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Black Ice: क्यों रोड पर पड़ी ब्लैक आइस को माना जाता है नॉर्मल बर्फ के मुकाबले ज्यादा खतरनाक, जान लें वजह

तापमान कम होने पर ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी होती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि बर्फबारी के बाद ब्लैक आइस कैसे बनता है और ये इतना खतरनाक क्यों होता हैं. जानिए आखिर इसके पीछे की वजह क्या है.

अत्यधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में तापमान कम होने पर बर्फबारी होती है. जिसके बाद सड़कों से लेकर जंगलों तक बर्फ की चादर बिछ जाती है. कई बार भारी बर्फबारी के कारण यातायात व्यवस्था भी बाधित होती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि नॉर्मल बर्फ के मुकाबले ब्लैक आइस कितना खतरनाक होता है. आज हम आपको बताएंगे कि ब्लैक आइस पर गाड़ी चलाना कितना खतरनाक होता है. 

सफेद बर्फ

बर्फबारी के दौरान आपने देखा होगा कि सफेद बर्फ गिरती है. जिसके बाद सड़कों, मैदानों हर जगह पर सफेद बर्फ की चादर नजर आती है. हालांकि सफेद बर्फ उतनी खतरनाक नहीं मानी जाती है, जितनी ब्लैक आइस को खतरनाक माना जाता है. सफेद बर्फ पड़ने पर अक्सर टूरिस्ट उस जगह पर जाना पसंद करते हैं, जहां पर बर्फबारी या स्नोफॉल हुआ होता है.   

ब्लैक आइस

ब्लैक आइस को सफेद आइस के मुकाबले ज्यादा खतरनाक माना जाता है. इसके अलावा काली बर्फ अत्यधिक पारदर्शी होती है, इसलिए यह संभावना नहीं है कि आप सड़क पर गाड़ी चलाते समय इसे देख पाएंगे. काली बर्फ जमने पर सड़कें बहुत फिसलन भरी हो जाती हैं, जिससे ड्राइविंग की स्थिति खतरनाक हो जाती है और कार दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ जाता है. इसीलिए ब्लैक आइस होने पर गाड़ी नहीं चलाने की सलाह दी जाती है.   

ब्लैक आइस कैसे बनता ?

बर्फबारी के बाद जब तापमान शून्य से ऊपर बढ़ जाता, या इस दौरान सूरज निकलता है. तो जमीन पर मौजूद बर्फ धीरे-धीरे पिघल जाती है. वहीं सड़कों की सतहें गीली हो जाती हैं. इस दौरान यदि बारिश होती है, तो सड़कें भी गीली हो सकती हैं. वहीं यदि तापमान फिर से शून्य से नीचे चला जाता है, तो बर्फ फिर से जमने के कारण पक्की सतहों पर काली बर्फ जमने की संभावना है. ब्लैक आइस को इसलिए भी खतरनाक माना जाता है, क्योंकि ये दिखता नहीं है. 

ग्लेशियर में ब्लैक आइस

अंटार्कटिका और ग्रीनलैंड में भी ब्लैक आइस मौजूद है.एक अध्ययन के मुताबिक ग्‍लेशियरों में सफेद बर्फ के साथ तेजी से आकार बढ़ा रही काली बर्फ भी ग्‍लेशियरों की तेज रफ्तार से सिकुड़ने के लिए जिम्‍मेदार है. काली बर्फ सफेद बर्फ के मुकाबले ज्यादा तेजी से पिघल रही है. इसलिए ग्‍लेशियर तेजी से सिकुड़ रहे हैं. अब सवाल ये उठता है कि बर्फ के सफेद रेगिस्‍तानों में ये काली बर्फ बन कैसे रही है. रिसर्च करने वाले वैज्ञानिकों के मुताबिक जलवायु परिवर्तन और ग्‍लोबल वार्मिंग के कारण जैसे-जैसे ग्‍लेशियर पिघल रहे हैं, वैसे-वैसे इन इलाकों में चट्टानें और धूलमिट्टी से भरे मैदान भी उभर रहे हैं.

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गिरिजांश गोपालन को मीडिया इंडस्ट्री में चार साल से ज्यादा का अनुभव है. फिलहाल वह डिजिटल में सक्रिय हैं, लेकिन इनके पास प्रिंट मीडिया में भी काम करने का तजुर्बा है. दिल्ली विश्वविद्यालय से पत्रकारिता की पढ़ाई करने के बाद गिरिजांश ने नवभारत टाइम्स अखबार से पत्रकारिता की शुरुआत की. उन्हें घूमना बेहद पसंद है. पहाड़ों पर चढ़ना, कैंपिंग-हाइकिंग करना और नई जगहों को एक्सप्लोर करना उनकी हॉबी में शुमार है। यही कारण है कि वह तीन साल से पहाड़ों में ज्यादा वक्त बिता रहे हैं. अपने अनुभव और दुनियाभर की खूबसूरत जगहों को अपने लेखन-फोटो के जरिए सोशल मीडिया के रास्ते लोगों तक पहुंचाते हैं.
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