हाथरस केस: CM योगी के निर्देश पर SIT को 10 दिन का और समय मिला, आज सौंपनी थी जांच रिपोर्ट
राज्य सरकार ये लगातार कहती आ रही है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में रेप की पुष्टि नहीं हुई थी. जबकि पीड़ित के परिवार ने जोर देकर कहा है कि लड़की के साथ रेप हुआ था.

लखनऊ: यूपी के हाथरस में 19 साल की लड़की के कथित गैंगरेप और हत्या मामले में स्पेशल इंवेस्टीगेशन टीम (SIT) को 10 दिन का और समय मिल गया है. ये समय यूपी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर दिया गया है. इससे पहले सीएम योगी ने एसआईटी को सात दिन के भीतर अपनी जांच रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा था. इस हिसाब से एसआईटी को आज अपनी जांच रिपोर्ट सौंपनी थी.
सचिव गृह भगवान स्वरूप की अध्यक्षता में बनाई गई एसआईटी में डीआईजी चंद्र प्रकाश द्वितीय और एसपी पूनम भी बतौर सदस्य शामिल हैं. रिपोर्ट्स के अनुसार, एसआईटी ने अपनी पड़ताल के दौरान पीड़िता परिवार, अभियुक्तों, पुलिस प्रशासन समेत 100 से अधिक लोगों के बयान कलमबंद किए हैं.
फॉरेंसिक रिपोर्ट में हाथरस मामले में रेप की पुष्टि नहीं अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में फोरेंसिक मेडिसिन विभाग ने प्रमाणित किया है कि हाथरस मामले में 19 साल की दलित पीड़िता के साथ रेप का कोई सबूत नहीं मिला है. ये सर्टिफिकेट उत्तर प्रदेश सरकार ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में हलफनामे के साथ प्रस्तुत किया है. इसके मुताबिक, "पीड़िता के साथ वैजिनल और एनल इंटरकोर्स के कोई संकेत नहीं मिले हैं. शारीरिक हमले के जरूर सबूत मिले हैं जिसमें उसकी गर्दन और पीठ पर चोट के निशान पाए गए हैं."
राज्य सरकार ये लगातार कहती आ रही है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में रेप की पुष्टि नहीं हुई थी. जबकि पीड़ित के परिवार ने जोर देकर कहा है कि लड़की के साथ रेप हुआ था. इसके अलावा इस मामले के आरोपियों के परिवार भी यही कहते आ रहे हैं कि कोई रेप नहीं हुआ था और लड़की को उसके भाई ने पीटा था और चोट के निशान उसी के हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने घटना को भयानक, चौंकाने वाला करार दिया वहीं सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को हाथरस की घटना को भयानक, चौंकाने वाला और असाधारण करार दिया. कोर्ट ने इस मामले में उत्तर प्रदेश सरकार से तीन पहलुओं पर एक हलफनामा मांगा है कि पीड़ित परिवार और गवाहों की रक्षा किस तरह की जा रही है. क्या इस मामले में परिवार ने अपनी सहायता के लिए वकील रखा है और इलाहाबाद हाईकोर्ट की कार्यवाही का दायरा क्या है और वह इसका दायरा किस तरह बढ़ा सकता है.
सीजीआई ने सीनियर एडवोकेट इंदिरा जयसिंग से कहा, "यह घटना भयानक है, चौंकाने वाली है . हम इसीलिए आपको सुन रहे हैं, क्योंकि यह घटना असाधारण है." इंदिरा जयसिंग ने मामले को दिल्ली स्थानांतरित करने पर जोर दिया. उन्होंने यह भी कहा कि मामले में कई प्रदर्शनकारियों के खिलाफ 27 प्राथमिकी दर्ज की गई हैं. साथ ही उन्होंने गवाहों को सुरक्षा दिए जाने पर भी जोर दिया.
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