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कोरोना वायरस के चलते शरीर में जम रहे हैं खून के थक्के, ऐसे करें अपना बचाव

कोरोना संक्रमण के कारण धमनियों में खून के बड़े-बड़े थक्के बन रहे हैं.गहरी नस के अंदर बनने वाले थक्के बेहद खतरनाक हो सकते हैं.

कोरोना वायरस के खतरे को लेकर हर दिन नई जानकारी सामने आ रही है. विभिन्न देशों के डॉक्टर और वैज्ञानिक इस बात का पता लगाने में जुटे हैं कि जब वायरस शरीपर पर हमला करता है तो तब मानव शरीर कैसे प्रतिक्रिया करता और कैसे बचाव करता है.

स्वास्थ्य विशेज्ञषों के अनुसार कोरोना वायरस से गंभीर रूप से बीमार 30 फीसदी तक मरीजों को खून के थक्कों के बनने की स्थिति सामने आ रही है जो जानलेवा है. इन खून के थक्कों (क्लॉट्स) को थ्रोंबोसिस कहा जाता है. इन थक्कों के बनने की वजह से फेफड़ों में गंभीर सूजन पैदा होती है. कोरोना वायरस पीड़ित व्यक्ति का शरीर सामान्य प्रतिक्रिया के तौर पर फेफड़ों में सूजन पैदा करता है. गहरी नस के अंदर बनने वाले थक्के बेहद खतरनाक हो सकते हैं. ये थक्के अपने आप नहीं घुल सकते हैं, और वे रक्त के प्रवाह को रोक सकते हैं.

इंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट के अनुसार, थ्रोबोंसिस अगर मस्तिष्क, हृदय या फेफड़ों तक पहुंचता है, तो यह जीवन के लिए खतरनाक स्थिति हो सकती है, जैसे कि दिल का दौरा या स्ट्रोक. क्लॉटिंग मानव शरीर में प्राकृतिक प्रतिक्रियाओं में से एक है लेकिन अगर कोरोना मरीजों के लिए स्थिति बेहद खतरनाक हो जाती है.

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रिपोर्ट के अनुसार कोरोना संक्रमण के कारण धमनियों में खून के बड़े-बड़े थक्के बन रहे हैं, जिसके कारण शरीर के अन्य भाग में इसका प्रवाह बाधित हो रहा है. यह पता चला कि बड़ी धमनियों के साथ छोटी धमनियां भी इस वायरस के संक्रमण से प्रभावित हुईं हैं.

इन मरीजों में खून के थक्के जमने का अत्यधिक खतरा

* ज्यादा उम्र वाले लोग

* वजन ज़्यादा होना * उच्च रक्तचाप से पीड़ित * मौजूदा मधुमेह * दिल की बीमारी का इतिहास * निष्क्रियता की अवधि होने पर, जैसे कि लंबे समय तक बिस्तर पर आराम करना * हाल ही में सर्जरी हुई है * धूम्रपान करने वाले या धूम्रपान करने का इतिहास रखते हैं * जिन लोगों में रक्त का थक्का जमने की बीमारी होती है

कोरोना वायरस से पीड़ित मरीजों में खून के थक्के जमने से कई तरह समस्याएं सामने आ सकती है. रिसर्च के अनुसार जिन मरीजों में खून का थक्का जम रहा है उन्हें आईसीयू में उपचार की जरूरत होती है. इसके अलावा धमनियों में खून का थक्का दिल का दौरा पड़ने का कारण हो सकता है. वुहान के एक अस्पताल में कोविड-19 के 187 रोगियों पर हुए अध्ययन के अनुसार 27.8 फीसदी रोगियों के ह्दय को नुकसान पहुंचा था.

थक्के को रोकने के लिए इलाज में खून को पतला करने वाली दवा दी जाती है. हालांकि खून पतला करने वाली दवाई से रक्तस्त्राव का खतरा भी बढ़ जाता है. हालांकि कुछ रिपोर्ट के अनुसार जिन लोगों को रक्त पतला करने की दवा दी गई उनकी मृत्यु दर दवा नहीं लेने वाले लोगों की तुलना में कम थी. वर्तमान में शोधकर्ता रक्त के थक्कों को रोकने में मदद करने के लिए नए उपचार विकल्पों का परीक्षण कर रहे हैं.

डॉक्टर का सुझाव है कि कोरोना वायरस से संक्रमण को रोकने के लिए सबसे अच्छा तरीका है हाथ की सफाई और मास्क पहनना. रक्त के थक्कों के बढ़ते जोखिम वाले लोगों को अपने डॉक्टर से बात करनी चाहिए. कुछ मामलों में डॉक्टर रक्त को पतला करने वाली दवा का उपयोग करने की सलाह दे सकते हैं. हालांकि, ये दवाएं सभी के लिए उपयुक्त नहीं हैं.

इन तरीकों से कम कर सकते हैं जोखिम - जितना हो सके एक्टिव रहें - रक्त प्रवाह में सुधार के लिए विशेष मोज़ा पहनना - निर्जलीकरण को रोकने के लिए खूब पानी पीना - यदि आवश्यक हो तो वजन कम करना - शराब और तंबाकू के सेवन से बचना

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