बोलने और चलने में होती है दिक्कत, दिखाई भी देता है कम...कहीं आप मल्टीपल स्क्लेरोसिस डिसऑर्डर के तो शिकार नहीं?
Mutiple Sclerosis: मल्टीपल स्क्लेरोसिस बहुत ही क्रॉनिक कंडीशन है इसमें दिमाग और रीढ़ की हड्डी की नसों को बुरी तरह से क्षति पहुंचती है.थकान मल्टीपल स्क्लेरोसिस के सबसे आम लक्षणों में से एक है.

Multiple Sclerosis: मस्तिष्क से जुड़ी कई गंभीर बीमारी होती है जिसे हर किसी को जानना जरूरी लेकिन बहुत कम ही लोगों को इन बीमारियों के बारे में पता चलता है इन्हीं में से एक बीमारी है मल्टीपल स्क्लेरोसिस. यह बहुत ही क्रॉनिक कंडीशन है. इसमें दिमाग और रीढ़ की हड्डी की नसों को बुरी तरह से क्षति पहुंचती है, दरअसल ब्रेन और स्पाइन में हर एक तंत्रिका फाइबर माइलीन नामक प्रोटीन की एक लेयर से से घिरी होती है जो नर्वस की रक्षा करता है. इलेक्ट्रिकल सिग्नल को ब्रेन से शरीर के बाकी हिस्सों में पहुंचाने में मदद करता है. मल्टीपल स्क्लेरोसिस होने पर माइलीन क्षतिग्रस्त हो जाता है. इससे दिमाग के लैट्रल वेंट्रीकल पर धब्बा बन जाता है, जिससे अटैक आते हैं. इस स्थिति में उस हिस्से की कोशिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती है. जिससे आंख की नस और रीढ़ की हड्डी पर बुरा असर पड़ता है. इसके कारण आपका शरीर मस्तिष्क तक जरूरी संकेत नहीं पहुंचा पाता. इसमें आंखों की रोशनी जा सकती है. हाथ पैरों की ताकत कम हो सकती है. बोलने की शक्ति, पाचन तंत्र और मूत्र प्रणाली पर भी असर पड़ सकता है.
मल्टीपल स्क्लेरोसिस के लक्षण
- थकान मल्टीपल स्क्लेरोसिस के सबसे आम लक्षणों में से एक है. 80 फ़ीसदी लोगों को थकान महसूस होती है.इस बीमारी की वजह से रोजमर्रा के कामों को करने में
कठिनाई आ सकती हैं. - इस समस्या में पीड़ित को चलने फिरने में कठिनाई हो सकती है. पैर सुन्न हो जाते हैं. पैर में कमजोरी आ जाती है. झुनझुनी और कंपन की समस्या
- नजरों से जुड़ी समस्या हो सकती है. जैसे एक आंख में दर्द या धुंधली दृष्टि या दोहरी दृष्टि, अंधापन जैसी समस्याएं होने लगती है.
- इस समस्या में बोलने की क्षमता भी प्रभावित हो सकती है.सोचने की क्षमता प्रभावित हो सकती है.
इस बीमारी के जोखिम कारक
- ये किसी भी उम्र में हो सकता है लेकिन आमतौर पर ये 15 से 60 साल की उम्र के लोगों को प्रभावित करता है.
- इस रोग में पुरुषों की तुलना में महिलाओं को 2 गुना अधिक प्रभावित होने की संभावना होती है.
- अगर आपके घर में आपके भाई या माता-पिता को मल्टीपल स्क्लेरोसिस होता है तो ये रोग विकसित करने का जोखिम अधिक होता है
- टाइप 1 डायबिटीज, थायराइड, सूजन जैसी कुछ ऑटोइम्यून बीमारियां, ये बीमारी होने का खतरा बढ़ाती है.
- धूप के संपर्क में कम होना और विटामिन डी की कमी होने की वजह से इस बीमारी के होने की संभावना होती है.
मल्टीपल स्क्लेरोसिस के मरीजों का खानपान
- संतृप्त वसा के सेवन से परहेज करना चाहिए.
- खाने में ओमेगा-3 और ओमेगा 6 फैटी एसिड्स जरूर शामिल करना चाहिए.
- थकान को दूर करने के लिए ताजे फल हरी पत्तेदार सब्जियां साबुत अनाज का सेवन भरपूर मात्रा में करना चाहिए.
- भरपूर मात्रा में डेयरी प्रोडक्ट का सेवन आपकी हड्डियों को मजबूती दे सकता है,
- मल्टीपल स्क्लेरोसिस में कब्ज की समस्या हो जाती है, ऐसे में आपको फाइबर युक्त भोजन का सेवन करना चाहिए.
मल्टीपल स्क्लेरोसिस का परीक्षण
- एमआरआई स्कैन
- ब्लड टेस्ट
- लंबर पंक्चर या स्पाइनल टेस्ट
- इवोक्ड पोटेंशियल टेस्ट
Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.
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Source: IOCL






















