38 साल बाद लांस नायक चंद्रशेखर हरबोला का पूरे सैन्य सम्मान के साथ हुआ अंतिम संस्कार, बेटियों ने दी मुखाग्नि
Chandrashekhar Harbola: सियाचिन ग्लेशियर में एवलांच के दौरान शहीद हुए लांस नायक चंद्रशेखर हरबोला का बुधवार को पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार हुआ. उनकी दोनों बेटियों ने उन्हें मुखाग्नि दी.
Lance Naik Chandrashekhar Harbola: सियाचिन ग्लेशियर (Siachen Glacier) में पेट्रोलिंग के दौरान 38 साल पहले एक एवलांच (Avalanche) का शिकार हुए लांस नायक चंद्रशेखर हरबोला (Lance Naik Chandrashekhar Harbola) का बुधवार 17 अगस्त को पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया. सियाचिन ग्लेशियर में लापता होने के 38 साल बाद एक पुराने बंकर में मिले लांस नायक चंद्रशेखर हरबोला के पार्थिव शरीर को उत्तराखंड (Uttarakhand) के हल्द्वानी में उनके आवास पर लाया गया.
लांस नायक चंद्रशेखर हरबोला के पार्थिव शरीर को देखने के लिए भारी संख्या में लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा. इस बीच मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Chief Minister Pushkar Singh Dhami) समेत कई नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि दी. कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी, रेखा आर्य, राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता यशपाल आर्य के अलावा कई सैन्य अधिकारियों ने चंद्रशेखर हरबोला को श्रद्धांजलि दी.
बेटियों ने दी मुखाग्नि
चंद्रशेखर हरबोला के पार्थिव शरीर को उनके घर से रानीबाग के चित्रशिला घाट ले जाया गया. इस दौरान लोगों की भीड़ ने देशभक्ति के नारे लगाए और अपनी ओर से उन्हें श्रद्धांजलि दी. चंद्रशेखर हरबोला के दोनों बेटियों ने उन्हें मुखाग्नि दी. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस दौरान कहा कि लांस नायक चंद्रशेखर हरबोला के बलिदान को हमेशा याद रखा जाएगा और उनके परिवार की हर संभव मदद करने की कोशिश की जाएगी.
'ऑपरेशन मेघदूत' का हिस्सा थे हरबोला
बता दें कि लांस नायक चंद्रशेखर हरबोला (Lance Naik Chandrashekhar Harbola) को 1984 में 'ऑपरेशन मेघदूत' (Operation Meghdoot) में 20 सदस्यीय टुकड़ी का हिस्सा बनाया गया था. जिन्हें पाकिस्तान से लड़ने के लिए दुनिया के सबसे ऊंचे रणक्षेत्र में भेजा गया था. वहीं सियाचिन ग्लेशियर (Siachen Glacier) में आए एवलांच (Avalanche) के बाद सिर्फ 15 सैनिकों के शव ही बरामद किए जा सके थे. जिसमें से पांच शव नहीं मिले थे और चंद्रशेखर हरबोला उनमें से एक थे.