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कोलेस्ट्रोल को करना चाहते हैं कम? दवाओं के इस्तेमाल से पहले जान लें यह जरूरी जानकारी

कोलेस्ट्रोल लेवल के अधिक होने की पुष्टि पर डॉक्टर खास दवाइयां और इलाज लिख सकते हैं. इलाज की पहली कतार डाइट और व्यायाम में बदलाव है.

हृदय रोगों से जुड़े होने के कारण कोलेस्ट्रोल का नाम बदनाम हो गया है. हालांकि, ये अपने आप में खुद खराब नहीं है बल्कि उसका अधिक लेवल है जो दिल की बीमारियों का जोखिम बढ़ाता है. हेल्दी सेल्स, हार्मोन्स, विटामिन डी और पाचक रस बनाने में कोलेस्ट्रोल जरूरी है, लेकिन सिर्फ कोलेस्ट्रोल का अधिक लेवल अस्वस्थ समझा जाता है. शरीर में ज्यादातर कोलेस्ट्रोल लिवर से पैदा होता है, जबकि बाकी का निर्माण आपके भोजन खाने से होता है.

इसलिए याद रखना जरूरी है कि दो प्रकार के कोलेस्ट्रोल होते हैं- हाई डेंसिटी लेपोप्रोटीन अच्छा कोलेस्ट्रोल कहलाता है जबकि लो डेंसिटी लेपोप्रोटीन को खराब या बैड कोलेस्ट्रोल कहा जाता है. लो डेंसिटी लेपोप्रोटीन कोलेस्ट्रोल के ज्यादा होने से आपके शरीर पर खराब प्रभाव पड़ता है. खराब कोलेस्ट्रोल के अधिक होने पर धमनियों को नुकसान पहुंच सकता है और दिल की बीमारी में योगदान करता है, जिससे स्ट्रोक का जोखिम बढ़ता है. 

अधिक कोलेस्ट्रोल लेवल की कैसे करें पहचान?

उसका कोई स्पष्ट लक्षण नहीं है जो बता सके कि आपके शरीर में कोलेस्ट्रोल लेवल अधिक है या नहीं. सिर्फ ब्लड टेस्ट ही एक मात्र ऐसा तरीका जिससे उसका पता लगाया जा सकता है. सेंटर फोर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन का कहना है कि कोलेस्ट्रोल की जांच हर पांच साल पर 20 वर्ष या अधिक उम्र वालों को कराना चाहिए. जबकि हृदय रोग के जोखिम फैक्टर वाले लोगों को खुद की और अधिक बार परीक्षण करवाना चाहिए. 

कोलेस्ट्रोल लेवल के अधिक होने की पुष्टि पर डॉक्टर खास दवाइयां और इलाज लिख सकते हैं. इलाज की पहली कतार डाइट और व्यायाम में बदलाव है. अगर डाइट और व्यायाम से कोई सुधार नहीं हो रहा है, तो डॉक्टर कोलेस्ट्रोल लेवल के आधार पर दवाइयां निर्धारित करते हैं और मरीज की मेडिकल हिस्ट्री और एक से ज्यादा बीमारियों को देखा जाता है. कोलेस्ट्रोल लेवल कम करने के लिए दवाओं की जरूरत न सिर्फ लो डेंसिटी लेपोप्रोटीन पर निर्भर करती है बल्कि डायबिटीज और हृदय रोग का अधिक जोखिम समेत दूसरे कारकों पर भी निर्भर करता है.

कोलेस्ट्रोल घटानेवाली दवा से साइड इफेक्ट्स?

डॉक्टरों का कहना है कि दवाओं के साइड इफेक्ट्स में बदन का दर्द, मसल का दर्द और पीठ का दर्द शामिल हो सकता है. कोई गंभीर प्रतिकूल प्रभावों को बयान नहीं किया जाता है. इसलिए, दवाएं सुरक्षित हैं और जब तक विशेषज्ञ निर्धारित करते हैं और मरीज नियमित फॉलोअप पर रहता है, दवा के साइड इफेक्ट्स के बारे में चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है. उन्होंने बताया कि करीब 1,00,000 मामलों पर साइड इफेक्ट्स होने की घटना 1 है. साइड इफेक्ट्स बहुत दुर्लभ हैं और ये मरीज पर निर्भर करता है. मतली, सिर दर्द, मसल का दर्द जैसे कुछ साइड इफेक्ट्स होते हैं.

साइड-इफेक्ट्स के 2 से 3 सप्ताह रहने पर मेडिकल मदद की तलाश करनी चाहिए. कोलेस्ट्रोल लेवल और मरीज का मेडिकल इतिहास के आधार पर डॉक्टर इलाज को भी बदल सकता है. उचित इलाज कई फैक्टर जैसे मरीज का पारिवारिक इतिहास, कोलेस्ट्रोल लेवल अधिक या कम होने पर निर्भर करता है. कभी-कभी दवाओं का मिश्रण निर्धारित किया जाता है न कि सिर्फ एक दवा.

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