Do You Wanna Partner Review: वन टाइम वॉच एवरेज सीरीज, बढ़िया आइडिया लेकिन कमजोर ट्रीटमेंट
Do You Wanna Partner Review: तमन्ना भाटिया और डायना पेंटी की सीरीज 'डू यू वाना पार्टनर' रिलीज हो गई है. देखने का प्लान है तो पहले इसका रिव्यू पढ़ लीजिए
अर्चित कुमार, कॉलिन डी'कुन्हा
तमन्ना भाटिया, डायना पेंटी, जावेद जाफरी, नकुल मेहता, इंद्रनील सेन गुप्ता, श्वेता तिवारी, नीरज काबी
प्राइम वीडियो
काश,,,प्राइम वीडियो में फास्ट फॉरवर्ड बटन होता और बीच बीच में ऐड्स ना देखने पड़ते, ये सीरीज देखते हुए आपको ये कई बार महसूस होता है, ये एक खराब सीरीज नहीं है लेकिन ये कोई बढ़िया सीरीज भी नहीं है. आप इसे टाइमपास के लिए देख सकते हैं, लेकिन एक टाइम के बाद लगता है कि स्पीड बढ़ाकर देख लें और जल्दी से खत्म कर दें. ये आइडिया अच्छा है, लेकिन इसका एग्जिक्यूशन कमजोर है, खिंचा हुआ लगता है. इतना बीयर बीयर हो जाता है कि आपको लगता है आपको भी बीयर मिल जाए और पीकर आप सो जाएं.
कहानी
ये कहानी है शिखा रॉय चौधरी यानि तमन्ना भाटिया की जिनकी नौकरी चली जाती है और अब वो अपना काम करना चाहती है. उसकी दोस्त अनाहिता यानि डायना पेंटी भी अपनी नौकरी से परेशान होकर रिजाइन कर देती है. अब ये दोनों कुछ अपना करना चाहते हैं और बीयर बनाने का प्लांट लगाने का सोचते हैं लेकिन ये इतना आसान नहीं है. पैसा कहां से आएगा? कौन इनके साथ काम करेगा? ब्रांडिंग कैसे होगी? यही कहानी 8 एपिसोड की इस सीरीज में दिखाई गई है.
कैसी है ये सीरीज
ये एक एवरेज सी सीरीज है, आइडिया अच्छा लगता है कि दो लड़कियां बीयर का प्लांट लगाने के लिए क्या कुछ करती हैं,लेकिन ट्रीटमेंट उतना मजेदार नहीं लगता. ये सीरीज खिंची हुई लगती है, ऐसा लगता है कि इसे थोड़ा छोटा होना चाहिए था. कॉमेडी करने की कोशिश होती है लेकिन बस कोशिश ही होती है. उतना मजा नहीं आता, ये उस तरह की सीरीज है जिसे आप अपने काम करते हुए लगा सकते हैं और देख सकते हैं.ये सीरीज आपको पूरा फोकस नहीं ले पाती और यही इसकी कमजोरी है. कास्टिंग बढ़िया है, ,सीरीज देखने में फ्रेश लगती है, अच्छी लगती है लेकिन राइटिंग में मार खा जाती है.
एक्टिंग
तमन्ना भाटिया का काम बढ़िया है, ये किरदार उनपर सूट करता है. वो लगी भी काफी अच्छी हैं, डायना पेंटी ने भी अच्छा काम किया है. उन्होंने इस कैरेक्टर के साथ पूरा इंसाफ किया है. जावेद जाफरी का रोल सबसे मजेदार है, वो काफी इम्प्रेस करते हैं. नकुल मेहता अच्छे लगे हैं, इंद्रनील सेन गुप्ता, श्वेता तिवारी, नीरज काबी सबने अपना काम अच्छे से किया है. सूफी मोतावाला को क्यों लिया गय, समझ से परे है.
राइटिंग और डायरेक्शन
नंदिनि गुप्ता और अर्श वोरा ने ये सीरीज लिखी है, Collin D'cunha और Archit kumar ने सीरीज डायरेक्ट की है और ये लोग अपना काम ठीक से नहीं कर पाए. राइटिंग में और दम होना चाहिए था, सीरीज में बार बार जुगाड़ शब्द यूज होता है ऐसा लगता है राइटिंग भी जुगाड़ से की गई. थोड़ा और गहराई डाली जानी चाहिए थी, डायरेक्शन भी ठीक ही है, सीरीज आपको बांधकर नहीं रख पाती.
कुल मिलाकर टाइप पास के लिए ये सीरीज देख सकते हैं
रेटिंग - 2.5 स्टार्स

























