Space Temperature: अंतरिक्ष में कितना होता है सबसे कम तापमान, पृथ्वी के इस ठंडी जगह से भी है बहुत कम
अंतरिक्ष से जुड़ी बातों को जानने के लिए अधिकांश लोग उत्सुक रहते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि अंतरिक्ष में सबसे कम तापमान कितना होता है? पृथ्वी के इस ठंडी जगह से है बहुत कम.

अंतरिक्ष को लेकर अधिकांश लोगों के मन में बहुत सारे सवाल मौजूद होते हैं. इतना ही नहीं अलग-अलग देशों के वैज्ञानिक भी लगातार कुछ नई खोज करते रहते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि अंतरिक्ष में सबसे कम तापमान कितना होता है. आज हम आपको बताएंगे कि अंतरिक्ष में सबसे कम तापमान किस जगह का होता है.
स्पेस का तापमान
अधिकांश लोग नहीं जानते हैं कि बाहरी अंतरिक्ष का तापमान कितना होता है. हालांकि स्पेस में और कहीं भी तापमान कई कारकों पर निर्भर होता है. जैसे तारों के क्रोड़,सुपरनोवा के केंद्र में तापमान अधिक होता है. लेकिन सवाल ये है कि न्यूनतम तापमान कितना हो सकता है.
नासा ने बताया कि बाहरी अंतरिक्ष में तापमान -270 डिग्री सेल्सियस तक जा सकता है. पृथ्वी के सतह से 12 हजार मीटर की ऊंचाई पर -50 डिग्री सेल्सियस, पृथ्वी की छाया में बाहरी अंतरिक्ष का तापमान -180 डिग्री सेल्सियस तक हो सकता है. वहीं सूर्य के इलाके की तरफ तापमान 122 डिग्री सेल्सियस तक जा सकता है. नासा के मुताबिक अंतरक्रिया ही अंतरिक्ष को गर्म करती है. लेकिन समस्या यह है कि अंतरिक्ष का अधिकांश हिस्सा पदार्थ से खाली है, जिसमें किसी तरह का वायुमंडल नहीं है. वहीं पृथ्वी पर कणों के जरिए संवहन से ऊष्मा का वितरण होकर तापमान बढ़ता है.
बता दें कि रिकॉर्ड्स के मुताबिक पृथ्वी का सबसे अधिक तापमान 56.7 डिग्री सेल्सियस रहा है. यह 10 जुलाई 1913 को कैलिफोर्निया की डेथ वैली के फर्नेस क्रीक रैंच में रिकॉर्ड किया गया था. वहीं दूसरी ओर पृथ्वी का न्यूनतम तापमान -89.2 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया था, जो कि 21 जुलाई 1983 को अंटार्कटिका के वोस्तोक स्टेशन में रिकॉर्ड किया गया था.
नासा ने क्या कहा ?
नासा के मुताबिक बाहरी अंतरिक्ष में संवहन तापमान नहीं बढ़ता है. बल्कि वहां तापमान बढ़ाने के लिए ऊष्मीय विकरण होता है जैसा की सूर्य और पृथ्वी के बीच की अंतरक्रिया से होता है. नासा के मुताबिक तापमान की कमी के कारण वह ऊष्मा कायम नहीं रख पाता है. ऊष्मीय विकरित तेजी से विशाल वैक्यूम या निर्वात में गायब हो जाता है. वहीं अंतरिक्ष में कम ऊर्जा वाला विद्युत चुंबकीय विकिरण भी भरा है, जिसे कॉस्मिग बैकग्राउंड रेडिएशन कहते हैं. यह स्पेस में वस्तुओं से ऊष्मा अवशोषित कर उन्हें ठंडा करता है. लेकिन यह अवस्था पृथ्वी पर नहीं हो सकती है.
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Source: IOCL





















