बोइंग कंपनी ने प्लेन की सीटों पर क्यों रखी थीं आलू की बोरियां, जानें किस चीज का किया था टेस्ट
Why Boeing Company Keep Potatoes In Plane: कई साल के बाद बोइंग कंपनी के विमान ने अपने फ्लाइट की सीटों पर आलू की बोरियां रखी थीं. आखिर उन्होंने किस चीज की जांच के लिए ऐसा किया था.

आमतौर पर जब भी किसी को लंबी दूरी की कोई यात्रा करनी होती है, तो वे हवाई जहाज का सहारा लेते हैं. हवाई कंपनियां आपको खाने, सोने, मनोरंजन, सामान रखने और मनोरंजन जैसी तमाम सुविधाएं उपलब्ध कराती हैं. कुछ लंबी दूरी की विमान सेवाएं तो पर्सनल स्क्रीन, वाईफाई और इन फ्लाइट एंटरटेनमेंट की सुविधाएं भी देती हैं. इसके अलावा कई विमानों में तो कंबल और तकिया भी प्रदान करते हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि एक बार बोइंग कंपनी के विमान ने प्लेन की सीटों पर आलू की बोरियां रखकर कुछ टेस्ट किया है. चलिए जानते हैं कि वो क्या था.
आलू के जरिए किस चीज का हुआ था टेस्ट
21वीं सदी में बिना इंटरनेट के रहने के लिए सोचना बहुत लोगों के लिए बहुत ज्यादा मुश्किल है. एंटरटेनमेंट से लेकर पेमेंट तक सबकुछ इंटरनेट के जरिए जुड़ा हुआ है. ऐसे में अगर कोई कह दे कि बिना इंटरनेट के एक दिन रहना पड़े तो सच में बहुत मुश्किल सा लगता है. आम जगहों पर अगर इंटरनेट न मिले तो भी इंसान परेशान होने लगता है, लेकिन हवाई जहाज में आम लोगों के लिए यह सुविधा उपलब्ध नहीं होती है. इसलिए वहां तो बिना इंटरनेट के रहना होता है. क्या आपको पता है कि आज जिस इन फ्लाइट वाईफाई को आप आसानी से इस्तेमाल करते हैं, एक वक्त पर वो सुविधा भी नहीं थी. लेकिन इसमें मदद की थी आलू ने.
वाईफाई के आलू ने कैसे की मदद
आप सोच रहे होंगे कि भला वाईफाई में आलू का क्या काम. दरअसल रेडियो तरंगे हर चीजों के आरपार नहीं जा सकती हैं, कुछ चीजें इनको अब्जॉर्ब करती हैं, तो कुछ रिफ्लेक्ट कर देती हैं वहीं कुछ रिफ्रैक्ट करती हैं. यह इस चीज पर निर्भर करता है कि आखिर रेडियो वेव्स किस चीज से टकरा रही हैं. कई चीजें वाईफाई सिग्नल्स को एब्जॉर्ब कर लेती हैं, जिससे कि सिग्नल कम हो जाता है और इंसान इसी श्रेणी में आते हैं. ऐसे में क्या होता था कि प्लेन में आगे बैठे लोगों के पास वाईफाई पहुंचता, लेकिन पीछे बैठे वालों को सिग्नल्स नहीं मिल पाता था.
आलू ने कैसे बदली कहानी
ऐसे में बोइंग ने इंसानों की बजाय आलू से वाईफाई का टेस्ट किया. इससे पता चला कि लगभग 9000 किलो आलू उतने ही वाईफाई सिग्नल्स को एब्जॉर्ब करते हैं, जैसे कि जहाज से भरा कोई इंसान. बोइंग ने यह टेस्ट इसलिए किया था, जिससे कि वाईफाई का सिग्नल और बेहतर किया जा सके. इस तरीके से आलुओं ने वाईफाई की कहानी बदल दी थी.
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Source: IOCL
























