I Love Mohammad Controversy: आखिर क्या है आई लव मोहम्मद, देश के कई शहरों में इसके बैनर्स पर क्यों रहे प्रदर्शन?
I Love Mohammad Controversy: आई लव मोहम्मद का मामला कानपुर के रावतपुर से शुरू हुआ. बारावफात के जुलूस के दौरान मुस्लिम युवाओं ने आई लव मोहम्मद लिखे पोस्टर और बैनर लगाए, जिसके बाद विवाद शुरू हो गया.

I Love Mohammad Controversy: उत्तर प्रदेश के कानपुर से शुरू हुए हुआ एक मामला देश के कई राज्यों तक फैल चुका है. दरअसल, बारावफात के मौके पर मुस्लिम समुदाय की ओर से लगाए गए आई लव मोहम्मद बैनर ने बड़ा विवाद खड़ा कर दिया. कानपुर में इसे लेकर पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली, इसके बाद मुस्लिम संगठनों और लोगों ने इसे धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला बता दिया. देखते ही देखते यह विवाद लखनऊ, बरेली, नागपुर, काशीपुर और हैदराबाद समेत देश के कई शहरों तक पहुंच गया. इस विवाद को लेकर कई जगह जुलूस निकाले गए. वहीं कई जगह तो इस विवाद को लेकर मुस्लिम महिलाएं सड़कों पर उतरी गई और पुलिस से झड़प की नौबत तक आ गई.
कानपुर से शुरू हुआ था आई लव मोहम्मद विवाद
आई लव मोहम्मद का यह पूरा मामला कानपुर के रावतपुर इलाके से शुरू हुआ था. सितंबर की शुरुआत में बारावफात के जुलूस के दौरान मुस्लिम युवाओं ने आई लव मोहम्मद लिखे पोस्टर और बैनर लगाए, इसके बाद स्थानीय हिंदू संगठनों ने इसे नई परंपरा बताते हुए आपत्ति जताई और माहौल गरमा गया. इसके बाद मामले में पुलिस ने हस्तक्षेप करते हुए बैनर हटवा दिए और 9 लोगों को नामजद तथा 15 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की. इसमें सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने और धार्मिक भावनाओं को भड़काने जैसी धाराएं लगाई गई.
पुलिस और मुस्लिम पक्ष के अलग-अलग दावे
इसको लेकर पुलिस का कहना है कि मामला सिर्फ बैनर का नहीं बल्कि तय जगह से अलग टेंट लगाने और जुलूस के दौरान दूसरे समुदाय के धार्मिक पोस्टर फाड़े जाने को लेकर एफआईआर हुई है. जबकि मुस्लिम समुदाय का आरोप है कि आई लव मोहम्मद नारे को अपराध की तरह पेश किया जा रहा है, उनका कहना है कि यह तो सिर्फ मोहम्मद पैगंबर के प्रति प्यार और सम्मान जताने का तरीका है. इसमें सांप्रदायिक तनाव भड़काने जैसी कोई बात नहीं है.
देशभर में फैला आंदोलन
कानपुर से शुरू हुआ यह विरोध धीरे-धीरे पूरे यूपी और फिर देश के अन्य राज्यों तक फैल गया. आई लव मोहम्मद को लेकर हुए विरोध में उन्नाव में जुलूस के बाद पुलिस ने पांच लोगों को गिरफ्तार किया, वहीं महाराजगंज और कौशांबी में भी कई मुकदमे दर्ज किए गए. इसके अलावा लखनऊ में इस विरोध को लेकर मुस्लिम महिलाएं विधानसभा के गेट नंबर 4 के सामने हाथों में बैनर लेकर बैठ गई और विरोध जताने लगीं. हालांकि पुलिस में विधानसभा के सामने से महिलाओं को हटाया, लेकिन पुलिस पर कई युवाओं को हिरासत में लेने का आरोप भी लगा. इसके अलावा महाराष्ट्र के नागपुर और बरेली में भी विरोध प्रदर्शन हुए, नागपुर में मस्जिदों पर आई लव मोहम्मद के पोस्टर लगाए गए और जुलूस निकाला गया. बरेली में तो एक मुस्लिम नेता का वीडियो वायरल हो गया, जिसमें उन्होंने पुलिस अधिकारी को धमकी दे डाली. इसके अलावा उत्तराखंड के काशीपुर में भी बिना अनुमति निकाले गए जुलूस में स्थिति बिगड़ गई, जुलूस के दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प हुई और पथराव की घटनाएं सामने आई. पुलिस ने कई लोगों को गिरफ्तार किया और अतिक्रमण पर भी कार्रवाई की.
असदुद्दीन ओवैसी ने किया मुस्लिम संगठनों का समर्थन
देशभर में फैल चुका यह विवाद अब सियासी गलियारों में भी पहुंच चुका है. AIMIM के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इस विवाद को लेकर कहा कि आई लव मोहम्मद कहना कोई अपराध नहीं है, अगर है तो वह सजा भुगतने को तैयार हैं. इसके अलावा बरेली संगठन के मौलाना तकीर रजा और वर्ल्ड सूफी फोरम के अध्यक्ष हजरत सैयद मोहम्मद अशरफ ने भी पुलिस की कार्रवाई को गलत बताया. विवाद के बाद सोशल मीडिया पर भी आई लव मोहम्मद ट्रेंड करने लगा और हजारों लोग इसे अपनी प्रोफाइल तस्वीर बना रहे हैं. वहीं इस विरोध के बाद भाजपा सरकार पर भेदभाव के आप भी लगाए गए हैं. हालांकि भाजपा ने सरकार पर लगाए गए भेदभाव के आरोपी को खारिज किया है. इस विरोध को लेकर बीजेपी के प्रवक्ताओं का कहना है की कार्रवाई धर्म देखकर नहीं बल्कि कानून तोड़ने वालों पर की जा रही है, उनका कहना है की पोस्टर और बैनर लगाने के लिए जगह तय है. अगर बिना अनुमति ऐसा किया जाता है तो कार्रवाई होगी.
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