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Zakat in Islam: ज़कात देते समय दिखावे से बचें! हाजी अहमद की सलाह नेक काम में ईमानदारी ही सबसे बड़ा इनाम

Zakat in Islam: इस्लाम में जकात सिर्फ दान नहीं, बल्कि दिल की सफाई और समाज की मदद है. नेक इरादों से दिया गया ही असली जकात है; दिखावा और खुद को बड़ा दिखाने से इसका मकसद बिगड़ जाता है.

Zakat in Islam: इस्लाम में जकात देना फर्ज है, जो हर मुसलमानों पर लगाया गया दान है. इस्लाम में जकात सिर्फ दान नहीं है, बल्कि यह इंसान के दिल की सफाई और समाज की मदद करने का एक अहम जरिया है. लेकिन अक्सर देखा जाता है कि लोग जकात देते वक्त अपनी शख्सियत या दूसरों पर असर दिखाने में लग जाते हैं.

हाजी अहमद ने इस पर गहरी नजर डाली और कहा कि इंसान की फितरत ऐसी है कि नेक काम करते हुए भी वह खुद को बड़ा दिखाने की कोशिश करता है. इसलिए जकात देते समय अपनी नीयत साफ रखना और दिखावे से बचना बहुत जरूरी है. नेक काम में ईमानदारी सबसे बड़ा इनाम है.

जकात देना क्यों जरूरी है?
इस्लाम में जकात देना बहुत जरूरी है. यह सिर्फ पैसे देने का काम नहीं है, बल्कि गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करने का तरीका है. जकात से समाज में बराबरी और इन्साफ बनता है. यह दिल को साफ करता है और लालच और खुदगर्जी को कम करता है.

नेक नीयत से दिया गया जकात खुदा की रजा दिलाने का जरिया है. बिना जकात के इंसान अपने दौलत का सही इस्तेमाल नहीं कर पाता.

दिखावे और नेक इरादों के बीच फर्क
जकात का असली मकसद यही है जरूरतमंदों की मदद की जाए और खुद के सामने हमारी नीयत साफ हो. लेकिन हाजी अहमद का कहना है कि इंसान अक्सर दिखावे और दूसरों की तारीफ पाने की चाह ने फंस जाता है. नेक इरादों की जगह जकात को लोग कभी-कभी ऐसा मौका समझ लेते हैं, जिससे वे अपनी अहमियत और समाज में अपनी पहचान दिखा सकें.

ऐसे में नेक काम भी सिर्फ दिखावे में बदल जाता है. इसलिए जकात देते समय अपनी नीयत और दिल की सच्चाई सबसे जरूरी होती है.

सोशल प्रेशर और दिखावे की चाह 
हाजी अहमद कहते हैं कि इंसान की फितरत में दूसरों से तारीफ और इज्जत पाने की चाह में बहुत गहरी होती है. अक्सर लोग सोचते हैं कि जितना बड़ा दान देंगे या मदद करेंगे, उतनी ही उनकी इज्जत बढ़ेगी. इसी वजह से कई बार जकात का असली मकसद पीछे रह जाता है.

दान या मदद करने के असली मकसद दूसरों की मदद करना होना चाहिए, लेकिन लोग इसे खुद को दिखाने या दूसरों पर असर डालने का मौका बना लेते हैं. नेक इरादों के बजाय अक्सर दिखावा ही काम कर जाता है.

हाजी अहमद की नजर में इस्लाम की असली फितरत
हाजी अहमद कहते हैं कि इंसान की फितरत में हमेशा खुद को अहम और दूसरों से अलग दिखाने की आदत रहती है. यह सिर्फ जकात देने तक ही नहीं, बल्कि हर नेक काम में दिखती है. कई बार लोग मदद या दान का असली मकसद भूल जाते हैं और इसे दूसरों पर असर डालने या खुद को बड़ा दिखाने का जरिया बना लेते हैं.

हाजी अहमद कहते हैं कि इंसान को अपनी नीयत पर ध्यान देना चाहिए, तभी नेक काम सच में नेक और असरदार बनता है.

जकात को नेक इरादे से देने का तरीका
हाजी अहमद कहते हैं कि जकात का असली मकसद सिर्फ मदद करना और समाज में बराबरी बनाए रखना है. इसे सही तरीके से देना चाहिए ताकि किसी को दिखावा न लगे और खुद को बड़ा दिखाने का लालच न हो.

हाजी अहमद का सुझाव है कि इंसान हमेशा अपनी नीयत पर ध्यान रखे और नेक काम चुपचाप करे. जब हम दिल से मदद करते हैं, तभी नेक काम सच में नेक और असरदार बनता है.

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Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में छोटा-सा गांव है तिलबिहता, जहां 22 साल की कहकशां परवीन रहती हैं. पढ़ाई की शौक कहकशां अपने सपने पूरे करने के लिए लगातार मेहनत कर रही हैं. 25 मार्च 2003 के दिन तिलबिहता गांव में अपनी जिंदगी का सफर शुरू करने वाली कहकशां के पिता मोहम्मद जिकरुल्लाह बिजनेसमैन हैं तो मां नजदा खातून हाउसवाइफ हैं. भाई आमिर आजम, बहन उजमा परवीन, जेबा परवीन, सदफ परवीन और दरख्शां परवीन को वह अपनी ताकत मानती हैं. वहीं, उनकी सबसे अच्छी दोस्त सान्या कुमारी हैं. 

तिलबिहता के ओरेकल पब्लिश स्कूल से स्कूलिंग करने के बाद कहकशां ने हरदी के आरकेएसपी अकैडमी हाई स्कूल से मैट्रिक किया तो जैतपुर स्थित एसआरपीएस कॉलेज से इंटर पास किया. मुजफ्फरपुर के लंगट सिंह कॉलेज से बैचलर ऑफ मास कम्यूनिकेशन (BMC) करने वाली कहकशां को अब अपने फाइनल रिजल्ट का इंतजार है. 

कहकशां की जिंदगी में पढ़ाई के साथ-साथ कई शौक हैं, जो उनकी दिनचर्या को रोचक बनाते हैं. अपने आसपास की खूबसूरत चीजों को कैमरे में कैद करने में माहिर कहकशां को खबरें पढ़ना और पेंटिंग बनाना बेहद पसंद है. इसके अलावा वह खाना बनाना, नमाज पढ़ना, रील्स देखना, गाना सुनना और कॉमेडी वीडियो देखना भी पसंद करती हैं. 

फिल्म संजू का 'कर हर मैदान फतेह' गाना हर मुश्किल वक्त में उन्हें हिम्मत देता है तो आमिर खान, शाहरुख खान और ऐश्वर्या राय बच्चन उनके पसंदीदा सेलेब्स हैं. वहीं, फिल्म चक दे इंडिया से उन्हें कुछ कर दिखाने की प्रेरणा मिलती है. एमएस धोनी, विराट कोहली और सचिन तेंदुलकर उनके फेवरेट क्रिकेटर्स हैं. वहीं, सुबह का वक्त और सर्दी का मौसम उन्हें बेहद पसंद है. कहकशां फोटोग्राफी के जरिए लोगों की कहानियां बयां करना चाहती हैं, जिसके लिए वह लगातार मेहनत कर रही हैं.

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