पहली बार रिटायर हुआ एक किसान, बेटे ने पिता को दिया ये सम्मान
मोहाणी में जब किसान गजानन काले के रिटायरमेंट के कार्यक्रम का आयोजन किया गया तो पूरा गांव उसमें शामिल हुआ. किसानी के दमपर उन्होंने अपने परिवार को पाला पोसा और बच्चों को बड़ा किया है.

मुंबई: आपने अपने आस पड़ोस या दफ्तर में किसी के नौकरी से रिटायरमेंट की बात अक्सर सुनी होगी. नियम भी है कि कोई नौकरी पेशा शख्स 60 साल की उम्र के बाद रिटायर हो जाता है और उसके दफ्तर की तरफ से उसे रिटायरमेंट दिया जाता है. लेकिन आपने किसी किसान के रिटायरमेंट के बारे में कभी नहीं सुना होगा. जी हां ये कहानी महाराष्ट्र के एक ऐसे किसान की है जिसने जिंदगी भर किसानी की, एक किसान के तौर पर जिंदगी के तमाम उतार चढ़ाव देखे. महाराष्ट्र में सूखा देखा, किसानों की आत्महत्या की घटनाएं देखी और सुनी लेकिन कभी हार नहीं मानी. किसानी के दमपर उन्होंने अपने परिवार को पाला पोसा और बच्चों को बड़ा किया. अब जब उनको एक किसान के तौर पर किसानी करते 60 साल हो रहे हैं तो उनके बेटे, परिवार और गांव वालों की तरफ से बहुत सम्मान के साथ उन्हें सेवानिवृत्त किया गया.
महाराष्ट्र के भंडारा जिले में मोहाणी तालुका के रहने वाले किसान गजानन काले के रिटायरमेंट की कहानी जिसने भी सुनी उसे बेहद खुशी हुई कि एक किसान को इस तरह से सम्मान दिया गया है. किसान गजानन काले की उम्र 80 साल हो चुकी है जिसमें जिंदगी के 60 साल उन्होंने किसानी करने में बिताया. गजानन काले के मुताबिक एक किसान के तौर पर उन्हें उनके परिवार और गांव की तरफ से सेवानिवृत्त किया गया इस सम्मान के लिये वो बेहद खुश हैं. लेकिन उन्हें अब खेत में काम नहीं करने दिया जायेगा इस बात का दुख भी है. गजानन काले के बेटे प्रकाश काले ने बताया कि एक किसान किसानी करते हुए जिंदगी बिता देता है लेकिन न तो कभी वो रिटायर होता है न पेंशन मिलती है और न ही सम्मान. लेकिन अपने पिता को वो ये सम्मान देकर और काम से रिटायरमेंट का कार्यक्रम करके वो बेहद खुश हैं. किसान गजानन काले की बेटी पल्लवी काले ने भी एक किसान के तौर पर अपने पिता को काम से रिटायर करके बेहद खुशी जाहिर की और कहा जिंदगी भर उन्होंने काम किया अब थोड़ा आराम करेंगे.
मोहाणी में जब किसान गजानन काले के रिटायरमेंट के कार्यक्रम का आयोजन किया गया तो पूरा गांव उसमें शामिल हुआ. किसानी के काम से रिटायर हो चुके किसान गजानन काले को बैलगाड़ी पर बिठाकर गांव में घुमाया गया और साथ में गांव की महिलाएं, बच्चे, बुजुर्ग सब नाचते गाते इस खुशी में शामिल हुए. गांव के और बुजुर्ग किसान इस कार्यक्रम से बेहद खुश हुए. उन्होंने अपनी इच्छा जाहिर की कि हर किसान को इसी तरह से सम्मान मिलना चाहिए जो अपनी पूरी जिंदगी एक किसान के तौर पर बिता देता है और कभी उसे आराम नही मिलता.
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Source: IOCL























