Varamahalakshmi Pooja Timings 2025: आज वरलक्ष्मी व्रत पूजा के 4 शुभ मुहूर्त, जानें कैसे करे पूजन
Varamahalakshmi Pooja Timings 2025: वरलक्ष्मी व्रत आज है. हर साल सावन में वरलक्ष्मी व्रत करते हैं, इस बार वरलक्ष्मी व्रत 8 अगस्त 2025 को है. आखिर क्या है इसका महत्व, सब कुछ यहां जानें.

Varalaxmi vrat 2025: 8 अगस्त यानी आज वरलक्ष्मी व्रत है. ये पर्व उन दुर्लभ त्योहारों में से एक है जो पूरी तरह से स्त्री प्रधान हैं. इस अवसर पर महिलाएं देवी लक्ष्मी, जो समृद्धि और धन की प्रदाता हैं. यह एक उत्सव और एक कठोर अनुष्ठान दोनों है, जिसका पालन केवल विवाहित महिलाएं ही करती हैं.
रलक्ष्मी को महालक्ष्मी का अवतार माना जाता है. इस व्रत को करने से घर में सुख-समृद्धि का आगमन होता है और परिवार के सदस्यों में आपसी प्रेम बना रहता है. इस व्रत को करने से संतान का सुख भी प्राप्त होता है. इस साल वरलक्ष्मी व्रत कब किया जाएगा जान लें.
कैसे करते हैं वरलक्ष्मी व्रत ?
वरलक्ष्मी व्रत के दौरान मां लक्ष्मी की ठीक वैसे ही पूजा की जाती है, जैसे कि दीपावली में की जाती है. विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर भगवान श्रीगणेश की पूजा करें. दोरक और वायन अर्पित किया जाता है. स्त्रियां बारी-बारी से एक-दूसरे को देवी के प्रतिनिधि के रूप में सम्मानित करती हैं, मिठाइयां, मसाले, नए वस्त्र और धन का आदान-प्रदान करती हैं.
सावन के आखिरी शुक्रवार पर करते हैं व्रत
हिंदू माह के सावन माह की पूर्णिमा से पहले पड़ने वाले शुक्रवार को यह त्यौहार मनाया जाता है यानी सावन का आखिरी शुक्रवार वरलक्ष्मी व्रत के नाम से प्रसिद्ध है. इस साल वरलक्ष्मी व्रत 8 अगस्त 2025 को है.
वरलक्ष्मी व्रत 2025 पूजा मुहूर्त
- सिंह लग्न पूजा मुहूर्त (प्रातः) - सुबह 06:29 - सुबह 08:46
- वृश्चिक लग्न पूजा मुहूर्त (अपराह्न) - दोपहर 01:22 - दोपहर 03:41
- कुम्भ लग्न पूजा मुहूर्त (सन्ध्या) - दोपहर 07:27 - दोपहर 08:54
- वृषभ लग्न पूजा मुहूर्त (मध्यरात्रि) - दोपहर 11:55 - सुबह 01:50 ए एम, 9 अगस्त
देवी लक्ष्मी की पूजा करने का सर्वोत्तम समय स्थिर लग्न के समय होता है. ये चारों ही स्थिर लग्न है. मान्यताओं के अनुसार, स्थिर लग्न के समय लक्ष्मी पूजा करने से दीर्घकालीन समृद्धि की प्राप्ति होती है.
कहां मनाया जाता है वरलक्ष्मी व्रत ?
महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक प्रदेश की विवाहित महिलाएं ये व्रत करती है.
वरलक्ष्मी व्रत में पीले धागे का महत्व
वरलक्ष्मी व्रत के दौरान देवी को एक तोरम या सरदु बांधा जाता है, हल्दी के लेप में लिपटा एक धागा जिसमें लगातार नौ गाँठें होती हैं, सारी स्त्रियों के लिए एक ऐसा ही धागा तैयार किया जाता है और पूजा के दौरान देवी के सामने रखा जाता है. अनुष्ठान के बाद, इसे सुरक्षा के प्रतीक के रूप में दाहिनी कलाई पर पहना जाता है.
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