मां ब्रह्मचारिणी को अति प्रिय है ये रंग, नवरात्रि के दूसरे दिन करें धारण
मां के हर स्वरूप को एक खास रंग प्रिय होता है. अगर हर दिन मां के स्वरूप के अनुरूप उस खास रंग को आत्मसात किया जाए तो मां की असीम कृपा प्राप्त की जा सकती है. नवरात्रि के पहले नवरात्रि के पहले दिन जहां मां शैलपुत्री की पूजा की जाती हैं तो वहीं दूसरा दिन समर्पित होता है ब्रह्मचारिणी देवी को.

जिस तरह नवरात्रि के नौ दिनों तक देवी के नौ स्वरूपों की पूजा अर्चना की जाती है और हर देवी को अलग अलग भोग भी लगाया जाता है...ठीक उसी तरह मां के हर स्वरूप को एक खास रंग प्रिय होता है. अगर हर दिन मां के स्वरूप के अनुरूप उस खास रंग को आत्मसात किया जाए तो मां की असीम कृपा प्राप्त की जा सकती है. नवरात्रि के पहले दिन जहां मां शैलपुत्री की पूजा की जाती हैं तो वहीं दूसरा दिन समर्पित होता है ब्रह्मचारिणी देवी को. चलिए बताते हैं कि इन देवी को कौन सा रंग सबसे ज्यादा प्रिय है. और कैसे प्राप्त की जा सकती है ब्रह्मचारिणी मां की कृपा.
मां ब्रह्माचारिणी की कथा
ब्रह्म का अर्थ होता है तप और चारिणी का अर्थ है आचरण करने वाली अर्थात् ब्रह्मचारिणी का मतलब हुआ तप का आचरण करने वाली. कहते हैं इन देवी ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था जिसके कारण ही इनका नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा. नवरात्रि के दूसरे दिन माता पार्वती के इसी स्वरूप की पूजा का विधान है. इस दिन साधक विशेष तौर पर अपनी कुंडलिनी शक्तियां जागृत्त करने के लिए साधना करते हैं. मां के स्वरूप की बात करें तो इनके दाहिने हाथ में जप की माला और बाएँ हाथ में कमण्डल है.
देवी को प्रिय है ये रंग
यूं तो मां दुर्गा को लाल रंग सबसे ज्यादा प्रिय होता है लेकिन उनके स्वरूपों की बात करें तो हर देवी को एक विशेष रंग भाता है. शैलपुत्री माता जहां लाल रंग से प्रसन्न होती है तो वहीं ब्रह्मचारिणी मां को पीले रंग से बहुत लगाव है. इसीलिए कहा जाता है कि नवरात्रि के दूसरे दिन पीले रंग को धारण करना चाहिए. पीले वस्त्र पहनकर ही देवी की उपासना करें. सिर्फ यहीं नहीं देवी मां को भोग भी पीले रंग की चीज़ों का लगाए. इससे मां बहुत प्रसन्न होती हैं और भक्तों की हर मनोकामना को सिद्ध करती हैं.
विवाह में आने वाली बाधाएं करती हैं दूर
मान्यता है कि इन देवी की आराधना से विवाह में आने वाली हर बाधा दूर हो जाती है। इस दिन उन कन्याओं का पूजन भी होता है जिनका विवाह तय हो गया हो लेकिन शादी नहीं हुई हो. इन कन्याओं को नवरात्र के दूसरे दिन घर बुलाकर भोजन कराया जाता है और कपड़े , बर्तन इत्यादि भेंट स्वरूप दिया जाता है.
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