यूपी: CAA के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के बीच शांति की मिसाल, देवबंद ने दिया अमन और भाईचारे का पैगाम
दारुल उलूम और अन्य मदरसों से इस्लामिक तालीम हासिल करने वाले छात्रों ने सीएए के खिलाफ प्रदर्शन किया. छात्र बड़ी संख्या में एकजुट हुए और सीएए के विरोध में नारे लगाए. हाथों में तिरंगा झंडा लेकर सड़कों पर उतरे.

देवबंद: देशभर में नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन हुए. प्रदर्शन करना संविधानिक अधिकार है, लेकिन उस अधिकार और कानून का कुछ लोगों ने गलत इस्तेमाल किया. उत्तर प्रदेश में जिस तरह से प्रदर्शन ने हिंसक मोड़ लिया उसने हिंदुस्तान में शांति भंग कर दी.
इसी हिंसा और आगजनी के बीच सहारनपुर डिस्ट्रिक्ट के देवबंद कस्बे में कई दिनों से सीएए का विरोध प्रदर्शन जारी है, लेकिन वहां के प्रशासन और निवासियों के बीच आपसी ताल मेल और सूझबुझ से शांति बरकरार रही है. दारुल उलूम और अन्य मदरसों से इस्लामिक तालीम हासिल करने वाले छात्रों ने सीएए के खिलाफ प्रदर्शन किया. छात्र बड़ी संख्या में एकजुट हुए और सीएए के विरोध में नारे लगाए. हाथों में तिरंगा झंडा लेकर सड़कों पर उतरे.
इतना ही नहीं देवबंद में रह रही महिलाओं ने भी सीएए के खिलाफ प्रदर्शन किया. शांति और अमन के साथ मुस्लिम धर्म की महिलाओं ने ही नहीं बल्कि कई धर्मों की महिलाएं सड़कों पर उतरीं और अपनी बात सबके सामने रखी. देवबंद में रह रही महिला कमलजीत ओबेरॉय ने बताया, '' मैं पिछले 17 सालों से देवबंद में रह रही हूं. मैं पूरे विश्वास से कह सकती हूं कि जो गंगा जमुना तहजीब मैंने यहां देखी है वो कहीं और नहीं है. जो अमन और चैन मैंने देवबंद के अंदर देखा है इतना पीसफुल माहौल मैंने हिंदुस्तान में कहीं और नहीं देखा.''
देवबंद को इस्लामिक विचारधारा वाला शहर कहा जाता है, लेकिन वहां सभी धर्मों के लोग भाईचारे से रहते हैं. देवबंद के लोगों ने अपनी गंगा जमुना तहजीब की मिसाल दर्ज कर दी है. इस प्रदर्शन के दौरान देवबंद की 100 लोगों की शांति कमेटी की टीम ने वहां के लोगों और प्रशासन के बीच तालमेल जोड़े रखा. इस शांति और अमन को बरकरार रखने में वहां के स्थानीय लीडर्स का भी हाथ रहा. वहां के लीडर्स ने छात्रों और लोगों को हर प्रदर्शन के बाद समझाया, हर प्रदर्शन में उनके साथ खड़े रहे.
देवबंद से कभी कोई हिंसा की घटना सामने नहीं आई. प्रशासन की लापरवाही के कारण बिजनौर और मेरठ में हिंसा के हालात पैदा हुए. आपको बता दें कि प्रोटेस्ट दारुल उलूम के छात्रों ने शुरू किया था और उसके बाद जमीयत उलेमा ने एक शांतिपूर्ण प्रोटेस्ट की शुरुआत की. जिसमें लोकल लीडर्स की भी भागीदारी थी. बड़े-बड़े प्रदर्शन हुए, लेकिन अच्छी बात यह रही कि कोई भी छोटी या बड़ी घटना सामने नहीं आई. जिससे शहर का माहौल बिगड़ सके.
देवबंद के लोकल लीडर्स, छात्र और वहां के स्थानीय निवासियों ने प्रशासन की खुलकर तारीफ की. प्रशासन की सूझबूझ और उनके उठाए कदमों से ही देवबंद की शांति और अमन बरकरार है. देवबंद के प्रशासन ने पूरी तरह प्रयास किया कि किसी भी वजह से वहां की शांति में कोई खलल ना पड़े. लगातार हर प्रोटेस्ट में प्रशासन ने कड़ी सुरक्षा का इंतजाम किया. खासकर ड्रोन से इस पूरे प्रदर्शन पर नजर रखी. साथ ही साथ प्रशासन ने लोगों के अंदर नेशन फर्स्ट को बरकरार रखने के लिए रिक्शा में लाउडस्पीकर लगवा कर पूरे शहर में उस रिक्शा को भेजा. जिससे लोगों के अंदर देशभक्ति बरकरार रहे.
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Source: IOCL





















