EXPLAINED: सबसे ज्यादा सर्द रहेगा 2025! कैसे ला-नीना और वेस्टर्न डिस्टर्बेंस बढ़ाएंगे ठंड, कितने दिन रहेंगी सर्दियां?
ABP Explainer: NOAA के मुताबिक, अक्टूबर से दिसंबर के बीच ला-नीना के बनने की 71% संभावना है, जबकि दिसंबर से फरवरी के बीच यह संभावना 54% होगी. बर्फबारी, ठंडी हवाएं, कोहरा और धुंध बनी रहेगी.

दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश समेत कई राज्यों में गुलाबी ठंड ने दस्तक दे दी है. जम्मू-कश्मीर के गुलमर्ग में तो सर्दी के सीजन की पहली बर्फबारी हुए एक महीना गुजर गया, जो आमतौर पर अक्टूबर के आखिर में शुरू होता है. मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि इस बार ठंड जल्दी शुरू होगी और देर तक पड़ेगी. इसके पीछे वजह है- समुद्र का ‘ला नीना’ (La Niña) इफेक्ट.
तो आइए ABP एक्सप्लेनर में समझते हैं कि देशभर में इस बार कड़ाके की ठंड क्यों पड़ेगी, इसके पीछे वजहें क्या-क्या और ला नीना कैसे सर्दी बढ़ाता है...
सवाल 1- आमतौर पर भारत में सर्दी का मौसम कब शुरू होकर कब खत्म होता है?
जवाब- भारत में सर्दी का मौसम नवंबर के आखिरी हफ्ते से शुरू होकर फरवरी के आखिरी हफ्ते तक चलता है. ये वो समय होता है जब तापमान में लगातार गिरावट आती है, पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी होती है और उत्तरी भारत में ठंडी हवाएं तेजी से बहने लगती है. मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक, मौसम तीन हिस्सों में बंटता है..
1. प्री-विंटर
- 20 नवंबर से 20 दिसंबर की इस अवधि में ठंड की हल्की दस्तक होती है. दिन में तो गर्मी रहती है लेकिन रात में ठंड बढ़ने लगती है.
- मैदानों में कोहरा और धुंध पड़ने लगती है. पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी शुरू होने लगती है.
- तापमान धीरे-धीरे गिरने लगता है और लोगों की दिनचर्या में गर्म कपड़े शामिल होने लगते हैं.
2. पीक-विंटर
- 20 दिसंबर से 20 जनवरी के दौरान ये सर्दियों का सबसे ठंडा दौर होता है. इन दिनों कई राज्यों में तापमान 10 डिग्री सेल्सियस से नीचे चला जाता है और उत्तरी भारत के कई हिस्सों में न्यूनतम तापमान शून्य के आसपास या उससे भी कम हो सकता है.
- पश्चिमी विक्षोभ यानी वेस्टर्न डिस्टर्बेंस सबसे ज्यादा एक्टिव रहता है. ये वही मौसम प्रणाली है जो पहाड़ों पर भारी बर्फबारी और मैदानी इलाकों में ठंडी हवाएं या बारिश लाती है.
- इस दौरान दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में कड़ाके की ठंड होती है. सुबह और रात में कोहरा इतना घना होता है कि विजिबिलिटी बहुत कम हो जाती है.
3. पोस्ट-विंटर
- 20 जनवरी से 20 फरवरी के दिनों में तापमान धीरे-धीरे बढ़ने लगता है, लेकिन ठंडी हवाओं का असर बना रहता है. दिन के समय धूप तेज होती है, लेकिन सुबह और रातें ठंडी रहती हैं.
- कई बार इस दौरान भी पश्चिमी विक्षोभ के कारण हल्की बारिश और ठंड की वापसी देखने को मिलती है. इस दौरान सर्दी से गर्मी की ओर मौसम का ट्रांजिशन शुरू होता है.
सवाल 2- भारत में इस साल सर्दियों का पैटर्न कैसे अलग रहेगा?
जवाब- भूमध्य रेखा के आसपास प्रशांत महासागर की सतह पर अक्टूबर के शुरुआती हफ्ते में काफी ठंड होने लगी है. ये ला-नीना की शुरुआत है, यानी इस बार सर्दियां बेहद सख्त रहेंगी. भारत में मानसून भी जल्दी आया था और औसत से 8% ज्यादा बारिश हुई. इसके चलते गर्मियां बहुत गर्म नहीं थीं. अब समय से पहले ही सर्दियों की दस्तक शुरू होने लगी है. मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक-
- उत्तर भारत में तापमान में भारी गिरावट की संभावना है यानी उत्तर भारत के राज्यों में शीत लहर ज्यादा दिन रहेगी. तापमान सामान्य से काफी नीचे जा सकता है, जिससे ठंड और कोहरे का असर बढ़ेगा.
- पहाड़ी राज्यों में भी बर्फबारी जल्दी शुरू हो सकती है और देर तक जारी रहने का अनुमान है. इससे पर्यटन पर भी असर पड़ेगा. जहां एक तरफ बर्फीले नजारों के लिए पर्यटकों की भीड़ बढ़ेगी, वहीं दूसरी ओर स्थानीय प्रशासन को सड़क बंद होने और ठंड से निपटने की ज्यादा तैयारी करनी होगी.
- ला नीना की वजह से नमी और ठंडी हवाओं में इजाफा होता है, जिससे मैदानों में कोहरे की स्थिति गंभीर हो सकती है. इससे विजिबिलिटी कम होगी और रेल, सड़क और हवाई यातायात पर असर पड़ सकता है.
हालांकि, भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने अभी तक सर्दी का पूर्वानुमान जारी नहीं किया. IMD के डायरेक्टर जनरल एम. महापात्रा के मुताबिक, अभी तक ला-नीना आया नहीं है, लेकिन अगले कुछ महीनों में ला-नीना की स्थिति बनने की उम्मीद है. इसका सर्दियों पर असर पड़ेगा.
सवाल 3- इस साल भारत में सर्दी बढ़ाने वाला ला-नीना क्या है?
जवाब- ला-नीना एक प्राकृतिक जलवायु घटना है, जिसमें पूर्वी प्रशांत महासागर का पानी सामान्य से 0.5°C से ज्यादा ठंडा हो जाता है. इससे हवाएं तेज होती हैं, जेट स्ट्रीम (ऊपरी हवाएं) दक्षिण की ओर खिसकती हैं और भारत में ठंडी हवाएं और बर्फबारी बढ़ जाती है. ला-नीना ठंडी हवाओं को भारत की ओर धकेलता है, जिससे दिल्ली, राजस्थान, यूपी और हिमाचल में अक्टूबर मध्य से 'गुलाबी ठंड' शुरू हो गई. 2025 में ला नीना की 71% संभावना है.
ला-नीना जेट स्ट्रीम को भारत की ओर लाता है, जिससे आर्कटिक की ठंडी हवाएं मैदानों तक पहुंचती हैं. साथ ही, पश्चिमी विक्षोभ (western disturbances) कमजोर होने से बादल कम बनते हैं, रातें साफ रहती हैं और तापमान 2-4°C तक गिर जाता है.
सवाल 4- इस बार सर्दी लंबे समय तक क्यों और कब तक रहेगी?
जवाब- नेशनल ओशनिक एंड एटमोस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन यानी NOAA ने कहा है कि अक्टूबर से दिसंबर के बीच ला-नीना के बनने की 71% संभावना है, जबकि दिसंबर से फरवरी के बीच यह संभावना 54% रहेगी.
ला-नीना पूरी दुनिया के मौसम और जलवायु पर असर डालता है. एक्सपर्ट्स का अनुमान है कि ये भूमध्य सागर से उठने वाले बर्फीले तूफान यानी वेस्टर्न डिस्टर्बेंस को और मजबूत बनाएगा. इससे उत्तर भारत के पहाड़ी इलाकों में बहुत ज्यादा बर्फबारी होगी और मैदानी इलाकों में ठंडी हवाएं चलेंगी, कोहरा और धुंध बनी रहेगी.
अनुमान है कि भारत में ला-नीना का सबसे ज्यादा असर जनवरी 2026 में दिखेगा. ये मार्च तक बना रहेगा और 2026 का बसंत काफी देर से आएगा. हालांकि कुछ मौसम विज्ञानियों का यह भी कहना है कि अगर इस साल ला-नीना बना भी, तो कमजोर होगा. इस बार की सर्दियों पर इसका बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ेगा.
सवाल 5- क्या इस ठंड का असर पूरे भारत पर एक जैसा होगा?
जवाब- एक्सपर्ट्स के मुताबिक, ठंड का पूरा असर देश में एक जैसा नहीं होगा. उत्तर भारत (दिल्ली, यूपी, राजस्थान, हिमाचल) में ठंड तीव्र होगी, न्यूनतम तापमान 2-3°C तक गिर सकता है. हिमालयी क्षेत्रों में बर्फबारी बढ़ेगी. दक्षिण भारत (जैसे बेंगलुरु) में सामान्य से हल्की ठंड होगी. पंजाब-हरियाणा में कोल्ड वेव 5-7 दिन तक रह सकते हैं.
सवाल 6- बर्फबारी और शीतलहर के लिए जिम्मेदार वेस्टर्न डिस्टर्बेंस क्या है?
जवाब- भारत के पश्चिम में भूमध्य सागर है, वहां से तूफानी हवा नमी लेकर गल्फ देशों और काला सागर, कैस्पियन सागर से होकर हमारे देश तक आती है, जिसे वेस्टर्न डिस्टर्बेंस कहते हैं. ये हवा भारत में आकर यहां के वेदर पैटर्न को डिस्टर्ब करती है, इसलिए डिस्टर्बेंस शब्द जुड़ा.
आसान भाषा में समझें- ठंड के मौसम में वेस्टर्न डिस्टर्बेंस आ जाए तो बारिश या बर्फबारी होने लगती है. एक तरह से बेमौसम बारिश के लिए यही हवा जिम्मेदार है.
2025-26 की सर्दी पिछले 10 साल की सबसे ठंडी होगी, इसके लिए तो मौसम विभाग के पूर्वानुमान का इंतजार करना होगा, लेकिन सर्दियों से निपटने के लिए सरकारों और आपको अभी से तैयारी शुरू कर देनी चाहिए.
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Source: IOCL
























