167 मिलियन साल पहले ये था धरती का सबसे बड़ा शिकारी, डायनासोर के बच्चों को भी मारकर चबा जाता था
स्कॉटलैंड के एक टापू आइल ऑफ स्काई पर एक रहस्यमयी शिकारी जीव रहता था. ये दौर जुरासिक पीरियड का था. जब पूरी पृथ्वी पर विशालकाय जानवर घूमते थे, और जीवन तेजी से बदल रहा था.

आज से करीब 167 मिलियन साल पहले यानी जब धरती पर डायनासोर का राज था, तब स्कॉटलैंड के एक टापू आइल ऑफ स्काई पर एक रहस्यमयी शिकारी जीव रहता था. ये दौर जुरासिक पीरियड का था. जब पूरी पृथ्वी पर विशालकाय जानवर घूमते थे, और जीवन तेजी से बदल रहा था. लेकिन उस समय सिर्फ डायनासोर ही सबसे खतरनाक शिकारी नहीं थे.
उस समय एक और रहस्यमयी शिकारी धरती पर घूम रहा था, जो दिखने में तो छिपकली जैसा था, लेकिन उसके जबड़े और दांत सांप जैसे खतरनाक थे. यह स्कॉटलैंड के आइल ऑफ स्काई नाम की जगह पर मिला एक असली फॉसिल है, जिसकी खोज ने वैज्ञानिकों को भी हैरान कर दिया. तो चलिए जानते हैं कि 167 मिलियन साल पहले धरती का सबसे बड़ा शिकारी कौन था जो डायनासोर के बच्चों को भी मारकर चबा जाता था.
167 मिलियन साल पहले धरती का सबसे बड़ा शिकारी कौन था
167 मिलियन साल पहले धरती का सबसे बड़ा शिकारी Breugnathair elgolensis नाम का एक जीव था. इस जीव की लंबाई लगभग 41 सेंटीमीटर थी. लेकिन इसका शरीर और बनावट इतनी अनोखी थी कि वैज्ञानिक भी पहले समझ नहीं पाए कि यह सांप है या छिपकली, इसका सिर और दांत सांप जैसे लंबे, पतले, और बेहद नुकीले थे. साथ ही शरीर बिल्कुल एक छिपकली जैसा चारों पैर, लंबी पूंछ और छोटा सा शरी, इस अजीब और अनोखी बनावट की वजह से इसे फॉल्स स्नेक यानी नकली सांप भी कहा गया, क्योंकि यह दिखने में सांप जैसा था, लेकिन असल में पूरी तरह सांप नहीं था.
क्या ये डायनासोर से भी खतरनाक था?
इस छोटे मगर तेज शिकारी के दांत कुछ ऐसे थे जैसे आज के पायथन सांप के होते हैं. इसके दांत अंदर की ओर मुड़े हुए और नुकीले थे, ताकि शिकार एक बार फंसे तो बच ना पाए. वैज्ञानिकों का मानना है कि B. elgolensis उस समय के अपने इकोसिस्टम का सबसे बड़ा शिकारी था. यह छोटे स्तनधारियों, छोटे डायनासोर, और अन्य छिपकलियों का शिकार करता था. साथ ही अपने छोटे आकार के बावजूद इसकी तेजी, चालाकी और खतरनाक दांत इसे जंगल का राजा बनाते थे.
यह फॉसिल साल 2015 में स्कॉटलैंड में खोजा गया था. इसे नेशनल म्यूजियम्स स्कॉटलैंड के वैज्ञानिक स्टिग वॉल्श ने खोजा था. इसके बाद लगभग 10 साल तक इस पर गहराई से रिसर्च की गई. जिसके बाद वैज्ञानिक इस नतीजे पर पहुंचे कि यह जीव Parviraptoridae नाम के प्राचीन जीवों के समूह से था. वहीं कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि B. elgolensis जैसे जीवों से ही आगे चलकर सांपों का विकास हुआ.
Source: IOCL





















