साथ नहीं रखा है. मैं यह सब नहीं सोचता. एक आदमी भी अगर कह दे कि मैंने उसके साथ भेदभाव किया है. मैंने जान जोखिम में डाल कर राज्य की सेवा की है, ऐसे आदमी का अगर मनोबल तोड़ियेगा तो कैसे काम करेंगे.

डीजीपी ने कहा कि सभी दल के जनप्रतिनिधि का मैंने स्वागत किया है. किसी ने आज तक मुझपर कोई आरोप नहीं लगाया है. अब ऐसे आदमी को भी काम नहीं करने दीजियेगा तो बिहार का क्या होगा. फेसबुक पर गालियां लिखने वाले सोचें कि जाति के दायरे से बाहर निकलना होगा. फिर कोई अच्छा काम क्यों करे. बिहार की जनता इस बात पर यकीन करें कि बिहार पुलिस किसी के भी दबाव में काम नहीं कर रही है. साजिश की जांच होती है. सबूत जुटाना पड़ता है. गोपालगंज मामले में भी जिस दिन सबूत मिल जाएगा. जो सबूत देना चाहते हैं दें, निष्पक्ष जांच होगी. सरकार ने कभी किसी को नहीं बचाया. इसको जाति, दल मजहब के चश्मे से ना देखें.

सरकार ना किसी को फंसाती है ना किसी को बचाती है. हमलोग ईमानदारी से काम कर रहे हैं, लेकिन ऐसे बिना सोचे, बिना जाने कुछ भी बोलते हैं. कुछ लोग जो संवैधानिक पद पर हैं, उन्हें गलत सूचना देकर लोग गुमराह कर देते हैं, लेकिन वो उनके शुभचिंतक नहीं हैं. जिसका आपराधिक इतिहास है. उसके खिलाफ समझौता करने की बजाय मर जाना पसंद करेंगे. मुझ पर भरोसा रखिए और इस बात पर भी भरोसा रखिये की पुलिस किसी दबाव में नहीं है. सरकार की तरफ से कार्रवाई करने का आदेश है. मुझे आपके प्यार और आशीर्वाद की जरूरत है लेकिन इतना प्यार मत कीजिये कि लोग जलने लगे. वहीं यह भी अपील है कि काम करने वाले अधिकारियों का मनोबल मत तोड़िए.

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