Amit Shah Interview: 'वो 2002 से मोदी के पीछे हैं, लेकिन..,' BBC डॉक्यूमेंट्री विवाद पर बोले अमित शाह
Amit Shah ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के मामले में एक इंटरव्यू में खुलकर बात की. उन्होंने कहा कि बीजेपी के पास छिपाने के लिए कुछ नहीं है और न ही कोई डरने की बात है.
Amit Shah On BBC Documentary: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार (14 फरवरी) को एक इंटरव्यू में बीबीसी की विवादित डॉक्यूमेंट्री और अडानी से जुड़ी हिंडनबर्ग की रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया दी. अमित शाह ने कहा कि बीबीसी 2002 से मोदी के पीछे है, लेकिन हर बार, मोदी जी मजबूत और अधिक लोकप्रिय होकर सामने आते हैं.
न्यूज एजेंसी एएनआई की ओर से अमित शाह का इंटरव्यू जारी होने के कुछ देर बाद ही बीबीसी के दिल्ली और मुंबई स्थिति दफ्तरों पर आयकर विभाग की छापेमारी की खबर आई. सूत्रों ने बताया है आईटी डिपार्टमेंट को कुछ जानकारी हाथ लगी थी, जिसके बाद छापा मारा गया.
बता दें कि बीबीसी की एक डॉक्यूमेंट्री को लेकर बीते कई दिनों से विवाद चल रहा है. बीबीसी की ये विवादित डॉक्यूमेंट्री 2002 गुजरात दंगों पर आधारित है, उस समय नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे. गुजरात दंगों में प्रधानमंत्री मोदी को सुप्रीम कोर्ट से तो क्लीन चिट मिल गई है, लेकिन कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दल आज भी दंगों के लिए बीजेपी और मोदी को जिम्मेदार मानते हैं. केंद्र सरकार ने हाल ही में जब डॉक्यूमेंट्री को बैन करने का निर्देश दिया था, तब विपक्ष ने इसे सेंसरशिप बताते हुए इस कदम की आलोचना की थी.
'बीजेपी के पास कुछ छिपाने को नहीं'
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को लेकर भी अमित शाह ने इंटरव्यू में बात की. विपक्ष की जेपीसी जांच की मांग पर अमित शाह ने कहा, "सुप्रीम कोर्ट ने मामले का संज्ञान लिया है. कैबिनेट का सदस्य होने के नाते इस समय इस मुद्दे पर मेरा कुछ भी बोलना सही नहीं होगा, लेकिन इसमें बीजेपी पास कुछ छिपाने के लिए नहीं है और न ही किसी बात से डरने की जरूरत है."
विपक्ष ने क्या कहा?
कांग्रेस ने अडानी समूह से जुड़े मामले को 'मित्रवादी पूंजीवाद' की मिसाल करार देते हुए मंगलवार को कहा कि अगर इस मामले पर सरकार के पास छिपाने के लिए कुछ नहीं है तो उसे संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की मांग स्वीकार करनी चाहिए.
इस मुद्दे पर जयराम रमेश ने कहा, "कांग्रेस हमेशा निजी निवेश के पक्ष में रही है. हम हमेशा उद्यमशीलता के पक्ष में हैं. यही आर्थिक तरक्की का रास्ता है." उनका कहना है, "हम अंध निजीकरण के खिलाफ हैं. निजी निवेश को प्रोत्साहन देना जरूरी है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि सरकारी उपक्रमों को बेचा जाए."
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