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MasterStroke: चीफ ऑफ डिफेंस की जरूरत क्यों? जानें इसके बारे में सबकुछ

CDS: चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ यानि सीडीएस तीनों सेनाओं के साझा मामलों पर सरकार और रक्षा मंत्री का प्रिंसिपल मिलिट्री एडवाइजर होगा.

नई दिल्ली: इसी साल 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ यानि CDS बनाने का एलान किया था जिसपर सरकार की आधिकारिक मुहर लग गई है. 15 हजार 106 किलोमीटर की लंबी थल सीमा, 7 हजार 516 किलोमीटर की जल सीमा और इसके साथ आसमानी रक्षा कवच देश में इन सीमाओं की निगरानी का जिम्मा थल, जल और वायुसेना के पास है.

हर सेना का अपना प्रमख है, जो रक्षा मंत्रालय के अधीन काम करता है. लेकिन अब ये तीनों ही सेनाएं एक नये पद के अधीन काम करेंगी और इस पद को संभालने वाला कहलाएगा चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ यानि CDS. मौजूदा थल सेना प्रमुख बिपिन रावत 31 दिसंबर को रिटायर हो रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक रावत ही देश के पहले CDS बन सकते हैं. इसकी कई बड़ी वजहें हैं-

- जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद हालात पर बखूबी नियंत्रण रखा - रावत के अगुवाई में ही इंटीग्रेटेड बैटल ग्रुप यानी IBG का गठन हुआ. जो युद्ध के बदलते दौर में सेना का सबसे बड़ा आधुनिकिकरण है - कश्मीर में आतंकियों के सफाए के लिए आपरेशन ऑल आउट चलाया जिसके तहत तीन साल में 633 आतंकी मारे गए.

आखिर सीडीएस है क्या और ये कैसे काम करेगा? सरकार के मुताबिक, CDS चार स्टार जनरल होगा. जो रक्षा मंत्रालय के नए विभाग डिपार्टमेंट ऑफ मिलिट्री अफेयर्स के सेक्रेटरी के तौर पर काम करेगा. सीडीएस की सैलरी तीनों सेना प्रमुखों के ही बराबर होंगी. CDS के अंतर्गत सेना के तीनों अंगों के साझा कमांड और डिवीजन होंगे.

सीडीएस रक्षा मंत्रालय के प्रिंसिपल मिलिट्री सलाहकार के तौर पर काम करेंगे जहां तीनों सेनाओं के मुद्दे जुड़े होंगे. सरकार ने साफ किया है कि तीनों सेना प्रमुख पहले की तरह अपना काम करते रहेंगे. सीडीएस सिर्फ सैन्य मामले देखेगी. रक्षा के मामले रक्षा मंत्रालय देखेगा.

देश को चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ की जरूरत क्यों है? -सीडीएस तीनों सेनाओं के साझा मामलों पर सरकार और रक्षा मंत्री का प्रिंसिपल मिलिट्री एडवाइजर होगा -CDS रक्षा मंत्री के प्रिंसिपल मिलिट्री एडवाइजर के तौर पर काम करेगा -CDS का काम तीनों सेनाओं में बेहतर तालमेल करना होगा -ट्रेनिंग, ट्रांसपोर्ट, सेना के ऑपरेशन्स CDS के दिशा निर्देश में होगी -सेनाओं के पांच साल के रक्षा बजट को भी लागू करने में अहम भूमिका होगी.

CDS के पास तीनों सेनाओं के काम पर सीधे कंट्रोल नहीं होगा लेकिन उन कमांड और डिविजन पर अधिकार रखेगा. जहां तीनों सेनाओं का संयुक्त कमांड है. अंडमान, स्पेशल डिविजयन, साइबर और डिफेंस एजेंसी का हेड होगा.

आजादी के बाद से हिंदुस्तान 5 युद्ध लड़ चुका है. चार पाकिस्तान और एक चीन के साथ. पाकिस्तान हर बार हारा है लेकिन चीन से हमें हार मिली. जिसकी बड़ी वजह थी तीनों सेनाओं के बीच तालमेल की कमी भी रही. 1962 में पूर्वी मोर्चे पर चीन के साथ जंग छिड़ी. तब वायुसेना को युद्ध में कोई भूमिका नहीं दी गई. वर्ना युद्ध का नतीजा कुछ और होता. 1965 में पाकिस्तान के साथ जंग में भी नौसेना के साथ तालमेल और सूचना के अभाव की कमी सामने आई थी.

सरकार ने आधिकारिक तौर पर की चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बनाने की घोषणा

1971 में बांग्लादेश की आजादी की लड़ाई में तीनों सेनाओं ने साथ मिलकर काम किया और पाकिस्तान को सरेंडर करना पड़ा. करगिल युद्ध हम पाकिस्तान से जीते लेकिन वायुसेना को मैदान में आने में कई हफ्ते लगे. कारण तालमेल की कमी थी. इसलिए जीत में वक्त लगा.

करगिल युद्ध के बाद तत्कालीन सरकार ने के सुब्रमण्यम की अध्यक्षता में रिव्यू कमेटी बनाई. 1999 में कमेटी ने CDS के पद की सिफारिश की थी. तब मतभेद के चलते CDS का पद नहीं बन सका था. लेकिन तालमेल बढ़ाने के लिए चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी का गठन किया गया था जिसमें तीनों सेना के साथ मंत्रालय के लोग होते हैं. 2012 में पूर्व कैबिनेट सचिव नरेश चंद्रा कमेटी ने CoSC के चेयरमैन पद को स्थायी बनाने की सिफारिश की थी.

CDS बनाने का सपना अटल बिहारी वाजपेयी का था. मोदी सरकार ने पहले कार्यकाल में इसे पूरा करने की दिशा में कदम बढ़ाया. 2016 में तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने सैन्य तैयारियों के लिए रिटायर्ड लेफ्टनेंट जर्नल डीपी शेकाटकर की अध्यक्षता में कमेटी बनाई. 23 दिसंबर 2016 को शेकाटकर ने 188 सिफारिशों के साथ सरकार को रिपोर्ट सौंपी थी जिसमें CDS एक था.

भारत दुनिया की तेज गति से उभरती अर्थव्यवस्था है इसलिए सामरिक हितों की रक्षा भी बढ़ी है. भारत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा सैन्य बल हैं. इस लिहाज से भी चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ की भूमिका अहम होगी.

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