9 महीनों में 39 हजार रुपए महंगा हुआ सोना, धनतेरस-दिवाली पर खरीदना कितना फायदेमंद; जानें कब गिरेंगी कीमतें?
ABP Explainer: भले ही ग्लोबल मार्केट में हालात बदलते रहें, लेकिन गोल्ड में कोई भी बड़ा निवेश वित्तीय बाजार के बड़े खिलाड़ियों के रहमो-करम पर टिका होता है. इसलिए सोने में सोच-समझकर इन्वेस्ट करना चाहिए.

भारत में सोने-चांदी की कीमतें तय करने वाली इंडियन बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन यानी IBJA के मुताबिक, इस साल सोना 39 हजार रुपए महंगा हुआ. अब त्यौहारी सीजन में सोने की खरीदारी और ज्यादा बढ़ेगी, क्योंकि सोना इन्वेस्टमेंट के साथ सांस्कृतिक महत्व भी रखता है.
तो आइए ABP एक्सप्लेनर में समझते हैं कि इस साल तेजी से क्यों बढ़े सोने के दाम, अभी खरीदना कितना फायदेमंद और अब सोना महंगा होगा या सस्ता…
सवाल 1- 2025 में सोने की कीमतों का क्या ट्रेंड रहा?
जवाब- IBJA के मुताबिक, 1 जनवरी 2025 को 10 ग्राम 24 कैरेट सोने की कीमत 76,162 रुपए थी. ये कीमतें भारत में ऑल टाइम हाई थी. लेकिन एक महीने बाद ही सोने की कीमतों में 6 हजार रुपए से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई और 1 फरवरी को सोना 82 हजार रुपए से ज्यादा हो गया. इसके बाद हर महीने सोने की कीमतों में इजाफा हुआ.
IBJA के मुताबिक जून में सोना 95 हजार पार हुआ. जुलाई में कुछ कीमतें स्थिर रहीं, लेकिन अगस्त में वापस तेजी आई और यह 1,01,406 रुपए प्रति 10 ग्राम पहुंच गया. सितंबर में सोने ने फिर बड़ी छलांग लगाई और 1,15,454 रुपए प्रति 10 ग्राम पर पहुंचा. यानी शुरुआत के 9 महीनों में सोना 39,292 रुपए प्रति 10 ग्राम महंगा हो गया. इसके बाद अक्टूबर महीने में भी सोने के दाम 1 लाख 15 हजार रुपए से ज्यादा रहे. 2 अक्टूबर को सोने ने फिर छलांग लगाई और 1.17 लाख रुपए प्रति 10 ग्राम के साथ ऑलटाइम हाई बनाया.
सवाल 2- 2025 की शुरुआत से ही सोने की कीमतों लगातार बढ़ क्यों रही हैं?
जवाब- केडिया एडवाइजरी के डायरेक्टर और बिजनेस एक्सपर्ट अजय केडिया के मुताबिक, इस साल भारत में सोना महंगा होने की 4 बड़ी वजहें हैं…
- दुनिया में उथल-पुथल देख सोने की डिमांड बढ़ी
- भारत में सोने की कीमतें ग्लोबल मार्केट से प्रभावित होती हैं, क्योंकि भारत अपनी जरूरत का करीब 90% सोना इम्पोर्ट करता है. भारत में सोने का खनन बहुत सीमति है. इस वजह से ग्लोबल मार्केट में सोने की कीमतें बढ़ने से भारत में भी सोना महंगा हो जाता है.
- वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल यानी WGC के मुताबिक, भारत में सोने की मांग सालाना करीब 800 टन है. 2024 में भारत ने 712.1 टन सोना इम्पोर्ट किया, जो 2023 के 744 टन से 4% कम था. भारत सबसे ज्यादा सोना अमेरिका से खरीदता है.
- भारत के वाणिज्य मंत्रालय के मुताबिक, 2024-25 के फाइनेंशियल ईयर में भारत ने अमेरिका से 3.27 लाख करोड़ रुपए का सोना खरीदा, जो 2023 के मुकाबले 49% ज्यादा था.
- इस साल जनवरी के बाद से ग्लोबल लेवर पर इकोनॉमी का अंदाजा लगाना मुश्किल रहा. अमेरिका-चीन के बीच ट्रेड वॉर, मिडिल-ईस्ट में इजराइल और हमास संघर्ष, रूस-यूक्रेन जंग और ट्रंप के टैरिफ की वजह से इन्वेस्टर्स ने सोने में इन्वेस्ट किया. सोने को सुरक्षित निवेश माना जाता है, इसलिए वैश्विक संकट के समय इसकी मांग बढ़ती रही.
- 1 जनवरी को सोना करीब 76 हजार रुपए प्रति 10 ग्राम था, लेकिन 20 जनवरी को ट्रंप राष्ट्रपति बने और उन्होंने कई देशों पर टैरिफ लगाने का ऐलान किया. इससे ग्लोबल मार्केट में खलबली बढ़ी और इन्वेस्टर्स ने सोने की तरफ रुख किया. 4 दिन बाद यानी 24 जनवरी को सोना 4 हजार रुपए बढ़कर 80,194 रुपए हो गया.
- अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया कमजोर होने से इम्पोर्ट बिल बढ़ा
- भारत में सोना ज्यादातर विदेश से खरीदा जाता है और उसका पेमेंट अमेरिकी डॉलर के मुकाबले कमजोर हो जाता है, जिस वजह से हमें सोना खरीदने के लिए ज्यादा रुपए देने पड़ते हैं. इससे भारत में सोना खरीदना महंगा हो गया.
- जनवरी से अक्टूबर तक भारतीय रुपया डॉलर के सामने कमजोर हुआ, क्योंकि विदेशी इन्वेस्टर्स भारत से अपने पैसे निकालने लगे. इससे रुपए की कीमत 2-3% कम हो गई. 1 डॉलर की कीमत 88.67 रुपए हो गई. इससे सोना इम्पोर्ट करने की लागत बढ़ी.
- मान लीजिए, पहले 1 किलोग्राम सोना खरीदने के लिए 83.5 लाख रुपए लगते थे. लेकिन रुपए के कमजोर होने पर वही सोना अब 1.2 करोड़ रुपए का पड़ता है.
- महंगाई बढ़ने से सोने में निवेश बढ़ा
- जब महंगाई बढ़ती है, तो लोग सोने में निवेश करते हैं, क्योंकि यह महंगाई के खिलाफ सुरक्षित निवेश माना जाता है. इससे मांग बढ़ती है और कीमतें ऊपर जाती हैं.
- मार्च 2025 में जब भारत में रिटेल इन्फ्लेशन 6% के करीब पहुंची, इन्वेस्टर्स ने सोने में निवेश बढ़ा दिया.
- IBJA के मुताबिक, 28 मार्च को सोना 99,100 रुपए प्रति 10 ग्राम के ऑलटाइम हाई पर था. इन्फ्लेशन ने सोने की कीमतों को और ज्यादा बढ़ा दिया. लोगों ने तेल और खाद्य की जगह सोने में इन्वेस्ट किया.
- केंद्रीय बैंकों की नीतियां और ब्याज दरों ने सोना महंगा किया
- जब ब्याज दरें कम होती हैं, तो सोने में इन्वेस्ट बढ़ जाता है, क्योंकि बैंक जमा पर रिटर्न कम मिलता है. इससे सोने की मांग और कीमतें बढ़ना तय है.
- जून 2025 में अमेरिका और यूके जैसे देशों ने ब्याज दरों में कटौती की, जिससे सोने में इन्वेस्ट बढ़ा. अमेरिका ने ब्याज दरें 0.25% घटाईं तो गोल्ड ETF में निवेश बढ़ा. भारत में भी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया यानी RBI ने ब्याज दरें स्थिर रखीं.
- IBJA के मुताबिक, जून में सोना 97,609 रुपए से बढ़कर जुलाई में 1,00,689 रुपए प्रति 10 ग्राम हो गया. जो उस समय तक ऑलटाइम हाई था. कम ब्याज दरों ने कीमतों को 2 से 3 हजार रुपए महंगा कर दिया.
इसके अलावा भारत में सोने की मांग त्यौहारों और शादी के सीजन में बढ़ जाती है, क्योंकि सोना सांस्कृतिक महत्व भी रखता है. इस साल त्यौहारी मांगों ने सोने की कीमतों को 10 से 15 हजार रुपए प्रति 10 ग्राम तक बढ़ा दिया है.
सवाल 3- तो क्या सोने के बढ़ते दामों के बीच खरीदारी फायदेमंद है?
जवाब- भले ही ग्लोबल मार्केट में हालात बदलते रहें, लेकिन गोल्ड में कोई भी बड़ा निवेश वित्तीय बाजार के बड़े खिलाड़ियों के रहमो-करम पर टिका होता है. बड़े खिलाड़ी जो करते हैं, उनका असर सोने की कीमतों पर दिखता है. इसलिए सोने में सोच-समझकर इन्वेस्ट करना चाहिए.
अजय केडिया कहते हैं, ‘सोना दो कामों के लिए खरीदा जाता है, एक सेविंग के लिए और दूसरा इन्वेस्टमेंट के लिए. अब त्यौहारी सीजन है इसलिए सोना लाजिमी खरीदा जाएगा. अगर सेविंग के लिए सोना खरीदना है, तो फायदेमंद है, लेकिन इन्वेस्टमेंट के लिहाज से नहीं. इस साल सोना 30% का रिटर्न दे चुका है. जब ऐसा होता है तो मार्केट में सोने का रिप्लेसमेंट आ जाता है. अब इन्वेस्टमेंट के लिए चांदी बेहतर है, क्योंकि इस साल चांदी में ज्यादा रिटर्न मिलने की उम्मीद है.’
सवाल 4- ग्लोबल मार्केट में सोने की कीमतों का ट्रेंड क्या है?
जवाब- किसी भी देश में सोने के दाम इसके इंटरनेशनल रेट के आधार पर तय होते हैं. इंटरनेशनल लेवल पर लंदन बुलियन मार्केट एसोसिएशन यानी LBMA सोने के दाम तय और रेगुलेट करता है. यह बाकी देशों के साथ मिलकर काम करता है. 24 कैरेट शुद्धता वाले सोने का प्रति औंस रेट डॉलर में तय होता है. एक औंस 28.3 ग्राम का होता है.
LBMA के मुताबिक, जवरी में सोने की कीमत 2.633 डॉलर प्रति औंस थी, जो अप्रैल तक बढ़कर 3,230 डॉलर प्रति औंस हो गई. इस दौरान भी सोने की कीमतों में उतार-चढ़ाव देखने को मिले, फरवरी में जहां सोने का हाईएस्ट प्राइस 2,936 डॉलर प्रति औंस पहुंच गया था, वहीं मार्च में लोएस्ट 2,880 डॉलर प्रति औंस तक गिर गया. हालांकि, अप्रैल के बाद इसमें लगातार बढ़ोतरी देखी गई. 2 अक्टूबर को सोने की कीमत 3,886 डॉलर प्रति औंस रही.
सवाल 5- इस साल सोना और ज्यादा महंगा होगा या कीमतें गिर जाएंगी?
जवाब- अजय केडिया कहते हैं, ‘इस साल सोने में जितनी तेजी आनी थी, वो आ चुकी है. 2025 के आखिर तक सोना 1.30 लाख रुपए प्रति 10 ग्राम के आसपास रह सकता है. वहीं, अगले 2 सालों की बात करें तो यह डेढ़ लाख तक पहुंच जाएगा. दुनियाभर में सोने की कीमतें बढ़ाने वाली वजहें लगभग खत्म हो चुकी हैं. फिर वो जियोपॉलिटिकल इश्यूज हो या सोने पर रिटर्न. अब आने वाला दौर सोने का नहीं बल्कि चांदी का होगा.’
Source: IOCL
























