Shardiya Navratri 2nd Day: मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से पूरा होता है लक्ष्य, जानें नवरात्रि के दूसरे दिन का मुहूर्त, आरती, पूजा विधि
Shardiya Navratri 2024 2nd day: शारदीय नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजन विधि, भोग, मंत्र, रंग और आरती यहां जानें.
Shardiya Navratri 2024: 4 अक्टूबर 2024 को आज नवरात्रि का दूसरा दिन है, जो मां दुर्गा की दूसरी शक्ति मां ब्रह्मचारिणी को समर्पित है. या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ ये योग, साधना, तपस्या, संयम की देवी हैं.
इनकी उपासना से व्यक्ति को अपना लक्ष्य प्राप्त करने की सीख मिलती है. मान्यताओं के अनुसार, समस्त सौभाग्य के दाता मंगल भगवान को देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा से शासित किया जाता है. आइए जानते हैं मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि, मुहूर्त.
नवरात्रि के दूसरे दिन का शुभ मुहूर्त (Shardiya Navratri 4 October 2024 Muhurat)
चर (सामान्य) - सुबह 06.16 - सुबह 07.44
लाभ (उन्नति) - सुबह 7.44 - सुबह 09.13
अमृत (सर्वोत्तम) - सुबह 09.13 - सुबह 10.41
मां ब्रह्मचारिणी को क्या पसंद है (Maa Brahmacharini)
- 4 अक्टूबर 2024 - नवरात्रि का दूसरा दिन, मां ब्रह्मचारिणी की पूजा
- शुभ रंग - हरा
- प्रिय फूल - चमेली
- भोग - पंचामृत और शक्कर
- पूजा विधि - मां ब्रह्मचारिणी की पूजा में हरे रंग के वस्त्र पहनें और देवी के मंत्र ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः॥ का जाप करते हुए उनकी प्रिय चीजें अर्पित करें.
मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप
देवी ब्रह्मचारिणी को पादुकाहीन चरणों से चलते हुए दर्शाया गया है. उनकी दो भुजायें हैं. दाहिने हाथ में जप माला और बायें हाथ में कमण्डलु धारण करती हैं.
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का लाभ (Maa Brahmacharini Puja Benefit)
माता ब्रह्मचारिणी हमें यह संदेश देती हैं कि जीवन में बिना तपस्या अर्थात कठोर परिश्रम के सफलता प्राप्त करना असंभव है। बिना श्रम के सफलता प्राप्त करना ईश्वर के प्रबंधन के विपरीत है. माता की उपासना से लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करने की शक्ति मिलती है.
देवी ब्रह्मचारिणी का स्तोत्र (Maa Brahmacharini Stotra)
तपश्चारिणी त्वंहि तापत्रय निवारणीम्।
ब्रह्मरूपधरा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥
शङ्करप्रिया त्वंहि भुक्ति-मुक्ति दायिनी।
शान्तिदा ज्ञानदा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥
मां ब्रह्मचारिणी की आरती (Maa Brahmacharini Aarti)
जय अम्बे ब्रह्मचारिणी माता। जय चतुरानन प्रिय सुख दाता॥
ब्रह्मा जी के मन भाती हो। ज्ञान सभी को सिखलाती हो॥
ब्रह्म मन्त्र है जाप तुम्हारा। जिसको जपे सरल संसारा॥
जय गायत्री वेद की माता। जो जन जिस दिन तुम्हें ध्याता॥
कमी कोई रहने ना पाये। कोई भी दुःख सहने न पाये॥
उसकी विरति रहे ठिकाने। जो तेरी महिमा को जाने॥
रद्रक्षा की माला ले कर। जपे जो मन्त्र श्रद्धा दे कर॥
आलस छोड़ करे गुणगाना। माँ तुम उसको सुख पहुँचाना॥
ब्रह्मचारिणी तेरो नाम। पूर्ण करो सब मेरे काम॥
भक्त तेरे चरणों का पुजारी। रखना लाज मेरी महतारी॥
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