क्या शेख हसीना को भी मिल सकती है भारत की नागरिकता? जानें नेताओं के लिए क्या होते हैं नियम
निर्वासन का सामना कर रही बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना पिछले कई महीनों से भारत में रह रही हैं. खबर थी कि उन्होंने इंग्लैंड से भी शरण मांगी थी लेकिन उन्हें मना कर दिया गया था.

Sheikh Haseena Citizenship: बीते साल 4 अगस्त को बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर हिंसा हुई. इस हिंसा ने ऐसी आग पकड़ी कि वहां की सत्ताधारी सरकार की नेता और देश की प्रधानमंत्री शेख हसीना को देश छोड़ना पड़ा. इस हिंसा में सैकड़ों लोग मारे गए. देश में कर्फ्यू लगा और विरोध प्रधानमंत्री के आवास के अंदर तक आ पहुंचा. जिसके बाद शेख हसीना बांग्लादेश से भागकर भारत पहुंच गई. अब ऐसे में सवाल ये उठ रहे हैं कि क्या शेख हसीना को भारत की नागरिकता मिलेगी? आइए आपको बताते हैं कि भारत में शरण पाने वाले नेताओं को कैसे मिलती है नागरिकता और क्या है इसका पूरा प्रोसेस.
पिछले साल देश छोड़कर भारत आई थी शेख हसीना
निर्वासन का सामना कर रही बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना पिछले कई महीनों से भारत में रह रही हैं. खबर थी कि उन्होंने इंग्लैंड से भी शरण मांगी थी लेकिन उन्हें मना कर दिया गया था. फिलहाल शेख हसीना भारत में रह रही हैं, हालांकि बांग्लादेश की वर्तमान युनूस सरकार शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग कर चुकी है, लेकिन अब अफवाह है कि शेख हसीना को भारत की नागरिकता दी जा चुकी है जिस पर बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने कहा कि हमें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रफीकुल आलम ने कहा है कि हसीना के भारत में रहने के मुद्दे पर भारत को फैसला लेना है, उन्हे नागरिकता मिली है या नहीं इस बारे में हमें कोई जानकारी नहीं है.
क्या है भारत में विदेशी नेताओं को नागरिकता देने की प्रक्रिया
विदेश से भागे नेताओं को भारत में नागरिकता मिलने की प्रक्रिया भारतीय नागरिकता कानूनों और संबंधित प्रावधानों के तहत होती है. भारत में नागरिकता प्राप्त करने के लिए नागरिकता अधिनियम, 1955 (Citizenship Act, 1955) के तहत अलग-अलग प्रावधान हैं. किसी भी विदेशी व्यक्ति को भारतीय नागरिकता मिलने के लिए कई सारे मापदंडों को पार करना होता है. हालांकि भारत में नागरिकता चार पॉइंट्स के आधार पर मिलती है.
जन्म के आधार पर- अगर वो शख्स भारत में पैदा हुआ हो.
वंश के आधार पर- उसके माता या पिता में से कोई एक भारत का नागरिक हो.
पंजीकरण के आधार पर- वो शख्स भारत में रहने की विशेष शर्तें पूरी करता हो.
स्वाभाविकरण के माध्यम से- कम से कम 12 साल तक लगातार भारत में रह रहा हो और भारत में रहने और कानून के पालन की सभी शर्तें पूरी की हों.
लेकिन विशेष मामलों में नागरिकता प्राप्त करने के लिए अलग प्रक्रियाएं होती हैं. इनमें राजनीतिक शरण सबसे पहले है, जहां अगर कोई विदेशी नेता भारत में राजनीतिक शरण मांगता है और उसे भारत सरकार की मंजूरी मिलती है, तो उसे भारत में रहने और नागरिकता प्राप्त करने की अनुमति दी जा सकती है. अगर किसी व्यक्ति के नागरिकता प्राप्त करने से भारत के हितों को फायदा होगा या अंतरराष्ट्रीय संबंध मजबूत होंगे, तो सरकार विशेष निर्णय ले सकती है और उसे नागरिकता दे सकती है.
भारत सरकार की विदेश नीति के अनुसार, अगर कोई नेता या विदेशी नागरिक भारत में राजनीतिक शरण मांगता है, तो यह केस टू केस आधार पर तय किया जाता है. इसका फैसला भारत की सुरक्षा चिंताओं, अंतरराष्ट्रीय संबंधों, और उस शख्स के राजनीतिक या सामाजिक इतिहास को ध्यान में रखकर किया जाता है.
दलाई लामा हैं उदाहरण
तिब्बत के आध्यात्मिक नेता, 1959 में भारत आए और भारत ने उन्हें राजनीतिक शरण दी. तो वहीं अफगानिस्तान और बांग्लादेश के नागरिक सीएए (Citizenship Amendment Act, 2019) के तहत हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म के शरणार्थियों को नागरिकता प्रदान करने की व्यवस्था की गई. ऐसे में कयास ये लगाए जा रहे हैं कि फिलहाल शेख हसीना को भारत की नागरिकता से बेदखल ही रखा जा सकता है, और वो भी ऐसे वक्त में जब भारत और बांग्लादेश के रिश्ते बिगड़ते हुए दिखाई दे रहे हों.
Source: IOCL






















