क्या पीसीओएस होने पर प्रेगनेंसी में आती है परेशानी, इसे ठीक कैसे किया जा सकता है
PCOS and Pregnancy Complications: पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं को प्रेगनेंसी में दिक्कत हो सकती है, लेकिन सही इलाज और जीवनशैली में बदलाव से मां बनना संभव है,

PCOS and Pregnancy Complications: जिन महिलाओं को पीसीओएस पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम की समस्या होती है. उनके लिए मां बनना थोड़ा मुश्किल हो जाता है. यह एक हार्मोनल डिसऑर्डर है, जो आजकल बड़ी संख्या में युवतियों और महिलाओं को प्रभावित कर रहा है. पीसीओएस होने पर शरीर में हार्मोन का संतुलन बिगड़ जाता है, जिससे पीरियड्स अनियमित हो जाते हैं और ओवुलेशन में दिक्कत आने लगती है. इससे गर्भधारण करना चुनौती बन जाता है. हालांकि, यह कोई असंभव स्थिति नहीं है. सही समय पर इलाज और जीवनशैली में बदलाव करके पीसीओएस के साथ भी स्वस्थ प्रेगनेंसी संभव है. इसी पर डॉ. अर्शी इकबाल बताती हैं कि पीसीओएस में प्रेगनेंसी के दौरान कुछ मुख्य परेशानियां आ सकती हैं. लेकिन इलाज के जरिए सबकुछ ठीक से हो सकता है.
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ओवुलेशन में बाधा
पीसीओएस में अंडाशय में छोटे-छोटे सिस्ट बन जाते हैं, जिससे अंडाणु ठीक से परिपक्व नहीं हो पाते. इससे ओवुलेशन यानी एग रिलीज नहीं हो पाता, और गर्भधारण में रुकावट आती है.
अनियमित पीरियड्स
जब ओवुलेशन ही नियमित नहीं होगा, तो पीरियड्स का चक्र भी असंतुलित हो जाता है. इससे फर्टिलिटी पर असर पड़ता है और कंसीव करने में समय लग सकता है.
हाई ब्लड प्रेशर और प्रेगनेंसी डायबिटीज
डॉ. अर्शी बताती हैं कि पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं को प्रेगनेंसी के दौरान हाई ब्लड प्रेशर और जेस्टेशनल डायबिटीज का खतरा अधिक होता है. ये मां और बच्चे दोनों के लिए जोखिम भरे हो सकते हैं.
मिसकैरेज का खतरा
पीसीओएस में हार्मोनल असंतुलन के कारण यूटरस का वातावरण स्थिर नहीं रहता, जिससे प्रेगनेंसी टिक पाने में मुश्किल आती है और मिसकैरेज की संभावना बढ़ जाती है.
पीसीओएस ठीक करने के लिए क्या करें
हेल्दी डाइट अपनाएं
फाइबर और प्रोटीन से भरपूर डाइट, प्रोसेस्ड फूड और शुगर से परहेज, पीसीओएस को कंट्रोल करने में मदद करता है. इससे इंसुलिन लेवल और हार्मोन बैलेंस बेहतर होता है.
नियमित व्यायाम करें
दिन में कम से कम 30 मिनट वॉक या योग करने से वजन नियंत्रित रहता है और फर्टिलिटी बेहतर होती है.
दवाओं का सही इस्तेमाल
डॉक्टर की सलाह से फर्टिलिटी बूस्टिंग दवाएं जैसे क्लोमिफेन, मेटफॉर्मिन आदि ली जा सकती हैं. कुछ मामलों में आईयूआई या आईवीएफ की जरूरत भी पड़ सकती है.
तनाव कम करें
मानसिक तनाव भी हार्मोनल असंतुलन को बढ़ाता है. मेडिटेशन, काउंसलिंग या संगीत जैसे तरीकों से स्ट्रेस को मैनेज करना जरूरी है.
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Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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Source: IOCL























