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केजरीवाल सरकार के सलाहकारों पर कर्रवाई, अजय माकन ने कहा ये बीजेपी और आप की 'सेटिंग' है!

माकन ने पूछा कि शुंगलू कमिटी की सिफारिश के मुताबिक सभी 'अवैध' नियुक्तियों पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई? दूसरी तरफ तरफ आम आदमी पार्टी का कहना है कि केजरीवाल सरकार के अच्छे कामों में अड़ंगा लगाने के लिए केंद्र सरकार ने सलाहकारों को हटावाया है.

नई दिल्ली: दिल्ली में उपराज्यपाल द्वारा केजरीवाल सरकार के 9 सलाहकारों को बर्खास्त करने के मामले में आम आदमी पार्टी और बीजेपी के बीच आरोप-प्रत्यारोप चल रहा है. इस मामले को कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन ने नया एंगल देते हुए दावा किया है कि एलजी की कार्रवाई बीजेपी और आप की आपसी मिलीभगत है. माकन ने आरोप लगाया है कि ये कार्रवाई लोकसभा चुनाव में 'सहानुभूति' जुटाने की कवायद है क्योंकि जिन्हें पद से हटाया गया है उनमें से कुछ को आम आदमी पार्टी लोकसभा चुनाव में उतार सकती है.

अजय माकन ने शुंगलू कमेटी की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि इसमें केजरीवाल सरकार द्वारा की गई नियुक्तियों के 71 मामलों पर सवाल उठाए थे. दरअसल केजरीवाल सरकार ने आम आदमी पार्टी से जुड़े लोगों को मोटी तनख्वाह पर सरकार में पद दिया था. हालांकि एक-आध ऐसे भी थे जो एक रुपए महीने पर पर नियुक्त हुए थे. बहरहाल शुंगलू कमिटी के मुताबिक इन नियुक्तियों के लिए जरूरी प्रावधानों का पालन नहीं किया गया था. अब एलजी ने 9 ऐसी नियुक्तियों को रद्द कर दिया है जो पद स्वीकृत ही नहीं थे.

अजय माकन का कहना है कि शुंगलू कमिटी ने नवंबर 2016 में अपनी रिपोर्ट सौंपी और 71 नियुक्तियों पर सवाल उठाए. लेकिन कार्रवाई लगभग डेढ़ साल बाद हुई है वो भी कुछ पर ही. जिन पर कार्रवाई हुई है उनमें से कम से कह तीन लोग पहले ही पद छोड़ चुके हैं. इन तीन में राघव चड्ढा भी शामिल हैं जिनको लेकर शुंगलू कमिटी ने भी कोई विशेष नकारात्मक टिप्पणी नहीं की थी.

जो लोग काम कर रहे थे उनमें मनीष सिसोदिया की सलाहकार आतिशी मर्लिना एक रुपए महीने पर काम कर रही थी. माकन ने सवाल उठाया है कि जिन्हें डेढ़ लाख की तनख्वाह मिल रही है उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई जबकि एक रुपए वाले को हटाया गया है. माकन का दावा है कि "इसके पीछे चुनाव में सहानुभूति बटोरने की तैयारी है. इसमें बीजेपी मदद कर रही है ताकि कांग्रेस का वोट बांटा जा सके.''

आरटीआई से प्राप्त शुंगलू कमिटी की रिपोर्ट के हवाले से माकन ने कहा कि केजरीवाल सरकार ने राहुल भसीन नाम के एक शख्स की नियुक्ति की जो महज 12 वीं पास है लेकिन वेतन डेढ़ लाख है. कुछ नियुक्त आप के कार्यकर्ताओं पर पुलिस केस तक दर्ज हैं. मुख्यमंत्री के ड्राइवर के तौर पर नियुक्त रोहित कुमार के पास ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था तो वहीं क्लर्क के तौर पर नियुक्त हुए आप कार्यकर्ता को टाइपिंग ही नहीं आती थी.

माकन ने सवाल उठाया कि ऐसी नियुक्तियों पर कार्रवाई करने की बजाय चुनिंदा लोगों पर कार्रवाई हुई है. माकन ने कहा कि उपमुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार अरुणोदय प्रकाश पर तो हटाया गया है लेकिन मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार नागेंद्र शर्मा को नहीं जबकि शर्मा की तनख्वाह डेढ़ लाख महीना है और अरुणोदय उनसे आधी तनख्वाह पाते थे. गोपाल मोहन को सलाहकार के तौर पर पहले एक रुपए महीने वेतन पर रखा गया और बाद में वेतन लाख रुपए से ज्यादा कर दिया गया.

माकन ने पूछा कि शुंगलू कमिटी की सिफारिश के मुताबिक सभी 'अवैध' नियुक्तियों पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई? दूसरी तरफ तरफ आम आदमी पार्टी का कहना है कि केजरीवाल सरकार के अच्छे कामों में अड़ंगा लगाने के लिए केंद्र सरकार ने सलाहकारों को हटावाया है. मसलन एक रुपए में शिक्षा सलाहकार के तौर पर काम करने वाली आतिशी मर्लिना को हटा दिया गया.

इसको लेकर उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने केंद्र सरकार पर जम कर हमला बोला. वहीं नेता विपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने एलजी की कार्रवाई का स्वागत करते हुए केजरीवाल सरकार से पूछा कि अपने नेताओं/कार्यकर्ताओं को तो नियमों की अनदेखी कर सरकार में नौकरी दे दी लेकिन दिल्ली के बेरोजगार युवाओं को नौकरी देने के लिए क्या किया?

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