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क्या होता है Adolescence, जिसे लेकर बनी वेब सीरीज मचा रही धूम- जानें पेरेंट्स के लिए ये जानना कितना जरूरी

एडोलसेंस एक ऐसी उम्र होती है, जहां सही गाइडेंस और स्पोर्ट बच्चों को बेहतर इंसान बनाने में मदद कर सकता है. अगर पैरेंट्स इस फेज में बच्चों को समझें, तो वे फ्यूचर के लिए बेहतर फैसले भी ले सकेंगे.

Adolescence : इन दिनों Netflix की एक वेब सीरीज 'Adolescence' खूब चर्चा में है. ओटीटी पर यह सीरीज धूम मचा रही है. इस शो की कहानी 13 साल के बच्चे जेमी मिलर की है, जिसे पुलिस ने अपने ही क्लासमेट के मर्डर के लिए अरेस्ट किया है. फिल्म में टीनएजर्स की जिंदगी, उनके मानसिक और शारीरिक बदलावों को रियलिस्टिक अंदाज में दिखाया गया है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि Adolescence क्या होता है, इसका असर बच्चों पर कैसा पड़ता है और क्यों हर पेरेंट्स को इसके बारे में जानना बेहद जरूरी है. आइए जानते हैं...

Adolescence क्या है 

'Adolescence' शब्द का मतलब किशोरावस्था है. 10 से 19 साल की वो उम्र जब किसी बच्चे में अच्छा या बुरा में फर्क करने की समझ तैयार होती रहती है. एडोलसेंस वह दौर होता है जब बच्चे शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से तेजी से बदलते हैं.. इस समय बच्चे न सिर्फ शरीर में बदलाव महसूस करते हैं, बल्कि उनके सोचने-समझने का तरीका, व्यवहार और भावनाएं भी बदल जाती हैं.

एडोलसेंस के तीन फेज 

शुरुआती किशोरावस्था (10-13 साल)- शरीर में बदलाव की शुरुआत, मासूमियत से आगे बढ़ने का दौर.

मध्य किशोरावस्था (14-17 साल)- आत्मनिर्भर होने की चाहत और फ्रेंड्स का बढ़ता प्रभाव

अंतिम किशोरावस्था (18-19 साल)- रिस्पॉन्सिबिली और मेच्योरिटी की ओर 

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Adolescence में बच्चों में होने वाले बदलाव

फिजिकल चेंजेस

लड़कों में दाढ़ी-मूंछ आना, आवाज बदलना, मांसपेशियां बढ़ना.

लड़कियों में वजन और हाइट बढ़ना, हार्मोनल बदलाव, पीरियड्स शुरू होना.

मेंटल चेंजेस

सोचने-समझने की क्षमता बढ़ती है.

खुद की पहचान को लेकर सवाल उठते हैं.

तर्क करने की प्रवृत्ति बढ़ती है.

इमोशनल चेंजेस

मूड स्विंग्स होना

गुस्सा, अकेलापन या विद्रोही स्वभाव दिख सकता है.

दोस्तों की सलाह ज्यादा मायने रखती है.

Adolescence को समझना पैरेंट्स के लिए क्यों जरूरी

1. बच्चों की मानसिकता को समझना

अगर पेरेंट्स अपने किशोर बच्चों के व्यवहार में बदलाव देखें तो उन्हें डांटने की बजाय समझने की कोशिश करें.

2. खुलकर बातचीत करें

बच्चे इस दौर में कई सवालों से जूझते हैं, लेकिन अक्सर पेरेंट्स से बात करने में हिचकिचाते हैं. उनसे खुलकर बात करना जरूरी होता है.

3. गलत आदतों से बचाएं

यह एक ऐसी एज होती है, जब बच्चों में गलत दोस्ती-यारी, स्क्रीन एडिक्शन, सोशल मीडिया के साइड इफेक्ट्स और मेंटल स्ट्रेस जैसी समस्याएं आम होती हैं. पेरेंट्स को अलर्ट रहने की जरूरत है.

4. सपोर्टिव बनें, सख्त नहीं

कई पेरेंट्स इस उम्र में बच्चों पर सख्ती बढ़ा देते हैं, जिससे बच्चा विद्रोही हो सकता है. इसलिए ऐसा करने से बचें, उन्हें और उनकी भावनाओं को समझें, जहां तक हो सके गाइड करें.

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

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About the author कोमल पांडे

माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय से पत्रकारिता की पढ़ाई पूरी की है. पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव है. पॉलिटिकल, फीचर, नॉलेज के लेखन में दिलचस्पी है. ABP Live के लिए फीचर की खबरें लिखती हूं. खबरें अच्छी हों, रीडर्स को पढ़ने में अच्छा लगे और जो तथ्य हों वो सही हों, इसी पर पूरा जोर रहता है.
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