सफलता की कुंजी: कम समय में ज्यादा उन्नति के लिए सर्वाेत्तम है वाणिज्य कर्म
बहुमुखी प्रतिभा का प्रदर्शन सफलता के लिए आवश्यक है. सेवा और उद्यम से ज्यादा प्रतिभाशाली काम करने का क्षेत्र वाणिज्य एवं व्यापार है. इसमें जुटे लोग अधिक योग्य और सफल होते हैं.
व्यापार वाणिज्य की सबसे बड़ी जरूरत व्यवहार की श्रेष्ठता है. श्रेष्ठ व्यवहार से अनजान को भी अपना बनाया जा सकता है. व्यापार वाणिज्य श्रेष्ठ संबंधों में चहुंओर लाभ की संभावना बनाता है. क्रेता हों या विक्रेता वाणिज्य की कुशलता से सफलता का अध्याय सबसे तेज गढ़ा जा सकता है.
वाणिज्यकर्ता का संबंध दूर देश के विभिन्न देश-काल और समाज के लोगों से स्थापित होता है. ऐसे में विश्व को वास्तविक रूप से समझने में व्यापार महत्वपूर्ण है.
डद्यमी और सेवाकर्मी के गुण सहज ही वणिज्यकर्ता में होते हैं. दोनों की मुख्य कड़ी और जिम्मेदार व्यापारकर्ता ही होता है. मनुष्य की योग्यता का अधिकाधिक उपयोग व्यापार में संभव है. सफलता के लिए इन्हीं मूल गुणों के सर्वाेत्तम उपयोग से व्यवसायी सफलता के नए आयाम गढ़ता है.
विश्वभर में नजर दौड़ाएं तो हमें इसी क्षेत्र में सर्वाधिक सफल लोग दिखाई पड़ते हैं. भारत की इतिहास भी विश्व व्यापी बाजार से ख्यात रहा है. एक समय ऐसा था जब भारतीय वाणिज्य कर्म के कारण ही वह दुनियाभर में सोने की चिड़िया कहलाता था. अंग्रेजों ने व्यापार से ही सफलता पाई. भारत को नुकसान भी उन्होंने व्यापार के रास्ते ही सर्वाधिक पहुंचाया.
वर्तमान में भारत का व्यापार पुनः वैश्विक स्तर पर तेजी से बना रहा है, यह सफलता न सिर्फ व्यक्ति विशेष के लिए नव उन्नति के मार्ग गढ़ रही है बल्कि देश को विश्व के नक्शे पर उभार रही है.
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