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कैंसर के मरीजों के लिए सबसे बड़ी खुशखबरी, बिना दर्द के इस थेरेपी से होगा इलाज- डॉक्टर्स को मिली कामयाबी

प्रोस्टेट कैंसर (Prostate Cancer) पुरुषों में होने वाला दूसरा सबसे अधिक बार होने वाला कैंसर है. दुनिया भर में मृत्यु का चौथा प्रमुख कारण है.

प्रोस्टेट कैंसर (Prostate Cancer) पुरुषों में होने वाला दूसरा सबसे अधिक बार होने वाला कैंसर है. दुनिया भर में मृत्यु का चौथा प्रमुख कारण है. नई रिपोर्ट के मुताबिक ग्लोबल आंकड़ें के अनुसार हर 8 में से एक पुरुष को प्रोस्टेट कैंसर होगा.  यह संयुक्त राज्य अमेरिका में अकेले पुरुषों के लिए कैंसर से होने वाली मौतों का दूसरा प्रमुख कारण है. अब इसी से संबंधित एक अच्छी खबर यह आई है कि कई प्रोस्टेट कैंसर धीरे-धीरे  बढ़ते हैं और वह प्रोस्टेट ग्लैंड तक ही सीमित रहते हैं. अगर वक्त रहते प्रोस्टेट कैंसर का पता चल जाए तो उसे प्रोस्टेट ग्लैंड तक ही रहते हैं. 

यह पुरुषों में दुनिया में दूसरा सबसे आम कैंसर है

प्रोस्टेट कैंसर के कुछ रूपों का इलाज करना अधिक चुनौतीपूर्ण होता है और हो सकता है कि पुराना इलाज उनपर असर न करें. मेटास्टैटिक कैस्ट्रेशन-प्रतिरोधी प्रोस्टेट कैंसर एक प्रकार का उन्नत प्रोस्टेट कैंसर है जो अब सामान्य उपचारों पर प्रतिक्रिया नहीं करता है और शरीर के अन्य भागों में फैल गया है.'इंस्टीट्यूट ऑफ कैंसर रिसर्च'लंदन के शोधकर्ताओं ने पता लगाया है कि व्हाइट ब्लड सेल्स को खत्म करने लगता है. जिसकी वजह से ट्यूमर पर कंट्रोल किया जा सकता है.

प्रोस्टेट कैंसर हर साल लाखों पुरुषों को अपना शिकार बनाती है. यह पुरुषों में दुनिया में दूसरा सबसे आम कैंसर है और कुल मिलाकर चौथा सबसे आम कैंसर है.अनुमान है कि अकेले 2020 में दुनिया भर में प्रोस्टेट कैंसर के 1.41 मिलियन नए मामले सामने आए.मेटास्टैटिक कैस्ट्रेशन-प्रतिरोधी प्रोस्टेट कैंसर एक प्रकार का उन्नत प्रोस्टेट कैंसर है जो अब सामान्य उपचारों का जवाब नहीं देता है और शरीर के अन्य भागों में फैल गया है. कैस्ट्रेशन-प्रतिरोधी प्रोस्टेट कैंसर से पीड़ित व्यक्ति के लिए जीवित रहने की अनुमानित दर नौ महीने से 3 साल के बीच है.

माइलॉयड व्हाइट ब्लड सेल्स और कैंसर
प्रो. जोहान डी बोनो और उनकी टीम ने माइलॉयड ने व्हाइट ब्लड सेल्स पर एक रिसर्च किया था. जो आमतौर पर शरीर को संक्रमण से बचाने में मदद करती है. हालांकि इस प्रकार की ब्लड सेल्स आमतौर पर ट्यूमर में खिंच जाती है.

प्रोस्टेट कैंसर में AZD5069 दवा का यूज किया जाता है

अध्ययन के दौरान वैज्ञानिकों ने मायलोइड कोशिकाओं को ट्यूमर में खींचने से रोकने के लिए AZD5069 नामक एक प्रायोगिक दवा और आमतौर पर प्रोस्टेट कैंसर के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली हार्मोन थेरेपी, जिसे एन्जालुटामाइड कहा जाता है, के संयोजन का उपयोग किया.

यह दवा ट्यूमर की ओर आकर्षित होने वाली माइलॉयड कोशिकाओं को रोककर काम करती है.यदि ये कोशिकाएं ट्यूमर में प्रवेश नहीं कर पाती हैं, तो वे अपनी सामान्य ट्यूमर को बढ़ावा देने वाली गतिविधियां नहीं कर सकती हैं. मेटास्टैटिक कैस्ट्रेशन-प्रतिरोधी प्रोस्टेट कैंसर वाले 21 अध्ययन प्रतिभागियों में से, शोधकर्ताओं ने बताया कि उनमें से पांच ने उपचार का जवाब दिया या तो उनके ट्यूमर का आकार 30% से अधिक सिकुड़ गया, प्रोस्टेट-विशिष्ट एंटीजन (पीएसए) के परिसंचारी स्तर में कमी आई, या परिसंचारी ट्यूमर कोशिका रक्त स्तर में गिरावट. वैज्ञानिकों ने कहा कि जिन प्रतिभागियों ने उपचार प्राप्त किया, उन्हें भी मायलॉइड कोशिकाओं में गिरावट का अनुभव हुआ, और उपचार के बाद बायोप्सी से उनके ट्यूमर के भीतर कम मायलॉइड कोशिकाएं भी सामने आईं.

Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.

यह भी पढ़ें: अचानक कैसे आ जाता है हार्ट अटैक, कितनी देर में हो जाती है मौत?

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