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Surya Grahan 2025: साल का दूसरा सूर्य ग्रहण क्यों विशेष है, ज्योतिष और वेद ग्रंथ से जानिए रहस्य

Surya Grahan 2025: सूर्य ग्रहण को खगोलीय घटना माना जाता है. इस साल के दूसरे सूर्य ग्रहण को खास माना जा रहा है, आखिर क्या है वजह और ज्योतिष-वेदों में इसकी क्या मान्यता जान लें.

Surya Grahan 2025: इस साल के दूसरे और आखिरी सूर्य ग्रहण को लेकर लोगों में बहुत कंफ्यूजन बना है.  दावा ये है कि इस साल 2 अगस्त को पूर्ण सूर्य ग्रहण होने जा रहा है जिसमें 6 मिनट के लिए दुनिया पर अंधेरा छा जाएगा. ऐसा सूर्य ग्रहण अगले 100 साल तक देखने को नहीं मिलेगा. इस नजारे को देखने के लिए लोगों में दिलचस्पी बढ़ गई है.

खासबात ये है कि 2 अगस्त को लगने वाला सूर्य ग्रहण 2025 नहीं बल्कि 2027 में लगेगा. ऐसे में अब जानते हैं इस साल का दूसरा सूर्य ग्रहण किस तारीख को लगने वाला है और ये क्यों खास माना जा रहा.

साल का दूसरा ग्रहण क्यों है खास ?

इस साल का दूसरा और आखिरी सूर्य ग्रहण 21 सितंबर 2025 को लगेगा. जो आंशिक सूर्य ग्रहण होगा. इसकी शुरुआत आश्विन मास की कृष्ण पक्ष अमावस्या के दिन रात 22:59 बजे होगी और 22 सितंबर की सुबह 03:23 समापन होगा.

खास बात ये है कि इस साल का दूसरे सूर्य ग्रहण के दिन सर्वपितृ अमावस्या भी है. ग्रहण में पूजा पाठ, धार्मिक अनुष्ठान नहीं किए जाते हैं ऐसे में लोगों में ये संशय है कि पितरों का श्राद्ध तर्पण कैसे होगा. इसके लिए परेशान न हों, ये सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा ऐसे में पूजा-पाठ निरंतर जारी रहेंगे.

सूर्य ग्रहण का ज्योतिष महत्व

21 सितंबर को लगने वाला सूर्य ग्रहण कन्या राशि और फाल्गुनी नक्षत्र में लगने जा रहा है. ज्योतिष में सूर्य ग्रहण को एक महत्वपूर्ण घटना माना जाता है,  इसका मानव जीवन और राशियों पर भी गहरा प्रभाव पड़ता है. सूर्य ग्रहण को राहु-केतु के साथ भी जोड़ा जाता है, जो छाया ग्रह हैं और सूर्य के साथ युति बनाने पर ग्रहण दोष का कारण बनते हैं, इससे कई लोगों के जीवन में नकारात्मकता देखने को मिलती है.

ग्रहण दोष के प्रभाव

  • दुर्घटना बढ़ जाती है. देश-दुनिया पर प्राकृति आपदा का खतरा रहता है.
  • वैवाहिक जीवन में अस्थिरता आती है.
  • वंश वृद्धि में अवरोध पैदा होते हैं, कई बार गर्भपात की स्थिति पैदा हो सकती है.
  • पिता के साथ रिश्तों में खटास की संभावना बढ़ जाती है.
  • निर्णय लेने की क्षमता क्षीण हो जाती है.

वेदों में सूर्य ग्रहण

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ग्रहण को हिंदू धर्म में शुभ नहीं माना जाता है. इस दौरान सभी तरह की पूजा वर्जित होती है. मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं. खाना दूषित हो जाता है. ऐसे में ग्रहण के प्रभाव से बचने के लिए केवल मानसिक रूप से पाठ करने का विधान है.

अथर्ववेद में ग्रहण के समय किए जाने वाले सुरक्षा उपायों और मंत्रों का उल्लेख है. इसमें ग्रहण को राक्षसी शक्तियों का प्रभाव माना गया है और इससे बचने के लिए मंत्रों के जाप की सलाह दी गई है.

ऋग्वेद में सूर्य ग्रहण को असुर स्वरभानु से जोड़ा गया है, जो बाद में भगवान् विष्णु के चक्र से अलग किये जाने पर राहु-केतु के नाम से जाने गए. ऋषि अत्री ने "अत्रिर्देवतां देवभिः सपर्यन् स्वरभानोरप हनद्विदत तमः" मंत्र का जाप कर स्वरभानु के फैलाए गए अंधकार को दूर किया था.

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Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

जागृति सोनी बर्सले ने माखनलाल यूनिवर्सिटी भोपाल से पत्रकारिता की पढ़ाई की है. वर्तमान में Abplive.Com में बतौर कंसल्टेंट धर्म, ज्योतिष, वास्तु और फेंगशुई से जुड़ी खबरों पर कार्य कर रही हैं. इन्हें पत्रकारिता में 8 वर्ष पूर्ण हो चुके हैं. जागृति सोनी बर्सले ने डिजिटल पत्रकारिता की शुरुआत दैनिक भास्कर डॉट कॉम से की. इसके बाद इन्होंने राष्ट्रीय और लाइफस्टाइल खबरों के अलावा वीडियो सेक्शन में बतौर सीनियर प्रोड्यूसर भी लंबे समय तक काम किया है. खाली समय में इन्हें किताबें पढ़ना इन्हें अच्छा लगता है. अध्यात्म में इनकी गहरी रुचि है. लोगों के जीवन को सरल व सुगम बनाने के लिए ये अपने लेखों के माध्यम से प्रेरित करती रहती हैं. इनका मकसद धर्म और ज्योतिष के वैज्ञानिक पहलुओं से लोगों को अवगत कराना ताकि हजारों साल पुराने इस ज्ञान को दैनिक जीवन में अधिक उपयोगी बनाया जा सके. इन्हें संगीत व धार्मिक स्थलों की यात्रा करने का भी शौक है. महिलाओं व बच्चों के विकास के लिए ये जागरुक भी करती रहती हैं.
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