रूस-इजरायल जैसा सुरक्षा कवच, ध्वनि की गति से 5 गुना तेज मिसाइलें, 2047 तक कितना मजबूत होगा भारत?
India At 2047: भारत ने ऑपरेशन सिंदूर से दुनिया को दिखा दिया कि हमारी सैन्य ताकत कम नहीं है. अगले 22 सालों में यानी 2047 तक भारत की ताकत कई गुना तक बढ़ जाएगी. अभी भारत 145 देशों में चौथे स्थान पर है.

Defence Strength At 2047: भारत अपनी आजादी के 100 साल पूरे होने पर यानी 2047 तक एक विकसित और आत्मनिर्भर राष्ट्र बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है. रक्षा क्षेत्र में हो रहे बड़े बदलाव इस विजन का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं. कई रिपोर्ट्स और एक्सपर्ट्स की मानें तो आने वाले समय में भारत की सैन्य ताकत और हथियार उत्पादन में भारी बढ़ोतरी होने वाली है, जिससे देश की सुरक्षा मजबूत होगी और दुनियाभर में भारत की साख बढ़ेगी. इससे आम भारतीयों को भी कई फयदे होंगे.
सैन्य ताकत में तीसरे स्थान पर भारत
वर्तमान में भारतीय सेना के तीनों अंगों की ताकत काफी मजबूत है. ग्लोबल फायर इंडेक्स 2025 के मुताबिक, भारत 145 देशों में चौथे स्थान पर है. यह रैंकिंग सेना की संख्या, हथियारों की गुणवत्ता, बजट और अन्य 60 से ज्यादा पैरामीटर्स पर आधारित है. इसके ऊपर दुनिया के टॉप तीन देश अमेरिका, रूस और चीन हैं.
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) खुद कोई सैन्य रैंकिंग जारी नहीं करता, लेकिन भारत वहां स्थायी सदस्य नहीं है. हालांकि, इसके लिए भारत लगातार दावेदारी पेश कर रहा है. ग्लोबल फायर पावर जैसे स्वतंत्र इंडेक्स ही सैन्य ताकत का सबसे भरोसेमंद पैरामीटर है.
2047 तक पांच गुना बढ़ेगा रक्षा बजट
कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (CII) और KPMG की संयुक्त रिपोर्ट 'आत्मनिर्भर, अग्रणी और अतुल्य भारत 2047' रिपोर्ट के मुताबिक, अगले 22 सालों में भारत की रक्षा ताकत में बड़े बदलाव आने वाले हैं. ये रिपोर्ट मई 2025 में जारी हुई थी, जिसके मुताबिक भारत का रक्षा बजट वर्तमान के करीब 6.81 लाख करोड़ रुपए से बढ़कर 31.7 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच सकता है. यह करीब 5 गुना बढ़ोतरी होगी.
रक्षा बजट में रिसर्च एंड डेवलपमेंट (R&D) का हिस्सा मौजूदा 4% से बढ़कर 8-10% हो जाएगा. कैपिटल खर्च (नए हथियार और इंफ्रास्ट्रक्चर पर) 27% से बढ़कर 40% तक पहुंचेगा. रक्षा खर्च GDP का हिस्सा 2% से बढ़कर 4-5% हो सकता है. ये बदलाव इसलिए संभव हैं क्योंकि भारत आत्मनिर्भरता पर जोर दे रहा है.
रक्षा उत्पादन 1.46 लाख करोड़ रुपए से बढ़कर 8.8 लाख करोड़ रुपए हो जाएगा, यानी 6 गुना ज्यादा. सबसे बड़ी बात, रक्षा निर्यात 24 हजार करोड़ रुपए से बढ़कर 2.8 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच सकता है, जो 12 गुना की बढ़ोतरी होगी. इससे अमेरिका और चीन के बाद भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा रक्षा खर्च करने वाला देश बन सकता है.
आत्मनिर्भर भारत अभियान में स्वदेशी हथियारों पर फोकस
यह अनुमान इसलिए भी जरूरी है क्योंकि भारत आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत स्वदेशी हथियारों पर फोकस कर रहा है. अभी भारत तेजस फाइट जेट, ब्रह्मोस मिसाइल, पिनाका रॉकेट सिस्टम, भीष्म टैंक और प्रचंड लड़ाकू हेलीकॉप्टर जैसे हथियार खुद बना रहा है.
2047 तक भारत अगली पीढ़ी के हथियारों, ड्रोन, सबमरीन और AI बेस्ड सिस्टम में आगे होगा. भारतीय सेना का विजन 2047 भी इसी दिशा में है, जिसमें तीन चरणों में सेना को आधुनिक, चुस्त और तकनीकी रूप से मजबूत बनाया जाएगा.
भारत जल्द ही इन हथियारों को भी तैयार कर लेगा...
- एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट: पांचवी पीढ़ी का स्टेल्थ फाइटर जेट है, जिसका अगले साल प्रोटोटाइप बन जाएगा. 2035 तक इंडक्शन भी पूरा हो जाएगा.
- ट्विन इंजन डेक फाइटर जेट: नौसेना के लिए बन रहा यह फाइटर जेट एयरक्राइफ्ट कैरियर पर तैनात होगा.
- तेजस एमके2: तेजस का अपग्रेडेड वर्जन है, जिसमें बेहतर इंजन और एडवांस्ड रडार सिस्टम होगा.
- हाइपरसोनिक मिसाइलें: भारत हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल और हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल बना रहा है, जिनकी स्पीड माक 5 होगी.
- ब्रह्मोस नेक्स्ट जेनरेशन मिसाइल: ब्रह्मोस का छोटा और हल्का वर्जन बन रहा है, जो ज्यादा फाइटर जेट्स में फिट होग.
- अस्त्र एमके 2 और एमके 3: लंबी दूरी के लिए एयर-टू-एयर मिसाइलें तैयार हो रही हैं.
- प्रोजेक्ट कुशा: लंबी दूरी का एयर डिफेंस सिस्टम है. इसकी रेंज 400 किलोमीटर से ज्यादा होगी.
इसके अलावा आकाश मिसाइल का नेक्स्ट वर्जन, एडवांस्ड कॉम्बैट ड्रोन्स, एनर्जी वेपन्स, कावेरी 2.0 इंजन, उत्तम रडार, जोरावर लाइट टैंक और अंडरवाटर वेपन्स भी बन रहे हैं.
इन बदलावों से दुनिया में भारत की साख कैसे बढ़ेगी?
NEHU के प्रोफेसर और विदेश मामलों के जानकार प्रसेनजीत बिस्वास कहते हैं, 'एक मजबूत रक्षा ताकत से भारत क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा में बड़ा रोल निभा सकेगा. पड़ोसी देशों से आने वाली चुनौतियों का मुकाबला आसान होगा. भारत ग्लोबल साउथ का नेता बनकर अन्य देशों को हथियार सप्लाई करेगा. जैसे फिलीपींस और आर्मेनिया को ब्रह्मोस बेच रहा है. इससे भारत की राजनयिक ताकत बढ़ेगी और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर उसकी आवाज मजबूत होगी.'
डिफेंस एक्सपर्ट्स का कहना है कि सबसे पहले तो मजबूत सुरक्षा होने से देश सुरक्षित रहेगा, जिससे आम लोगों को शांति मिलेगी. रक्षा क्षेत्र में बढ़ता उत्पादन और निर्यात लाखों नई नौकरियां पैदा करेगा, खासकर युवाओं के लिए इंजीनियरिंग, टेक्नोलॉजी और मैन्युफैक्चरिंग में.
रक्षा उद्योग से जुड़ी कंपनियां बढ़ेंगी, जो अर्थव्यवस्था को बूस्ट देंगी. स्वदेशी हथियार बनाने से आयात पर खर्च कम होगा. इन पैसों को शिक्षा, स्वास्थ्य और इंफ्रास्ट्रक्चर पर लगाया जा सकेगा. कुल मिलाकर, एक मजबूत भारत हर नागरिक को गर्व और बेहतर जीवन देगा.
रक्षा क्षेत्र में बढ़ते उत्पादन और निर्यात से लाखों नई नौकरियां
वर्तमान में (2025 तक), भारतीय सशस्त्र बलों में करीब 14.7 लाख एक्टिव जवान हैं, जो देश की सबसे बड़ी संगठित फोर्स है. रक्षा उद्योग में डीआरडीओ, डीपीएसयू (जैसे एचएएल, बीईएल) और प्राइवेट सेक्टर की कंपनियां मिलाकर हजारों लोग काम कर रहे हैं. उदाहरण के लिए, डिफेंस कॉरिडोर जैसे उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में चल रहे प्रोजेक्ट्स से हजारों डायरेक्ट और लाखों इंडायरेक्ट जॉब्स बन रही हैं.
CII-KPMG रिपोर्ट के मुताबिक, 2047 तक जब रक्षा उत्पादन 1.46 लाख करोड़ रुपए से बढ़कर 8.8 लाख करोड़ रुपए हो जाएगा, तो रोजगार में भारी बढ़ोतरी होगी. निर्यात 24,000 करोड़ से 2.8 लाख करोड़ रुपए तक पहुंचने से नई फैक्टरियां, रिसर्च सेंटर्स और सप्लाई चेन बनेगी, जो लाखों लोगों को नौकरी देगी.
खासकर युवाओं के लिए हाई-स्किल जॉब्स जैसे AI, ड्रोन टेक्नोलॉजी, साइबर सिक्योरिटी और एडवांस्ड मैन्युफैक्चरिंग में अवसर बढ़ेंगे. रिपोर्ट में स्किल डेवलपमेंट पर जोर दिया गया है, ताकि वर्क फोर्स को ट्रेनिंग मिले और टैलेंट की कमी न रहे.
डिफेंस एक्सपर्ट्स का अनुमान है कि डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग से जुड़े प्रोजेक्ट्स (जैसे कर्नाटक डिफेंस कॉरिडोर में 28,000 करोड़ की इन्वेस्टमेंट) से 12,000 से ज्यादा डायरेक्ट जॉब्स और कई गुना इंडायरेक्ट जॉब्स पैदा हो रही हैं. प्राइवेट सेक्टर और MSMEs (छोटी-मध्यम कंपनियां) का योगदान बढ़ रहा है. जहां इंजीनियरिंग, टेक्नोलॉजी, मैन्युफैक्चरिंग और रिसर्च में युवाओं को मौके मिल रहे हैं.
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