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'मैंने ही श्रद्धा को मारा...', आफताब ने कबूल लिया, फिर भी पुलिस क्यों ढूंढ रही है सबूत?

श्रद्धा मर्डर केस का खुलासा हो चुका है लेकिन पुलिस के हाथ सबूतों के मामले में अभी भी खाली हैं. पुलिस आरोपी का पॉलीग्राफी और नार्को टेस्ट करा रही है.

देश की राजधानी दिल्ली में हुए श्रद्धा मर्डर केस के आरोपी आफताब पूनावाला ने पूछताछ में मान लिया है कि उसी ने गुस्से में आकर इस हत्याकांड को अंजाम दिया है. लेकिन उसके कबूलनामे के बाद भी पुलिस सबूतों की तलाश में खाक छानती फिर रही है. आम लोगों के मन में सवाल है कि जब आफताब ने खुद ही कबूल कर लिया है तो फिर सबूतों की क्या जरूरत है.

ये सवाल पूरी तरह से कानूनी पहलुओं से जुड़ा हुआ है और सिर्फ एक बयान के आधार पर किसी को दोषी नहीं माना जा सकता है. अदालत में बयान से ज्यादा सबूत मायने रखते हैं. इन कानूनी पहलुओं को समझने के लिए एबीपी न्यूज ने कानून के जानकारों से बात की है.

कबूलनामे के बाद भी आखिर पुलिस क्यों ढूंढ रही है सबूत !

आफताब के कबूलनामे के बाद भी पुलिस क्यों अभी भी सबूत ढूंढ रही है? इस बात को समझने के लिए एबीपी न्यूज ने रिटायर डीसीपी दिल्ली पुलिस और क्रीमिनल लॉयर लक्ष्मी नारायण राउ ने बात की जिन्होंने बताया कि इस पूरे हत्याकांड में पुलिस के पास प्राइम विटनेस नहीं है जिसने इस हत्याकांड को होते हुए देखा हो. पुलिस के पास दूसरे सबूत हैं. जिसके बयान के आधार पर पुलिस जांच कर रही है. पुलिस का काम है कि उसके बयान के आधार पर सबूत इकठ्ठा कर कोर्ट में पेश करें जिसके बाद ही इस मामले में सब कुछ साबित हो पाएगा. 

एलएन राव ने कहा कि पुलिस कस्टडी में दिए गए बयान की कोई मान्यता नहीं होती और बिना सबूतों के बयान के आधार पर काई भी केस हल नहीं होता. पुलिस को सबूत ढूंढने होते हैं जिसके बाद उन्हें कोर्ट में पेश करने के बाद कोर्ट इसका फैसला करता है कि आरोपी ने गुनाह किया है या नहीं और सभी सबूत पेश होने के बाद ही आरोपी दोषी सिद्ध होता है.

वहीं बीते मंगलवार कोर्ट में आरोपी आफताब की ओर से किए गए कबूलनामे पर कानून विशेषज्ञ बताते हैं कि पुलिस कस्टडी के दौरान आरोपी को कोर्ट में पेश किया गया था और उसका बयान कहीं रिकोर्ड नहीं किया गया वो कोई ऑनरिकॉर्ड बयान नहीं था और पुलिस कस्टडी के दौरान ही उसने ये सब कहा. लेकिन इससे कुछ साबित नहीं होता. बल्कि पुलिस के पास अब ये चुनौती है कि वो आरोपी के बयान और कबूलनामें के आधार पर सबूत इकट्ठा करे. जिसके बाद ही सब सिद्धा हो पाएगा.

क्रीमिनल लॉयर कहते है कि आफताब के बयान और कबूलनामे का औचित्य तभी होगा जब उसके बयान के आधार पर सबूत और गवाह मिलेंगे जिसको लेकर पुलिस लगातार छानबीन कर रही है. आरोपी आफताब की निशानदेही के आधार पर उसके शव के टुकड़ों का डीएनए भी कराया जा रहा है लेकिन उसकी कोई रिपोर्ट अभी सामने नहीं आयी है.

साथ ही पुलिस श्रद्धा का फोन भी ढूंढ रही है. इसके अलावा जो सबूत पुलिस को मिले हैं उसमें जो फ्रिज आरोपी ने खरीदा था, वो बरामद किया जा चुका है, जहां से उसे खरीदा था उसकी पुष्टि हो चुकी है. श्रद्धा के मर्डर के बाद उसके शव के टुकड़े करने के बाद खून के धब्बे जिस केमिकल से साफ किए थे. वो केमिकल भी आरोपी के घर से बरामद किया गया है.

विशेषज्ञों का कहना है कि इस मामले को 6 महीने हो चुके हैं एक लंबा समय बीत चुका है ऐसे में पुलिस के सामने सबूत ढूंढना एक बड़ी चुनौती बनी हुई है. कई सबूत खत्म हो चुके हैं लेकिन पुलिस अपनी जांच में लगातार लगी हुई है. पुलिस मामले गवाहों से भी पूछताछ कर रही है जिसमें श्रद्धा और आफताब को जिन जिन लोगों ने देखा, आखिरी बार श्रद्धा को कहां और किसके साथ देखा गया था. कॉल रिकोर्ड और डिटेल्स की भी जांच की जा रही है.

आरोपी आफताब का पॉलीग्राफी टेस्ट किया जा रहा है जिसके बाद उसका टेस्ट होना है साइंटिफिक तरीके से मामले की हर एक एंगल से जांच की जा रही है और नार्को टेस्ट होने के बाद उसमें आरोपी आफताब को जो बयान आता है वो बयान मौजूदा बयान से अगर मेल खाता है तभी साबित होगा कि आरोपी सच बोल रहा है, उसी के आधार पर मामले का खुलासा होगा.

सबूत जुटाने के लिए पुलिस दिल्ली से लेकर मुंबई तक छानबीन कर रही है. आफताब और श्रद्धा मुंबई के ही रहने वाले थे लेकिन बाद में वो दिल्ली आकर लिव-इन रिलेशनशिप में रहने लगे. जहां आफताब ने 18 मई को श्रद्धा की गला दबाकर हत्या कर दी और उसके शव के 35 टुकडे़ कर उन्हें एक फ्रिज में रखा फिर 20 दिनों तक महरौली के पास वाले जंगल समेत अलग-अलग इलाकों में फेंकता रहा.

इस मामले का खुलासा आरोपी आफताब पुनावाला की गिरफ्तारी के बाद हुआ जब श्रद्धा के पिता ने उसकी गुनशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करायी थी. जिसके आधार पर दिल्ली पुलिस ने इसी महीने 12 नवंबर की तारीख को मामले में आरोपी आफताब को दक्षिणी दिल्ली के महरौली स्थित उसके घर से गिरफ्तार कर लिया.

आरोपी महरौली इलाके में किराए के घर में रहता था. जिसके बाद पुलिस ने मामले में छानबीन शुरू की, तो श्रद्धा के लिव-इन पार्टनर आफताब ने उसकी हत्या और शव के 35 टुकड़े किए जाने की बात कबूल कर ली. जिसके आधार पर पुलिस शवों के टुकड़े तलाश रही है. और पूरे मामले में छानबीन और सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है.

इसी बीच आरोपी आफताब पूनावाला ने एक बार फिर अपने जुर्म को कबूला है. आरोपी आफताब को मंगलवार को साकेत कोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंसिग के जरिए पेश किया गया था. जहां उसने अपने जुर्म को कबूल करते हुए कहा कि उसने जो किया वो गलती से किया. उसने गुस्से में श्रद्धा की हत्या की, वो ऐसा नहीं करना चाहता था साथ ही उसने कहा कि वो पुलिस की जांच में पूरी तरीके से सहयोग कर रहा है और उसने पुलिस को सब बता दिया है. 

आरोपी आफताब की बढ़ाई गयी रिमांड

इसके साथ ही पुलिस की मांग पर कोर्ट ने आफताब की रिमांड भी 4 दिन के लिए ओर बढ़ा दी है. आरोपी की रिमांड 22 नवंबर को खत्म हो रही थी, जिसके बाद अब पुलिस आफताब का पॉलीग्राफी टेस्ट करा रही है. जिसकी कोर्ट ने पहले ही मंजूरी दे दी थी. जिसके बाद नार्को टेस्ट कराया जाना है. साकेट कोर्ट में अपने कबूलनामें में आफताब ने ये भी बताया है कि उसने श्रद्धा की हत्या के बाद उसके शव के टुकड़े कहां-कहां फेंके हैं. इसकी जानकारी पुलिस को दे दी है. 

जिसके बाद पुलिस फिर से उन्हीं जंगलों में सर्च ऑपरेशन चलाएगी और श्रद्धा के शव के टुकड़े ढूंढे जाएंगे. हालांकि इस कबूलनामें के बाद भी पुलिस के हाथ अभी भी खाली हैं. पुलिस के पास इस मामले में कोई पुख्ता सबूत नहीं हैं और जो शव के टुकड़े बरामद हुए हैं उनका डीएनए टेस्ट कराया जाएगा.

इनका मिलान  माता-पिता से होने बाद ही ये साबित होगा कि वो टुकड़े श्रद्धा के शव के हैं. इसके अलावा पुलिस उस हथियार, श्रद्धा के मोबाइल फोन, वारदात के दौरान आरोपी के कपड़ों आदि की भी तलाश कर रही है. हालांकि पुलिस कई बार ये कह चुकी है कि आफताब बार-बार अपने बयान बदलकर जांच को भटकाने की भी कोशिश कर रहा है.

आफताब के वकील ने कबूलनामे को झुठलाया

वहीं आफताब के कबूलनामें को लेकर उसके वकील अविनाश का कहना है कि आफताब ने ओपन कोर्ट या ऑन कार्ट रिकॉर्ड में कुछ भी कबूल नहीं किया है. आफताब पुलिस को पूरी तरीके से सहयोग कर रहा है. उसने पुलिस को भ्रमित नहीं किया है.

आरोपी के वकील का कहना है कि किसी भी मौखिक बयान की बिना सबूत के कोई मान्यता नहीं होती जब तक कि वो रिकोर्ड में नहीं होता. वकील का कहना है कि कोर्ट में आफताब ने 'प्रवोक' शब्द का इस्तेमाल किया. जिसमें उसका कहना था कि उसे बार-बार प्रवोक किया जा रहा है. उसे जो कुछ भी याद था उसने पुलिस को बता दिया है. काफी ज्यादा समय हो चुका है इसीलिए वो काफी कुछ भूल भी चुका है. 

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