पूर्वजों के पास थी बेहतर फूड सेफ्टी सिस्टम, अग्नि और भोजन का वो सच जो नहीं जानते होंगे आप
हिंदू धर्म में भोजन को ग्रहण करने पहले अग्नि में अर्पित करने की परंपरा थी. यह परंपरा ईश्वर के प्रति आस्था और आभार व्यक्त करने के साथ ही भोजन की शुद्धता से भी जुड़ा था.

भारतीय वैदिक परंपरा, संस्कार और नियमों में आस्था के साथ ही गहन विज्ञान छिपा है. सनातन धर्म से जुड़ी ऐसी कई परंपराएं हैं, जिसके आगे आज विज्ञान भी नतमस्तक है. सनातन धर्म में भोजन पकाकर खाना केवल एक कार्य या भूख को शांत करने की विधि नहीं थी, बल्कि भोजन को पकाने और खाने के बीच कई नियमों का पालन भी किया जाता था. इन्हीं नियमों में एक है, अग्नि में भोजन डालना.
आपने देखा होगा कि यज्ञ इत्यादि के दौरान हवनकुंड की अग्नि में भोजन का अंश अर्पित किया जाता है. लेकिन पुराने समय में लोग सिर्फ यज्ञ में ही नहीं बल्कि घरों में बनने वाले भोजन का भी थोड़ा अंश सबसे पहले अग्नि में चढ़ाते थे.
आज भी कई लोग इस नियम का पालन करते हैं. अग्नि में भोजन अर्पित करना केवल आस्था से ही नहीं जुड़ा था, बल्कि इसके पीछे गहरा विज्ञान भी छिपा था. भले ही हमारे पूर्वजों के पास डिग्रियां नहीं थी, लेकिन अपने समय में उन्होंने विशेष नियम बनाकर रोगों से लड़ने की विधि निकाल ली थी.
अग्नि में भोजन अर्पित करने का लॉजिक
स्वस्थ रहने के लिए हमारे पूर्वजों ने सुपाच्य भोजन, शुद्ध आहार, सदाचरण, योग, बेहतर दिनचर्या और स्वस्थ मन पर हमेशा बल दिया. आइए जानते हैं भारतीय संस्कृति में भोजन ग्रहण करने से पहले उसे अग्नि में चढ़ाने की परंपरा केसे और क्यों बनी. अग्नि में भोजन अर्पित करने के कई कारण है. एक कारण यह है कि, भोजन के कुछ अंश को अग्नि में अर्पित कर हम ईश्वर के प्रति श्रद्धा भाव प्रकट करते हैं.
इसके साथ ही प्राचीन समय में अग्नि में दिया गया पहला कौर शरीर की सबसे बड़ी सुरक्षा थी. वैदिक परंपरा में भोजन को सबसे पहले अग्नि में आहुति देना केवल धार्मिक परंपरा या आस्था से नहीं जुड़ा था, बल्कि इससे शारीरिक सुरक्षा भी जुड़ी थी. कहा जाता था कि, जो भोजन अग्नि को स्वीकार नहीं होता, उसे मानव शरीर के लिए उपयुक्त नहीं माना जाता था. अग्नि में भोजन डालते समय उसके रंग, गंध, धुंआ और जलने की प्रतिक्रिया पर नजर रखी जाती थी.
आज आधुनिक समय में हर चीज की टेस्टिंग के लिए कई साधन मौजूद हैं. लेकिन पुराने समय में हमारे पूर्वज फूड टेस्टिंग के लिए अग्नि में भोजन डालने की प्रकिया का पालन करते थे. यदि अग्नि में डाले गए भोजन पर असामान्य गंध या काला धुंआ होता था, तो ऐसे भोजन को दूषित या खाने के लिए अनुपयोगी माना जाता था. भोजन को लेकर बनी ये वैदिक व्यवस्थाएं हमें इस बात का संदेश देती है कि, भोजन का संबंध सिर्फ स्वाद से नहीं बल्कि ऊर्जा से भी है.
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