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Twin Towers Demolition: नोएडा में उठा धूल का गुबार, रेजिडेंट्स जरूर बरतें ये सावधानियां

Noida twin towers: नोएडा में ट्विन टावर के ध्वस्तीकरण में प्रशासन ने हर तरह से सावधानी बरती हैं, लेकिन आस-पास रह रहे लोगों को अभी भी सचेत रहना होगा ताकि आने वाले समय में हेल्थ प्रॉब्लम्स ना हों.

Noida Twin Towers Demolition: नोएडा में जिस ट्विन टावर को ध्वस्त किया गया है, उसे गिराने के दौरान प्रशासन ने अपनी तरफ से हर तरह की सावधानी बरती है. यहां आस-पास की कॉलोनी, सोसायटी और झुग्गियों में रहने वाले सभी लोगों को सुबह से शाम तक के लिए अपनी जगहों से हटाया गया है. इस दौरान 100 मीटर के दायरे में किसी भी व्यक्ति को रहने की अनुमति नहीं थी. इतने डायामीटर के क्षेत्र में सिर्फ प्रशासन से जुड़े 6 लोग ही रहे रहे थे. स्थानीय लोगों से यह एरिया ना केवल सुरक्षा की दृष्टि से बल्कि सेहत को होने वाले नुकसानों को ध्यान में रखकर भी खाली कराया. हम यहां आपको उन स्वास्थ्य समस्याओं (Health Issues) के बारे में बता रहे हैं, जो धूल के कारण परेशान करती हैं.

सूचनाओं के आधार पर इस ट्विन टावर का जो मलवा है वो करीब 80 हजार टन होगा और अनुमानित तौर पर 50 हजार टन का मलवा इसी टावर की फाउंडेशन में समा जाएगा जबकि 30 हजार टन मलवा यहां से हटाने में कुछ महीनों का समय लगेगा और तब तक यहां पलूशन अधिक रहना सामान्य बात होगी. ऐसे में इन एरिया में जो लोग रहते हैं, उन्हें किस तरह की हेल्थ समस्याएं हो सकती हैं और जिन्हें पहले से ही सेहत से जुड़ी समस्याएं हैं उन्हें किस तरह की सावधानी बरतनी चाहिए. इस बारे में यहां जानें...

बढ़ जाएगी पीएम-2 की मात्रा 

टॉवर ध्वस्त होने के बाद वातावरण में धूल का गुबार होना स्वाभाविक है. इससे एयर पलूशन बहुत अधिक बढ़ जाएगा और उन लोगों को समस्या का अधिक सामना करना पड़ेगा, जिन्हें सांस संबंधी बीमारी है. क्योंकि वातावरण में धूल के कण जिन्हें particulate matter (PM) कहा जाता है. उनकी मात्रा बढ़ जाएगी. इस तरह का पलूशन आज रात या कल सुबह तक अधिक देखने को मिल सकता है. जबकि इसके बाद इस बात की पूरी आशंका है कि हवा में बेहद महीन कण जिन्हें फाइन मैटर्स पीएम2.5 (PM2.5) कहा जाता है, उनकी मात्रा लंबे समय तक बढ़ी रहे. ये वही डस्ट पार्टिकल्स होते हैं, जो सांस संबंधी बीमारियों के लिए सबसे अधिक घातक होते हैं.

बरतें ये सावधानियां

यदि आप ट्विन टावर के आस-पास के क्षेत्र में रहते हैं तो अगले कुछ दिन यहां बताई जा रही सावधानियां जरूर बरतें. ताकि स्वास्थ्य पर किसी तरह का नकारात्मक असर ना हो...

1. आज दोपहर के बाद से घर में कूलर का उपयोग अगले कुछ दिनों तक बिल्कुल ना करें. क्योंकि कूलर बाहर की हवा को अंदर फेंकने का काम करता है, ऐसे में अस्थमा रोगियों को समस्या हो सकती है.
2. परिवार के सभी सदस्य मास्क का उपयोग अवश्य करें. ताकि पलूशन के कण शरीर में प्रवेश ना करें.
3. बिना किसी काम के घर से बाहर ना निकलें. ऐसा दो-तीन दिन तक जरूर करें. इन दिनों में वॉक या रनिंग इत्यादि के लिए बाहर ना जाएं. क्योंकि ऐसा करने से सेहत को फायदा कम और नुकसान ज्यादा होगा.

4. अगले कुछ दिन परिवार के सभी सदस्य हल्दी वाला दूध, तुलसी का काढ़ा लें और दिन में दो बार शहद जरूर खाएं. इससे सांस और गले संबंधी समस्याओं से बचाव होगा.

अस्थमा रोगी रखें ध्यान

यदि आपका घर नोयडा में ट्विन टावर के आस-पास के क्षेत्र में स्थित है और परिवार में किसी को भी अस्थमा की समस्या है तो प्रयास करें कि कुछ दिनों के लिए अपने परिजन को इस स्थान से कहीं दूर भेज दें. ताकि उनकी सेहत पर कोई बुरा असर ना हो. यदि ऐसा करना संभव ना हो तो घर के दरवाजे, खिड़कियां और पर्दे अच्छी तरह बंद रखें. ताकि पलूशन कम से कम मात्रा में घर के अंदर प्रवेश कर पाए और पीड़ित व्यक्ति को बाहर ना जाने दें.

खांसी की समस्या 
धूल और पलूशन के कारण हवा में मौजूद गंदगी जब सांस के माध्यम से शरीर में प्रवेश करती है तो गले में धंसका लगने लगता है, जो बाद में खांसी और गले में जलन की समस्या खड़ी कर देता है. इस तरह की समस्याओं से बचने के लिए आप अदरक की चाय, ब्लैक-टी और हल्दी वाले दूध का उपयोग करें.

सीने में भारीपन की समस्या
पलूशन के कारण सीने में भारीपन की समस्या या कंजेशन की समस्या हो सकती है. ऐसा पॉल्यूटेड हवा के कारण हो जाता है. जब आप अधिक पलूशन वाली जगह में देर तक रहते हैं और सांस लेते हैं तो हवा में पलूशन की अधिकता और ऑक्सीजन की कमी के कारण इस तरह की समस्या हो सकती है. इससे बचने का उपाय यही है कि आप घर में रहें और जब तक धूल का गुबार शांत ना हो बाहर ना निकलें. यदि निकलना ही पड़े तो मास्क जरूर लगाएं, सिर ढंककर रहे और गॉगल्स का उपयोग करें.

Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों को केवल सुझाव के रूप में लें, एबीपी न्यूज़ इनकी पुष्टि नहीं करता है. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट पर अमल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें. 

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