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बेबाक अंदाज से नम आंखों तक: कोरोना के बहाने एक अलग क़िस्म के CM योगी को देख सुन रहे हैं लोग

योगी आदित्यनाथ के पिता आनंद सिंह बिष्ट का आज दिल्ली के एम्स में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया है. योगी के पिता आंनद बिष्ट वेंटीलेटर पर थे और उन्हें लंबे समय से आंत संबंधी दिक्कतें थीं. उन्हें 14 अप्रैल को एम्स में भर्ती कराया गया था.

नई दिल्ली: योगी आदित्यनाथ को आज सवेरे ही अपने पिता के निधन की खबर मिली. उस समय वे अपने घर पर टीम इलेवन के साथ मीटिंग कर रहे थे. यूपी के 11 सीनियर अफ़सरों की एक स्पेशल कमेटी बनी है. कोरोना से निपटने के लिए इस कमेटी के लोग हर सुबह साढ़े दस बजे सीएम के साथ मीटिंग करते हैं. पिता के गुजर जाने की जानकारी मिलते ही योगी कुछ देर के लिए शून्य में चले गए. उनकी आंखें नम हो गईं. सामने बैठे सभी सीनियर अधिकारी खामोशी से अपने मुख्यमंत्री की तरफ़ देख रहे थे. योगी ने कुछ देर बाद अपने को संभाला. फिर वे बैठक के एजेंडे पर आ गए. किस ज़िले में कितने केस आए हैं ? कितने टेस्ट हो रहे हैं ? तमाम मुद्दों पर चर्चा शुरू हो गई.

टीम इलेवन के साथ मीटिंग ख़त्म होने के बाद योगी आदित्यनाथ ने दिल्ली के AIIMS के बारे में जानकारी ली. पिता आनंद सिंह विषय का अंतिम संस्कार कैसे होगा ? परिवार के कुछ लोगों से बात की. इसके बाद योगी ने पिता के दाह संस्कार में न जाने का फ़ैसला किया. उन्होंने कहा कि पिता के आख़िरी दर्शन की बड़ी इच्छा थी. लेकिन कोरोना से जारी लड़ाई के कारण वे जाने में असमर्थ हैं. लॉकडाउन ख़त्म होने के बाद वे पिता को श्रद्धांजलि देने गांव जायेंगे. वे परिवार के सबसे बड़े बेटे हैं. उन्होंने परिवार से कम संख्या में अंतिम संस्कार में जाने की अपील की.

कुशल प्रशासक माने जाने लगे हैं सीएम योगी दुनिया ही नहीं पूरा भारत देश कोरोना वायरस के कारण संकट में है. 3 मई तक देश भर में लॉकडाउन है. योगी आदित्यनाथ, अरविंद केजरीवाल, पी विजयन, अशोक गहलोत जैसे मुख्य मंत्रियों की लोग तारीफ़ कर रहे हैं. लेकिन सबसे अर्जित चर्चा योगी की हो रही है. वैसे भी आबादी के हिसाब से यूपी तो देश का सबसे बड़ा राज्य है. लॉकडाउन के पहले से ही योगी आदित्यनाथ एक्टिव हैं. प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी से लेकर गृह मंत्री उनके काम का गुणगान कर चुके है. कोरोना के ख़िलाफ़ बेहतर रणनीति बनाने के कारण योगी की अब एक नई छवि बन गई है. आप यूं कह लें कि उनका पूरा इमेज मेकओवर हो गया है. अब वे एक कुशल प्रशासक माने जाने लगे हैं. ऐसा पहली बार हुआ है जब उनके विरोधी भी खुल कर उनकी प्रशंसा कर रहे हैं. योगी की छवि अब एक सूझबूझ और दूर की सोच वाले मुख्यमंत्री की हो गई है.

योगी आदित्यनाथ . इस नाम का ज़िक्र आते ही अब तक उनकी एक ही छवि लोगों के दिलो दिमाग़ में थी. उग हिंदूवादी नेता की. गेरुआ कपड़ों में, सर मुंड़ाए हुए योगी. विवादित बयानों के लिए चर्चित योगी. एक के बदले दस की बात करने वाले योगी. हिंदुत्व की आग उगलते योगी. लेकिन कोरोना की एंट्री के बाद वही योगी अब कुशल मुख्यमंत्री हैं. पॉपुलर तो वे पहले से ही थे. अब सरकार चलाने को लेकर उनकी धाक जम गई है. योगी ने सहयोग लेने के लिए बीएसपी सुप्रीमो मायावती से बात करने में तनिक देरी नहीं की. जो लोग योगी को जानते हैं, वे इस बात से हैरान रह गए. उनका कभी भी ऐसा स्वभाव नहीं रहा है. लेकिन कोरोना के बहाने लोग एक अलग क़िस्म के योगी को देख सुन रहे हैं.

परंपरा तोड़कर सीएम योगी ने निभाई जिम्मेदारी

23 करोड़ की आबादी वाले यूपी में कोरोना से लड़ाई एक बड़ी चुनौती है. लेकिन आंकड़े बताते हैं कि योगी की सरकार इसमें बहुत हद तक सफल रही है. महाराष्ट्र, एमपी, दिल्ली और तेलंगाना के मुक़ाबले यूपी कंट्रोल में है. हॉट स्पॉट वाली स्कीम सबसे पहले यूपी में ही शुरू हुआ. बाक़ी राज्यों ने भी ये फ़ार्मूला अपनाया. टेस्ट किट की कमी से निपटने के लिए योगी सरकार ने पूल टेस्ट कराने का फ़ैसला किया. दिल्ली यूपी बोर्डर पर जब दिहाड़ी मज़दूरों की भीड़ लग गई तो सबको सरकारी बसों में भर कर उनके गांव ले ज़ाया गया.

कोटा में फंसे बच्चों को लाने के लिए भी बसें भेजी गईं. बिहार सरकार ने इसका विरोध भी किया. लेकिन योगी अपने फ़ैसले पर डटे रहे. मेडिकल टीम पर हमला करने वालों पर उन्होंने एनएसए लगवाया. विपक्ष के नेताओं ने उनके कुछ फ़ैसलों पर सवाल उठाए. लेकिन योगी तो टस से मस नहीं हुए. कोरोना के चक्कर में उन्होंने सालों पुरानी परंपरा तोड़ दी. नवरात्रि में योगी आदित्यनाथ गोरखनाथ मंदिर में रहते हैं. कन्या पूजन और भोज करते हैं. लेकिन इस बार वे लखनऊ में ही रहे. उन्होंने कन्या भोज की परंपरा तोड़ दी. सामाजिक दूरी बनाए रखने के लिए योगी के ऐसा करना पड़ा.

कुछ ऐसा है सीएम योगी का रैपिड वर्क शेड्यूल

कोरोना से लड़ाई के बहाने योगी आदित्यनाथ ने यूपी की ब्यूरोक्रेसी को समझ लिया है. वे अब अधिकारियों को उनके नाम और काम से जान चुके हैं. उन्हें पता चल गया है कि कौन कितने पानी में है. वे हर दिन सवेरे टीम इलेवन के साथ मीटिंग करते हैं. फिर दोपहर बाद सभी डीएम, एसपी, डीआईजी, आईजी, कमिश्नर से वीडियो कांफ्रेंस करते हैं. नोएडा के डीएम को हटाने में उन्होंने एक सेकेंड भी नहीं लगाया. उनके ख़िलाफ़ काम में लापरवाही की शिकायत थी. नोएडा की एक कंपनी से जुड़े कोरोना के 52 मरीज़ निकले. योगी आदित्यनाथ की अगली चुनौती लॉकडाउन ख़त्म होने के बाद हालात संभालने की होगी.

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